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जी7 में ना होकर भी मौजूद है चीन

ऋतिका पाण्डेय (डीपीए)२६ मई २०१६

जापान में जुटे जी7 के नेताओं के अजेंडा में सबसे ऊपर अर्थव्यवस्था का मुद्दा है. लेकिन इस बार की बैठक में एक ओर रूस तो दूसरी ओर चीन के साथ कुछ मुद्दों पर चले आ रहे तनावपूर्ण संबंधों का साया है.

Japan G7 Gipfel
तस्वीर: Reuters

South China Sea dispute

02:55

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चीन जी-7 समूह का सदस्य नहीं है. लेकिन बैठक के पहले दिन चीन से जुड़े तमाम मुद्दे ही छाए रहे. दुनिया के प्रमुख औद्योगिक देशों के इस समूह में हर बार आजादी, लोकतंत्र और कानूनों का पालन करने के साझा मूल्यों पर बात होती है. चर्चा यूक्रेन संकट और साउथ चाइना सी में चीन के हक जमाने पर भी हुई. अंतरराष्ट्रीय नियमों और आपत्तियों की अनदेखी करते हुए चीन लगातार वहां अपने सैनिक ठिकाने विकसित करने में लगा है. जी7 विदेश मंत्रियों के साझा बयान में "यथास्थिति को बदलने वाली या तनाव बढ़ाने वाले ऐसी किसी भी बलपूर्वक या उकसाऊ एकतरफा हरकत" को रोकने का संदेश दिया. जाहिर है इसमें किसी का नाम नही लिया गया लेकिन इशारा चीन की ओर है, ये समझना मुश्किल नहीं.

रूस और चीन ऐसी दो शक्तियां बन कर उभरी हैं जिनसे बातचीत किए बिना आज अंतरराष्ट्रीय मंच पर खड़ी सबसे बड़ी समस्याओं का हल नहीं निकाला जा सकता है. जी-7 के पहले दिन चीन अनुपस्थित रहते हुए भी छाया रहा. पूरी दुनिया में स्टील की आपूर्ति कराने वाले चीन की विदेश नीति लगातार मुखर हो रही है.

चीन के भारी स्टील उत्पादन से दुनिया में जरूरत से ज्यादा स्टील उपलब्ध होने की समस्या आ खड़ी हुई है. इसे यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष जाँ क्लोद युंकर यूरोपीय संघ के लिए "गहरी चिंता" का विषय बता चुके हैं. युंकर ने बताया कि स्टील की अतिउपलब्धता के कारण 2008 से यूरोप में कई हजार नौकरियां खत्म हो गईं. ईयू अपने उद्योग और व्यापार जगत को चीनी सामानों की अधिकता से सुरक्षित रखने के लिए कई कदम उठाना चाहता है. युंकर ने यह चिंता जी-7 नेताओं के सामने भी रखी.

चीन पर आरोप है कि वह स्टील की मांग ना होने के बावजूद अपने निर्माताओं को सब्सिडी देकर स्टील उत्पादन के लिए बढ़ावा देता है. 28-देशों का यूरोपीय संघ दुनिया में स्टील का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. 2015 में इससे जुड़े काम में तीन लाख से भी अधिक लोगों का रोजगार जुड़ा था. युंकर ने कहा है कि यूरोपीय संघ के साथ चीन के आर्थिक संबंधों के लिए जी7 के दो दिन महत्वपूर्ण होंगे. ईयू चीन का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है.

इसके अलावा जी-7 सम्मेलन में साउथ चाइना सी में सुरक्षा की स्थिति पर भी चर्चा होगी. अमेरिका समेत कई देश इस इलाके में बढ़ते तनाव पर समय समय पर चिंता जता चुके हैं. वहीं चीन ने जी-7 में इस मुद्दे पर चर्चा किए जाने तक पर अपनी आपत्ति जताई है. चीन की सरकारी समाचार एजेंसी चिन्हुआ में छपे संपादकीय में लिखा है कि ग्रुप को "दूसरों पर उंगली उठाने और तनाव बढ़ाने के बजाए अपने काम से काम रखना चाहिए."

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