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जी8, रूस, यूक्रेन और आर्थिक मार

२५ मार्च २०१४

क्रीमिया के मुद्दे पर दुनिया के औद्योगिक देशों और रूस के बीच तनातनी हो गई है. इसकी वजह से जी8 का अस्तित्व खत्म हुआ और आखिर में दुनिया भर की अर्थव्यवस्था भी इससे प्रभावित होती दिख रही है.

तस्वीर: Reuters

जी8 संगठन में शामिल जापान का शेयर बाजार मंगलवार को लुढ़क गया. निक्की स्टॉक एक्सचेंज 52 अंक नीचे गिरा. इससे पहले अमेरिका का डाउ जोन्स भी नीचे गिर कर बंद हुआ था. समझा जाता है कि यूक्रेन के राजनीतिक घटनाक्रम का शेयर बाजारों पर व्युतक्रमानुपाती प्रभाव पड़ रहा है.

इस बीच यूरोप की साझा मुद्रा यूरो पर भी एशियाई बाजारों में बुरा असर पड़ रहा है. यूरो का मूल्य कमजोर पड़ रहा है. भारतीय मुद्रा यानी रुपया भी यूरो के मुकाबले मामूली रूप से चढ़ा है, जबकि डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया मजबूत होकर 60.47 तक पहुंच गया.

इससे पहले सोमवार को दुनिया के सात प्रमुख औद्योगिक देशों ने रूस को खुद से अलग करने और उस पर लगातार पाबंदी लगाने का एलान किया था. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और दूसरे शीर्ष नेताओं ने इस साल सोची में प्रस्तावित जी8 की बैठक में भाग न लेने का फैसला किया और इसकी जगह जून में बेल्जियम में बाकी सात देशों की बैठक होगी.

क्रीमिया के मुद्दे पर विवादतस्वीर: Reuters

जाहिर है कि इसमें जी8 का आठवां देश रूस शामिल नहीं होगा. संगठन के लोग इसे अब जी7 कह रहे हैं. हालांकि पहले से ही कुछ देश रूस को संगठन से बाहर करने की राय दे रहे थे लेकिन जर्मनी जैसे देशों का कहना है कि रूस अब भी संगठन का सदस्य है.

जानकारों का कहना है कि रूस का यूरोप के अंदर बहुत महत्व है क्योंकि यहां खर्च होने वाली ज्यादातर गैस रूस से ही सप्लाई की जाती है. उनके मुताबिक रूस पर ज्यादा दबाव देने से यूरोप की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा. वेलिंगटन में वित्तीय सलाहकार स्टुअर्ट आइव का कहना है, "ऐसी कार्रवाइयों से यूरो नीचे की ओर जाएगा क्योंकि मध्य यूरोप अपना ज्यादातर गैस रूस से लेता है और यूरो जोन का रूस के साथ गहरा आर्थिक संबंध है. किसी तरह की पाबंदी सीधे यूरो को प्रभावित करेगी."

इस बीच, रूस ने कहा है कि वह पश्चिमी देशों के साथ लगातार संपर्क में बना रहना चाहता है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा, "रूसी पक्ष अभी भी सभी स्तर पर संपर्क बनाए रखना चाहता है. इसमें शीर्ष स्तर भी शामिल है. हम चाहते हैं कि वे संपर्क बने रहें."

यूक्रेन संकट के बाद क्रीमिया में जनमत संग्रह करा कर रूस ने उसे अपने हिस्से में शामिल कर लिया. इस कार्रवाई की दुनिया भर में निंदा हो रही है. पश्चिमी देशों ने रूस को सतर्क किया है कि वह आगे कोई कार्रवाई न करे क्योंकि इसके बुरे अंजाम हो सकते हैं. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने नीदरलैंड्स के हेग शहर में कहा, "एक विचार ऐसा है कि यथास्थिति बनाई रखी जाए. लेकिन दूसरा और शक्तिशाली विचार है कि पूर्वी यूक्रेन में किसी और तरह की घुसपैठ का बेहद खराब नतीजा निकल सकता है. इसके बाद बेहद कड़े प्रतिबंध लग सकते हैं."

एजेए/एमजे (डीपीए, रॉयटर्स, एएफपी)

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