पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट से ईशनिंदा के आरोपों में बरी होने के बाद अब आसिया बीबी को जेल से भी रिहा कर दिया गया है. कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें देश के बाहर भेज दिया गया है, लेकिन विदेश मंत्रालय ने इससे इनकार किया है.
विज्ञापन
पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने ईसाई महिला आसिया बीबी को ईशनिंदा के आरोप से बरी कर दिया था. स्थानीय मीडिया के मुताबिक अब बीबी को जेल से भी रिहा कर दिया गया है. हालांकि ये अब तक साफ नहीं हो पाया है कि वह पाकिस्तान में ही हैं या उन्हें देश के बाहर भेज दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम कट्टरपंथियों ने देश में हिंसक प्रदर्शन किए थे. कट्टरपंथी आसिया बीबी के लिए मौत की सजा की मांग कर रहे हैं.
ऐसे भी कयास लगाए जा रहे हैं कि बीबी के परिवार को अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए तैयार रहने को कहा गया था. कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि वह देश के बाहर जा चुकी हैं. वहीं विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैजल ने बीबी के देश छोड़ने जैसी खबरों को गलत करार दिया है. हालांकि यूरोपीय संसद के अध्यक्ष अंतोनियो तैयानी ने आसिया बीबी की जेल से रिहा होने की पुष्टि की है, साथ ही बीबी से जल्द ही यूरोप में मिलने की बात कही है. उन्होंने टि्वटर पर लिखा, "आसिया बीबी को जेल से रिहा कर सुरक्षित जगह भेजा जा रहा है. मैं जल्द ही बीबी और उनके परिवार से यूरोपीय संसद में मिलने की उम्मीद करता हूं."
कुछ दिन पहले आसिया बीबी के वकील ने सुरक्षा कारणों से पाकिस्तान छोड़ दिया. आसिया बीबी का मामला पाकिस्तान के इतिहास में ईशनिंदा का सबसे हाईप्रोफाइल केस रहा है. कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं समेत पश्चिमी देशों की सरकारें भी इस मामले में निष्पक्ष सुनवाई की मांग करती रहीं हैं. 2015 में बीबी की बेटियां वेटिकन सिटी में जाकर पोप फ्रांसिस से भी मिली थीं. ईशनिंदा पाकिस्तान में हमेशा से ही एक संवेदनशील मुद्दा रहा है. मानवाधिकार कार्यकर्ता लंबे समय से देश के ईशनिंदा कानूनों में सुधारों की बात कर रहे हैं. पाकिस्तान की कुल आबादी में 97 फीसदी लोग मुस्लिम हैं.
पाकिस्तान में रहने वाले ईसाई और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय देश में कानूनी और सामाजिक भेदभाव की शिकायत करते रहे हैं. इस लिहाज से ईशनिंदा के आरोप खासतौर से विवादित रहे हैं. 2012 में डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त एक ईसाई लड़की रिमिशा शाह ने कुरान के कुछ पन्ने जला दिए थे. इस घटना के बाद रिमिशा को पुलिस हिरासत में ले लिया गया और कई महीनों बाद उस पर से ईशनिंदा के आरोप हटे. सुरक्षा कारणों के चलते रिमिशा और उसका परिवार 2013 में कनाडा चला गया.
इसी तरह 2014 में एक ईसाई जोड़े को कुरान को अपमानित करने के आरोपों के चलते पीट-पीट कर मार डाला गया और शव को ईंट की भट्टी में जला दिया गया था. 2017 में भी एक ईसाई आदमी को व्हाट्सऐप पर "इस्लाम का अपमान करने वाली सामग्री" साझा करने के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी.
आसिया बीबी: एक गिलास पानी के लिए मौत की सजा
पाकिस्तान में 2010 में आसिया बीबी नाम की एक ईसाई महिला को मौत की सजा सुनाई गई थी. पानी के गिलास से शुरू हुआ झगड़ा उनके ईशनिंदा का जानलेवा अपराध बन गया था. लेकिन सु्प्रीम कोर्ट ने उन्हें बरी किया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Governor House Handout
खेत से कोर्ट तक
2009 में पंजाब के शेखपुरा जिले में रहने वाली आसिया बीबी मुस्लिम महिलाओं के साथ खेत में काम कर रही थी. इस दौरान उसने पानी पीने की कोशिश की. मुस्लिम महिलाएं इस पर नाराज हुईं, उन्होंने कहा कि आसिया बीबी मुसलमान नहीं हैं, लिहाजा वह पानी का गिलास नहीं छू सकती. इस बात पर तकरार शुरू हुई. बाद में मुस्लिम महिलाओं ने स्थानीय उलेमा से शिकायत करते हुए कहा कि आसिया बीबी ने पैंगबर मोहम्मद का अपमान किया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
भीड़ का हमला
स्थानीय मीडिया के मुताबिक खेत में हुई तकरार के बाद भीड़ ने आसिया बीबी के घर पर हमला कर दिया. आसिया बीबी और उनके परिवारजनों को पीटा गया. पुलिस ने आसिया बीबी को बचाया और मामले की जांच करते हुए हिरासत में ले लिया. बाद में उन पर ईशनिंदा की धारा लगाई गई. 95 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले पाकिस्तान में ईशनिंदा बेहद संवेदनशील मामला है.
तस्वीर: Arif Ali/AFP/Getty Images
ईशनिंदा का विवादित कानून
1980 के दशक में सैन्य तानाशाह जनरल जिया उल हक ने पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून लागू किया. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का आरोप है कि ईशनिंदा की आड़ में ईसाइयों, हिन्दुओं और अहमदी मुसलमानों को अकसर फंसाया जाता है. छोटे मोटे विवादों या आपसी मनमुटाव के मामले में भी इस कानून का दुरुपयोग किया जाता है.
तस्वीर: Noman Michael
पाकिस्तान राज्य बनाम बीबी
2010 में निचली अदालत ने आसिया बीबी को ईशनिंदा का दोषी ठहराया. आसिया बीबी के वकील ने अदालत में दलील दी कि यह मामला आपसी मतभेदों का है, लेकिन कोर्ट ने यह दलील नहीं मानी. आसिया बीबी को मौत की सजा सुनाई. तब से आसिया बीवी के पति आशिक मसीह (तस्वीर में दाएं) लगातार अपनी पत्नी और पांच बच्चों की मां को बचाने के लिए संघर्ष करते रहे.
तस्वीर: picture alliance/dpa
मददगारों की हत्या
2010 में पाकिस्तानी पंजाब के तत्कालीन गवर्नर सलमान तासीर ने आसिया बीबी की मदद करने की कोशिश की. तासीर ईशनिंदा कानून में सुधार की मांग कर रहे थे. कट्टरपंथी तासीर से नाराज हो गए. जनवरी 2011 में अंगरक्षक मुमताज कादरी ने तासीर की हत्या कर दी. मार्च 2011 में ईशनिंदा के एक और आलोचक और तत्कालीन अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री शहबाज भट्टी की भी इस्लामाबाद में हत्या कर दी गई.
तस्वीर: AP
हत्याओं का जश्न
तासीर के हत्यारे मुमताज कादरी को पाकिस्तान की कट्टरपंथी ताकतों ने हीरो जैसा बना दिया. जेल जाते वक्त कादरी पर फूल बरसाए गए. 2016 में कादरी को फांसी पर चढ़ाए जाने के बाद कादरी के नाम पर एक मजार भी बनाई गई.
तस्वीर: AP
न्यायपालिका में भी डर
ईशनिंदा कानून के आलोचकों की हत्या के बाद कई वकीलों ने आसिया बीबी का केस लड़ने से मना कर दिया. 2014 में लाहौर हाई कोर्ट ने निचली अदालत का फैसला बरकरार रखा. इसके खिलाफ परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की. सर्वोच्च अदालत में इस केस पर सुनवाई 2016 में होनी थी, लेकिन सुनवाई से ठीक पहले एक जज ने निजी कारणों का हवाला देकर बेंच का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया.
तस्वीर: Reuters/F. Mahmood
ईशनिंदा कानून के पीड़ित
अक्टूबर 2018 में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने आसिया बीबी की सजा से जुड़ा फैसला सुरक्षित रख लिया. इस मामले को लेकर पाकिस्तान पर काफी दबाव है. अमेरिकी सेंटर फॉर लॉ एंड जस्टिस के मुताबिक सिर्फ 2016 में ही पाकिस्तान में कम से 40 कम लोगों को ईशनिंदा कानून के तहत मौत या उम्र कैद की सजा सुनाई गई. कई लोगों को भीड़ ने मार डाला.
तस्वीर: APMA
अल्पसंख्यकों पर निशाना
ईसाई, हिन्दू, सिख और अहमदी पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय का हिस्सा हैं. इस समुदाय का आरोप है कि पाकिस्तान में उनके साथ न्यायिक और सामाजिक भेदभाव होता रहता है. बीते बरसों में सिर्फ ईशनिंदा के आरोपों के चलते कई ईसाइयों और हिन्दुओं की हत्याएं हुईं.
तस्वीर: RIZWAN TABASSUM/AFP/Getty Images
कट्टरपंथियों की धमकी
पाकिस्तान की कट्टरपंथी इस्लामी ताकतों ने धमकी दी थी कि आसिया बीबी पर किसी किस्म की नरमी नहीं दिखाई जाए. तहरीक ए लबैक का रुख तो खासा धमकी भरा था. ईसाई समुदाय को लगता था कि अगर आसिया बीबी की सजा में बदलाव किया गया तो कट्टरपंथी हिंसा पर उतर आएंगे. और ऐसा हुआ भी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/B. K. Bangash
बीबी को अंतरराष्ट्रीय मदद
मानवाधिकार संगठन और पश्चिमी देशों की सरकारों ने आसिया बीबी के मामले में निष्पक्ष सुनवाई की मांग की थी. 2015 में बीबी की बेटी पोप फ्रांसिस से भी मिलीं. अमेरिकन सेंटर फॉर लॉ एंड जस्टिस ने बीबी की सजा की आलोचना करते हुए इस्लामाबाद से अल्पसंख्यक समुदाय की रक्षा करने की अपील की थी.
बीबी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उन्होंने इस मामले से बरी कर दिया. आसिया को बरी किए जाने के खिलाफ आई अपील को सुप्रीम कोर्ट ने सुनने से इंकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का लोगों ने विरोध किया. लेकिन आसिया सुरक्षित रहीं. अब आसिया बीबी ने पाकिस्तान छोड़ दिया है. बताया जाता है वो कनाडा में रहने लगी हैं.