अमेरिका में एक दवा कंपनी ने एचआईवी और कैंसर के मरीजों में संक्रमण के इलाज में काम आने वाली एक दवा की एक गोली का दाम 55 गुना बढ़ा दिया. अब कंपनी के मालिक पर मुकदमा दायर कर दिया गया है.
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अमेरिका में एक जीवन रक्षक दवा बनाने वाली कंपनी के मालिक पर अचानक दवा का दाम कई गुना बढ़ा देने के इल्जाम में मुकदमा दायर हो गया है. मुकदमा अमेरिका की केंद्रीय सरकार और न्यू यॉर्क राज्य की सरकार ने मिल कर किया है. वयेरा फार्मास्युटिकल्स के मालिक मार्टिन श्क्रेली पहले से ही जेल में हैं.
36 वर्षीय श्क्रेली ने 2015 में एचआईवी और कैंसर के मरीजों में संक्रमण के इलाज में काम आने वाली एक दवा की एक गोली का दाम 13.50 डॉलर से बढ़ा कर 750 डॉलर कर दिया था. इसके बाद श्क्रेली और उनकी कंपनी के खिलाफ लोगों में बहुत आक्रोश देखा गया था. सोशल मीडिया पर उन्हें "फार्मा ब्रो" का उपनाम दे दिया गया और अमेरिकी मीडिया ने उन्हें अमेरिका में सबसे ज्यादा नफरत किया जाने वाला आदमी घोषित कर दिया.
कई वर्षों की जांच के बाद, अब अमेरिकी फेडरल ट्रेड कमीशन और न्यू यॉर्क अटॉर्नी जनरल लेटिशिया जेम्स ने श्क्रेली और उनकी कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर किया है. जेम्स ने एक बयान में कहा, "मार्टिन श्क्रेली और वयेरा ने इस जान बचाने वाली दवा का दाम एक ही दिन में 4000 प्रतिशत बढ़ा कर मुनाफा कमाने के अलावा इस महत्वपूर्ण दवा को मरीजों और अपने प्रतिद्वंदियों से दूर एक तरह से बंधक बना कर रखा और गैर कानूनी रूप से अपना एकाधिकार बनाए रखने की कोशिश की."
जेम्स ने वक्तव्य में ये भी कहा, "हमने ये मुकदमा दायर किया ताकि वयेरा फार्मास्युटिकल्स के बुरे व्यवहार को रोक सकें, उसे उसके गैर कानूनी योजना बनाने की कीमत अदा करने पर मजबूर कर सकें और मार्टिन श्क्रेली को फिर से दवा उद्योग में काम करने से रोक सकें".
ये मुकदमा उस मुकदमे से अलग है जिसके लिए श्क्रेली को जेल हुई है. उन्हें 2017 में प्रतिभूति से संबंधित धोखेबाजी के जुर्म में सात साल कैद की सजा हुई थी. अभियोजकों का कहना था कि अक्तूबर 2009 और मार्च 2014 के बीच उन्होंने उन्हीं के द्वारा चलाये हुए दो हेज फंड में पैसों का कुप्रबंधन किया था.
एक शांति से भरा फेस्टिवल और सिर्फ 150 मेहमान. ऐसी शुरुआत वाली लव परेड कुछ ही सालों के भीतर यूरोप का सबसे बड़ा म्यूजिक फेस्टिवल बन गई. और जब सब कुछ शीर्ष पर था तभी लव परेड की मौत हो गई.
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तीन कारें और 150 मेहमान
माथियाज रोइंघ जब स्टेज पर होते थे तो लोग उन्हें "डॉक्टर मोटो" के नाम से जानते थे. उन्होंने ही पहली बार 1989 में बर्लिन में लव परेड की शुरुआत की. डॉक्टर मोटो के मुताबिक लव परेड शांति के समर्थन में किया गया विरोध था. संगीत के साथ थिरकते लोगों ने उसे "शांति, आनंद और पैनकेक" का नाम दिया.
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प्यार का खुमार
लेकिन धीरे धीरे शांति के समर्थन में किया जा रहा यह अभियान यूरोप का सबसे बड़ा म्यूजिक फेस्टिवल बन गया. इसमें शामिल होने वाले लोगों की संख्या बढ़ती चली गई. लोग और कलाकार अपनी झांकियों के साथ लव परेड में शामिल होने लगे.
