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जीत के लिए पुरुषों को घूंसे मारती मेरी कॉम

१९ मार्च २०१२

पांच बार गैर पेशेवर बॉक्सिंग चैंपियन रह चुकी मेरी कॉम को अब भी वह दिन याद आते हैं जब उनकी मुक्केबाजी पर ताने कसते हुए लोग कहते कि एक लड़की कैसे बॉक्सिंग कर सकती हैं.

बॉक्सिंग का मशहूर नाम एमसी मेरी कॉमतस्वीर: dapd

अपने बारे में उठी शंकाओं को जीत मेडल से शांत करने वाली मेरी कॉम को अभी भी वह दिन याद आता है जब उनके पिता जी ने फोन कर उन्हें घर आने को कहा.रॉयटर्स से बातचीत में मेरी ने बताया, "मैंने अपने माता पिता को बताया ही नहीं था कि मैं बॉक्सिंग कर रही हूं. मेरे राज्य चैंपियन बनने के बाद उन्हें पता चला जब मेरा फोटो और नाम अखबार में छपा. अगले दिन पिता जी ने फोन किया और कहा कि गांव आओ. वह मुझसे पूछना चाहते थे कि मैंने बॉक्सिंग क्यों शुरू की. उन्हें चेहरे पर लगने वाली चोटों की चिंता थी."

मेरी कॉम भारतीय बॉक्सिंग का वह चेहरा है जिससे महिला बॉक्सिंग को आगे बढ़ाया.दो बच्चों की मां मेरी मई महीने में चीन में होने वाली विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगी. वह लंदन ओलंपिक में 51 किलोग्राम की श्रेणीमें अपनी जगह पक्की करना चाहती हैं.

बॉक्सिंग रिंग में करियर शुरू करते समय उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. "जब मैंने बॉक्सिंग शुरू की तो लोग मेरी तरफ देख कर हंसते कि एक महिला क्या बॉक्सिंग करेगी. मैंने इसे चुनौती के तौर पर लिया और शादी से पहले मैं वर्ल्ड चैंपियन बन गई." मेरी कहती हैं यहां उनकी मुश्किलें खत्म नहीं हुई. "मेरी शादी हुई तो लोगों ने संदेह किया कि अब मैं क्या जीतूंगी. मैंने इसे दूसरी चुनौती के तौर पर लिया और खुद को साबित किया. इसके बाद जब बच्चे हुए तो लोग कहने लगे अब तो उसके बच्चे हैं वह कैसे फाइट करेगी. मैंने और दो चैंपियनशिप जीती और उनके मुंह पर ताला लगा दिया."

गर्दन ऊंची

मेरी कॉम ने गैर पेशेवर बॉक्सिंग में विश्व खिताब 46 और 48 किलोग्राम वाली श्रेणी में जीते थे. वह लंदन में 51 किलोग्राम श्रेणी में खेलेंगी. 2010 केएशियाई खेलों में सेमी फाइनल में हारना उनके लिए चेतावनी की घंटी थी. इसकेलिए वह एक महीने पुणे में रही और तीन हेवीवेट मेल बॉक्सरों के साथ अभ्यास में जुटी रही. "46-48 किलोग्राम की श्रेणी के सारे बॉक्सर मुझे पता है.उनके साथ मैं जब भी खेलती हूं जीतती हूं. वह भी ठिगने हैं. मैंने 51 किलोग्राम की श्रेणी वाले लंबे बॉक्सरों के साथ कभी नहीं खेला था. तो मुझे (एशियाई खेलों से पहले) इसका कोई अनुभव भी नहीं था. इस समय मैं मुक्केबाजीकी प्रैक्टिस पुरुष बॉक्सरों के साथ कर रही हूं. मैंने अभ्यास के लिए 60, 57, 54 किलोग्राम वाले खिलाड़ी ढूंढे. एशियन गेम्स में अपनी कमजोरियां जानी और दूसरी प्रतियोगिताओं की भी जिसमें मैं हार गई थी. मेरा बचाव (गार्ड) कमजोर था."

पुरुषों के साथ बॉक्सिंग का अभ्यास करती हैं मेरीतस्वीर: dapd

नई सीख

मेरी कहती हैं कि वह अपनी कमजोरियों से सीख रही हैं. "मैं सीख रही हूं कि अपना गार्ड कैसे ठीक करूं और नजदीक जा कर प्रतिद्वंद्वी से कैसे लडूं. काफी सुधार है." लंदन गेम्स में क्वालीफाई नहीं कर सकने की शंका से ही वह सिहर जाती हैं. मोहम्मद अलीकी कायल रही मेरी कहती हैं, "सबकों चिंता है कि अगर मैंने क्वालीफाई नहीं किया तो क्या होगा. मैं पूरी कोशिश कर रही हूं. इसके आगे मेरे हाथ में कुछ नहीं. कोई सिर्फ इसलिए थोड़ी हार मान लेगा कि मैं पांच बार की विश्व विजेता हूं. मुझे लोगों की अपेक्षाएं पता हैं. सब चाहते हैं कि मैं स्वर्ण पदक जीतूं. मैं भी चाहती हूं लेकिन फिलहाल सिर्फ ट्रेनिंग पर ध्यान दे रही हूं."

बॉक्सर मां

बॉक्सिंग और मां की भूमिका मेरी कॉम के लिए रोज की चुनौती है. पिछले साल जब मेरी चीन में बॉक्सिंग कर रही थी, उनका बेटा अस्पताल में भर्ती था. टूर्नामेंट के लिए आते जाते समय वहअपने बच्चों से बात करती हैं और घर लौटते समय खूब सारे खिलौने उनके लिए ले जाती हैं.

मेरी कॉम अपने राज्य में महिलाओं का आदर्श हैं. यहीं उन्होंने अपनी बॉक्सिंग अकादमी शुरू की है. बढ़ते प्रोजेक्ट के लिए उन्हें धन की जरूरत है. "हमें अब बॉक्सिंग रिंग और हॉल की जरूरत है. हम अभी मैदान पर ही ट्रेनिंग दे रहे हैं लेकिन इससे भी हमें काफी कुछ मिल रहा है."

रिपोर्टः रॉयटर्स/आभा एम

संपादनः एन रंजन

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