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"जीत के लिए क्यों नहीं खेले धोनी"

१२ जुलाई २०११

वेस्ट इंडीज के खिलाफ तीसरे और आखिरी टेस्ट मैच में जीत के लिए खेलने की जगह आसानी से ड्रॉ कर लेने का फैसला भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पर भारी पड़ रहा है. मीडिया ने उन पर जम कर ताने कसे हैं.

तस्वीर: AP

भारत ने 180 रन का पीछा करते हुए तीन विकेट पर 94 रन बना लिए थे और मैच में कम से कम 15 ओवर का खेल बाकी था. लेकिन ऐसे मौके पर धोनी ने सीरीज 2-0 से जीतने की जगह आखिरी मैच को ड्रॉ़ मान लिया और भारत सीरीज 1-0 से ही जीत पाया. इसके बाद टेस्ट मैचों की रैंकिंग में भारत के दो अंक कम भी हो गए.

भारतीय अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस फैसले की बखिया उधेड़ते हुए लिखा है, "कम से कम धोनी की टीम की तरफ से इसकी कोशिश होनी चाहिए थी. यह ट्वेन्टी 20 का दौर है, जहां बल्लेबाज तेज रन जुटाते हैं. सिर्फ एक बोरिंग ड्रॉ से संतोष अच्छी बात नहीं. हालांकि धोनी ने 25 टेस्ट मैचों की कप्तानी में कोई सीरीज नहीं गंवाई है. लेकिन आक्रामक खेल से उनके करियर में और सितारे जुड़ सकते थे."

हैरानी का माहौल

हिन्दुस्तान टाइम्स ने लिखा है कि दुनिया की पहले नंबर की टीम ने जब आसानी से ड्रॉ का फैसला किया तो हैरानी और अविश्वास का माहौल बन गया. अखबार ने लिखा, "विदेश में धोनी की दूसरी सीरीज जीत की खुशी गायब हो गई, जब यह बहस शुरू हो गई कि भारतीय टीम ने जीत के लिए क्यों नहीं खेला. यह देखना बेहद दुखद था कि इसके लिए कोई कोशिश भी नहीं की गई. अगर जीत के आस पास भी पहुंचा जाता, तो एक अच्छा संदेश जाता."

क्यों नहीं की कोशिश

भारत ने जिस वक्त मैच को ड्रॉ माना, उस वक्त उसे 15 ओवर में सिर्फ 86 रन बनाने थे और उसके सात विकेट बचे हुए थे. हिन्दू अखबार ने लिखा है, "यह आश्चर्य की बात है कि भारत ने सीरीज 2-0 से जीतने की कोशिश क्यों नहीं की, जब उसके पास कप्तान धोनी और हरभजन सिंह जैसे हिटर बल्लेबाज मौजूद थे." इसने लिखा है कि दबदबे वाली टीमें खराब परिस्थितियों में भी जीत के लिए खेलती हैं और भारत ने पहले नंबर की टेस्ट टीम जैसा रवैया नहीं अपनाया.

यहां तक कि विपक्षी टीम वेस्ट इंडीज के कप्तान डैरेन सैमी भी भारतीय कप्तान के फैसले से हैरान दिखे. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि 15 ओवर बचे थे और 86 रन बनाने थे. ऐसे में जिस श्रेणी के खिलाड़ी उनके पास हैं, ऐसा हो सकता था. धोनी और उनके साथी गेंद पर प्रहार कर सकते थे. मुझे लगा था कि वे सीरीज में पहले से ही आगे हैं और जीत की कोशिश जरूर करेंगे."

हालांकि भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और टीम इंडिया के कोच डंकन फ्लेचर ने ड्रॉ के फैसले को सही बताया और कहा कि उस पिच पर तेजी से रन नहीं बनाया जा सकता था.

रिपोर्टः एएफपी/ए जमाल

संपादनः आभा एम

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