जेब में नोट तो मुंह में तंबाकू
१७ अगस्त २०१२शुक्रवार को लैन्सेट पत्रिका में छपे एक सर्वे के नतीजे से यह पता चला है. सर्वे में शामिल 16 विकासशील देशों में करीब तीन अरब से ज्यादा लोग रहते हैं. सर्वे के मुताबिक इनमें से 48.6 फीसदी यानी करीब करीब हर दूसरा मर्द तंबाकू की लत का शिकार है. औरतों की तादाद भी खतरनाक रूप से बढ़ कर 11.3 फीसदी पर पहुंच गई है. इनमें बहुत सी लड़कियां तो किशोरावस्था से ही सिगरेट पीने लगती हैं.
सर्वे में बांग्लादेश, ब्राजील, चीन, मिस्र, भारत, मेक्सिको, फिलीपींस, थाईलैंड, तुर्की, यूक्रेन, उरुग्वे, और वियतनाम के साथ ही ब्रिटेन, पोलैंड, रूस और अमेरिका के 15 साल से ऊपर की उम्र के लोगों को शामिल किया गया. यह सर्वे 2008 से 2010 के बीच हुआ. सर्वे में सिगरेट या बीड़ी पीने के साथ ही तंबाकू चबाने की आदत को भी शामिल किया गया. खासतौर से भारत में तो तंबाकू चबाने का ज्यादा चलन है. भारत में करीब 20 करोड़ लोग तंबाकू का इस्तेमाल करते है और उनमें से ज्यादातर इसे चबाते हैं.
तंबाकू फूंकने वाले देशों में सबसे ऊपर रूस है जहां के 15 साल से ऊपर के 39.1 फीसदी लोग इसकी लत के शिकार है. इसके बाद 31.2 फीसदी लोगों के साथ दूसरे नंबर पर तुर्की, 30.3 फीसदी आंकड़ों के साथ तीसरे नंबर पर पोलैंड है. फिलीपींस में यह आंकड़ा 28.2 फीसदी जबकि चीन में 28.1 फीसदी है. इनकी तुलना में ब्रिटेन के 21.7 फीसदी और अमेरिका के 19.9 फीसदी लोग तंबाकू का सेवन करते हैं.
तंबाकू के इस्तेमाल पर रोक लगाने की नीति कई देशों में बेहद लचर और बेअसर है. कम कमाई वाले देशों में तंबाकू पर लगे टैक्स से अगर 10 हजार रुपये जमा हैं तो सरकार एक रुपया ही तंबाकू पर नियंत्रण लगाने में खर्च कर रही है. यह सर्वे न्यूयॉर्क के बुफैलो स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड हेल्थ प्रोफेशंस से जुड़े प्रोफेसर गैरी जियोविनो के नेतृत्व में किया गया. जियोविनो कहते हैं, "हालांकि 1.1 अरब लोग तंबाकू पर रोक की सबसे ज्यादा प्रभावशाली नीतियों में शामिल हुए हैं लेकिन अभी भी दुनिया की 83 फीसदी से ज्यादा आबादी ऐसी नीतियों में शामिल नहीं है." इन नीतियों के तहत विकसित देशों में कानून बना कर सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान पर रोक, विज्ञापनों पर पाबंदी और सिगरेट के पैकेटों पर सेहत से जुड़ी ज्यादा चेतावनियां शामिल हैं.
फिलहाल अमीर देशों में तंबाकू से ज्यादा लोग मर रहे हैं. इन देशों में करीब 18 फीसदी लोग तंबाकू इस्तेमाल करने के कारण अपनी जान गंवाते हैं. विकासशील देशों में यह आंकड़ा करीब 11 फीसदी है जबकि बेहद कम कमाई वाले गरीब देशों में केवल चार फीसदी लोगों की जान ही तंबाकू की आदत के वजह से जाती है. पर आगे की तस्वीर बदलती दिख रही है. अमीर देशों में लोगों तंबाकू से दूर जा रहे हैं जबकि गरीब देशों में इसकी लत बढ़ रही है. जाहिर है कि आने वाले वक्त में आंकड़े बदलेंगे. अगर इसी तरह से लोग तंबाकू के अपने जीवन में जगह देते रहे तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इस सदी के अंत तक करीब एक अरब लोगों को वक्त से पहले अपनी जान गंवानी पड़ेगी.
एनआर/ओएएसजे (रॉयटर्स, एएफपी)