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जूते फायदेमंद हैं या नहीं, बहस शुरू

८ दिसम्बर २०११

लंदन में एक महिला नंगे पांव चलती है. वह अपने साथ कई अन्य लोगों को नंगे पैर चलने की ट्रेनिंग भी देती है. आम लोग इन्हें हैरानी भरी नजरों से देखते हैं. सवाल पूछने पर महिला बताती है कि नंगे पांव चलना सेहत के क्यों फायदेमंद ह

तस्वीर: AP

चाहे सर्दी-गर्मी हो, पथरीला रास्ता हो या कोई अन्य मुश्किल एना टूम्ब्स नंगे पांव ही चलना पसंद करती हैं. पर्सनल ट्रेनिंग कंपनी बेयरफुट रनिंग यूके की 35 साल की सह संस्थापक एना अपने ग्राहकों को भी ऐसा ही करने की सलाह और ट्रेनिंग देती हैं. एना के मुताबिक अक्सर लोग उन्हें हैरतभरी नजरों से और खास किस्म का मुंह बनाकर देखते हैं.

इससे बेफिक्र एना और उनके साथी डेविड रॉबिन्सन लंदन के पार्कों में लोगों को नंगे पैर चलने का अभ्यास कराते हैं. इसके फायदे बताते हैं. एक तरफ स्पोर्ट्स का सामान बनाने वाली कंपनियां हैं जो हर साल जूतों के नए मॉडल बाजार में उतारती हैं. शरीर विज्ञान के विशेषज्ञों से सलाह लेकर कंपनियां कोशिश करती हैं कि ऐसे जूते बनाए जाएं जो इंसान को नंगे पैर भागने जैसा एहसास कराएं लेकिन सुरक्षा के साथ.

जूतों पर प्रयोग करती कंपनियांतस्वीर: AP

लेकिन एना टूम्ब्स की राय इससे अलग है. बेयरफुट का आधार क्रिस्टोफर मैकडाउगल की किताब 'बॉर्न टू रन' है. किताब में मैकडाउगल ने मेक्सिको के ताराहुमारा कबीले का जिक्र किया है. इस कबीले के लोग नंगे पैर काफी दूरी तक तेज रफ्तार से दौड़ सकते हैं. हैरानी की बात है कि आदिवासियों को ऐसी चोटें भी नहीं आती हैं जैसी तमाम साजोसामान से लैस विकसित देशों के एथलीटों को आती हैं.

विशेषज्ञ एड़ी वाले जूतों पर भी बहस कर रहे हैं. यह बात साफ नहीं हो सकी है कि क्या एड़ी वाले जूते इंसान के लिए अच्छे हैं या फिर जूतों की वजह से इंसान ज्यादा चोटिल होता है. बेयरफुट के समर्थक कहते हैं कि प्राकृतिक ढंग, दौड़ने का सबसे अच्छा तरीका है. पहले गद्देदार पंजा जमीन पर पड़ना चाहिए. इसके बाद तलवे के बीच के खाली हिस्से को मुड़ना चाहिए. फिर हल्की सी एड़ी जमीन को छूएगी लेकिन तब तक पांव अगले कदम के लिए उठ जाना चाहिए. बेयरफुट से जुड़े लोग कहते हैं कि जूते इस प्राकृतिक लय को तोड़ते हैं. जूतों की वजह से एथलीट दौड़ते समय पहले एड़ी को जमीन पर पटकते हैं.

विज्ञान पत्रिका नेचर में 2010 में इस संबंध में एक रिपोर्ट छपी. हावर्ड यूनिवर्सिटी में क्रमिक विकास जीव विज्ञान के प्रोफेसर डेनियल लीबरमान ने पाषाण काल के इंसानों के दौड़ने की प्रवृत्ति का अध्ययन किया. वह यह जानने की कोशिश कर रहे थे कि हमारे पूर्वज कैसे नंगे पैर उबड़ खाबड़ धरती पर दौड़ा करते थे.

तस्वीर: AP

लीबरमान और उनके सहयोगियों ने केन्या और ब्रिटेन के धावकों पर शोध किया. शोध में पता चला कि जो धावक नंगे पैर दौड़ते हैं वह हमेशा पहले पंजा जमीन पर रखते हैं, एड़ी बाद में जमीन छूती है. वहीं जो धावक जूतों के साथ दौड़ते हैं उनमें से अधिकतर एड़ी पहले जमीन पर रखते हैं. कड़े, नरम और कई अन्य तरह की सतहों पर जब धावकों के कदमों का असर आंका गया तो पता चला कि जो पंजा पहले रखते हैं, वे कम टकराव बल पैदा करते हैं. एड़ी पहले रखने वाले ज्यादा टकराव बल पैदा करते हैं. नंगे पैर दौड़ने वाले पैरों की मांसपेशियों का भी बेहतर तरीके से इस्तेमाल करते हैं.

बेयरफुट के एक कार्यक्रम के लिए लंदन आए लीबरमान कहते हैं, अभी पर्याप्त आंकड़े नहीं है जिनके आधार पर कहा जाए कि आपके लिए क्या अच्छा है और क्या खराब.

रिपोर्टः रॉयटर्स/ ओ सिंह

संपादनः एन रंजन

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