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बदलता चरित्र
1996 में बर्लिन में हुई लव परेड में करीब पांच लाख लोगों ने हिस्सा लिया. लोगों की इतनी बड़ी संख्या को देखते हुए बर्लिन में नई जगह का इंतजाम किया गया. लेकिन इसी दौरान लव परेड का चरित्र बदलता दिखने लगा. ड्रग्स की शिकायतें भी मिलीं.
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प्यार से ज्यादा टेंशन
जैसे जैसे लोगों की संख्या बढ़ती गई वैसे वैसे फेस्टिवल की मुश्किलें भी. लव परेड वाला बर्लिन का इलाका कूड़ेदान जैसा दिखने लगा. स्थानीय लोग परेशान हो गए. चिंताओं के बीच लव परेड को सैद्धांतिक रूप से राजनीतिक फेस्टिवल माना गया और स्थानीय सरकार को सुरक्षा और साफ सफाई का खर्चा उठाना पड़ा.
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पैसे की माया
1989 का शांतिपूर्ण राजनीतिक फेस्टिवल 1996 तक पहुंचते पहुंचते पैसा बनाने की मशीन बन गया. आयोजकों ने लाइसेंसिंग, विज्ञापन और सेल्स से मोटा मुनाफा कमाया. लेकिन इस दौरान लोग इसकी मुखर आलोचना भी करने लगे.
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अदालती झटका
2001 में जर्मनी की संवैधानिक अदालत ने लव परेड का प्रदर्शन के तौर पर किया गया वर्गीकरण खारिज कर दिया. अदालत ने माना कि फेस्टिवल कोई राजनीतिक संदेश नहीं देता है. अदालत के फैसले के बाद साफ हो गया कि अब आयोजकों को सुरक्षा और साफ सफाई का खर्च खुद उठाना होगा. 2004 और 2005 में लव परेड रद्द कर दी गई.
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"प्यार की वापसी"
"द लव इज बैक" इसी नारे के साथ 2006 में लव परेड फिर शुरू हुई. इस बार करीब 10 लाख लोग बर्लिन पहुंचे. यह आखिरी मौका था जब यह परेड बर्लिन में हुई. जर्मनी में कई फिटनेस सेंटर चलाने वाले कारोबारी राइनर शालेर ने लव परेड कंपनी का अधिग्रहण किया और परेड को जर्मनी के रुअर इलाके में ले जाने का फैसला किया.
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उजड़े इलाके में पार्टी
कोयला और स्टील खदानों के बंद होने के बाद जर्मनी की रुअर घाटी भारी आर्थिक मुश्किल में थी. 2007 में फेस्टिवल ने रुअर की अर्थव्यवस्था में हल्की जान फूंकी. लव परेड में हिस्सा लेने के लिए 16 लाख लोग डॉर्टमुंड पहुंचे.
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बोखुम का इनकार
2009 में लव परेड आयोजक रुअर घाटी के बोखुम शहर में यह फेस्टिवल कराना चाहते थे. लेकिन बोखुम शहर ने न्योता ठुकरा दिया. सुरक्षा का हवाला देते हुए शहर ने लव परेड से मुंह मोड़ लिया. 2009 में परेड रद्द करनी पड़ी.
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भयावह अंत
2009 में लव परेड रद्द होने से हुए नुकसान की भरपाई आयोजक 2010 में करना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने रुअर घाटी के डुइसबुर्ग शहर को चुना. उस वक्त डुइसबुर्ग यूरोप की सांस्कृतिक राजधानी भी थी. 10 लाख से ज्यादा लोग लव परेड में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे. लेकिन इस दौरान फेस्टिवल ग्राउंड तक पहुंचाने वाली सुरंग में भगदड़ मची. 21 लोग मारे गए और 650 घायल हुए.
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लव परेड की मौत
भगदड़ के बाद आयोजकों ने भविष्य में कभी लव परेड न कराने का एलान किया. अब 24 जुलाई को लोग डुइसबुर्ग में लव परेड में मारे गए लोगों को श्रद्धाजंलि देने आते हैं.
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आयोजकों पर मुकदमा
लंबी जांच के बाद दिसंबर 2017 में लव परेड में मची भगदड़ को लेकर मुकदमा शुरू हुआ. अदालत में डुइसबुर्ग शहर के छह अधिकारी और चार फेस्टिवल आयोजकों पर केस चल रहा है. सुनवाई में 70 वकील शामिल हैं. 32 अभियुक्तों की तरफ से और 38 वकील, मृतकों के रिश्तेदारों और अभियोजन पक्ष की तरफ से.