1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जॉयस्टिक ने बदली अमेरिकी युद्ध की दिशा

१३ अक्टूबर २०११

अफगानिस्तान में तैनात अमेरिकी सैनिक ड्यूटी पर हों या न हों, काम एक ही जैसा करते हैं. जब वे ड्यूटी पर होते हैं तो जॉय स्टिक से हमले करते हैं. और जब वे ड्यूटी पर नहीं होते तो एक्सबॉक्स में विडियोगेम्स पर हमले करते हैं.

तस्वीर: gameplan.de

21 साल के विशेषज्ञ टाइलर सैंडस्की अपनी जिंदगी को कंप्यूटर गेम्स जैसे ही देखते हैं. अफगानिस्तान के कुनार में तैनात सैंडस्की कंप्यूटर पर बैठे दिन रात ऐसे निशानों की पहचान करते हैं जो दूर दराज के इलाकों में हैं. एक ट्रक में रखा अपना सिस्टम दिखाते हुए वह कहते हैं, "लोगों को देखना बड़ा मजेदार है. वे बहुत बहुत दूर हैं और उन्हें नहीं पता कि कोई उन्हें देख रहा है. जब आप अकेले होते हैं तो यह गेम जैसा ही लगता है."

उनका हथियार पॉइंट 50 कैलिबर की मशीनगन है जो 6.7 किलोमीटर दूर तक गोली चला सकती है. और इसे चलाने के लिए कंप्यूटर पर ठीक वैसे ही काम करते हैं जैसे किसी विडियो गेम में होता है. फर्क बस इतना है कि यहां कंप्यूटर पर बटन दबाने के बाद बूम की आवाज नहीं आती और मरने वाले लोग असली होते हैं. सैंडस्की बताते हैं, "आप लाल निशान देखते हैं और बस तभी आप जान जाते हैं कि ये तो गए."

तस्वीर: picture alliance/empics

चौकी पर जब सैनिक आराम कर रहे होते हैं तो वक्त बिताने का उनका पसंदीदा तरीका है विडियो गेम क्रोज (CROWS). सार्जेंट जॉन हेनिंगटन कहते हैं, "बहुत से लोग इसकी तुलना अपने काम से ही करते हैं. हम ज्यादातर वक्त यही गेम खेलते रहते हैं."

वियतनाम युद्ध से अब तक हथियारों के अलावा तकनीक ने अमेरिकी सैनिकों की जिंदगी बहुत बदल दी है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन्हें कितने दूर दराज में तैनात में किया गया है, वे लैपटॉप पर टीवी देख सकते हैं, ऑनलाइन खरीदारी कर सकते हैं और फेसबुक तथा स्काइप के जरिए अपने प्रियजनों को घर पर संदेश भेज सकते हैं.

इन परिवर्तनों ने युद्ध क्षेत्र में जिंदगी भले ही आरामदेह बना दी हो, लेकिन हथियारों का विकास अपने साथ नैतिक चिंताएं लेकर भी आया है. 22 वर्षीय स्पेशियलिस्ट सीन मैककेब कहते हैं, "यह दुश्मन का विमानवीयकरण है. हम विडियो गेम जेनरेशन के हैं, इसलिए क्रोज पद्धति के जरिए इसे गेम में ढ़ालना आसान है."

तस्वीर: AP

अमेरिकी नौसैनिक अकादमी के प्रोफेसर डिएन पीटर बेकर का कहना है कि दोनों में समानता कोई यूं ही नहीं है. वे कहते हैं, "सैनिकों के लिए परिचित एक्स बॉक्स और प्ले स्टेशन जैसे कंट्रोल डिजाइन कर इस तरह के सिस्टम बनाने वाली कंपनियों ने जानबूझकर उसे यूजर फ्रेंडली बनाया है."

सेना के ट्रकों पर लगे क्रोज ने गनरों के लिए गाड़ी से बाहर झांकने की जरूरत समाप्त कर दी है और इस तरह जवानों की सुरक्षा बढ़ा दी है. बेकर कहते हैं, "कल्पना कीजिए कि कैसा लगेगा जब आपका आधा शरीर हमवी गाड़ी के बाहर हो और सभी ओर गोलियां चल रही हों."

तकनीकी प्रगति पर सबसे ज्यादा बहस ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर चल रही है. ओबामा प्रशासन ने पाकिस्तान में तालिबान और अल कायदा के सुरक्षित ठिकानों पर हमला करने के लिए ड्रोनों का इस्तेमाल बढ़ा दिया है.

हालांकि विभिन्न अध्ययनों में अलग अलग बातें कही गई हैं, न्यू अमेरिका फाउंडेशन के लोकनीति संस्थान का कहना है कि ड्रोन ने पाकिस्तान में 2004 से अब तक 1667 से 2614 लोगों का मारा है जिनमें 20 प्रतिशत असैनिक नागरिक हैं. पाकिस्तान के आधिकारिक विरोध के कारण यह कार्यक्रम छुप कर चलाया जा रहा है और जिन पर हमला होता है या जो मरते हैं उनका नाम अमेरिकी अधिकारी शायद ही बताते हैं.

रोबोटिक हथियारों पर वायर्ड फॉर वार नामक किताब लिखने वाले लेखक पीटर सिंगर कहते हैं कि ड्रोन लक्ष्यों के ऊपर 24 घंटे तक उड़ान भर कर खुफिया सूचना इकट्ठा करने को भी बेहतर बना सकते हैं. इसके अलावा सैनिक रणनैतिक कारणों से भी छोटे ड्रोनों का इस्तेमाल करते हैं. बैटरी से चलने वाले रैवन को मॉडेल प्लेन की तरह आकाश में भेजकर पहाड़ के पार की स्थिति का जायजा लिया जा सकता है.

फरवरी में एयरोविरोनमेंट ने नानो हमिंगबर्ड पेश किया है जो 11 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है, घूम सकता है और लक्ष्य के ऊपर मंडरा सकता है. सिंगर कहते हैं कि कुछ साल पहले तक ड्रोन के इस्तेमाल को विज्ञान कथा माना जाता था, लेकिन अब युद्ध और आतंकवाद विरोधी संघर्ष में सामान्य हो गया है. सिंगर का कहना है कि अब 45 देश उसका इस्तेमाल करते हैं.

ड्रोन के इस्तामाल का मतलब यह है कि पाइलट के लिए मार गिराए जाने या बंदी बनाए जाने का खतरा समाप्त हो गया है. लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने चिंता व्यक्त की है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान में हो रहे ड्रोन हमले अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ हो सकते हैं. सिंगर का कहना है कि ड्रोन ने बल प्रयोग के फैसले के पैमाने को नीचे कर दिया है लेकिन अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि उनका इस्तेमाल उच्च स्तरीय कमान के तहत होता है और वे इस काम के लिए सबसे अच्छे साधन हैं.

रिपोर्ट: एएफपी/वी कुमार

संपादन: महेश झा

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें