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ज्यादातर पाकिस्तानी ओसामा पर हुए हमले के खिलाफ

२२ जून २०११

अधिकांश पाकिस्तानी अमेरिकी सेना द्वारा ओसामा बिन लादेन के ठिकाने पर मारे गए छापे के खिलाफ हैं जिसमें अल कायदा सरगना मारा गया था. यह बात एक सर्वे में सामने आई है.

तस्वीर: dapd

पिउ रिसर्च सेंटर द्वारा कराए गए सर्वे के अनुसार बहुत कम पाकिस्तानी अल कायदा का समर्थन करते हैं लेकिन बहुत से लोग 2 मई को अमेरिकी नेवी के कमांडो दस्ते द्वारा एबटाबाद में की गई कार्रवाई के असर से चिंतित हैं जिसमें आतंकवादी गुट का नेता मारा गया था.

इस अमेरिकी कार्रवाई का सिर्फ 10 फीसदी पाकिस्तानियों ने समर्थन किया है जबकि 63 फीसदी इसके खिलाफ हैं. बाकी ने कहा है कि वे अपनी राय के बारे में सुनिश्चित नहीं हैं. पिउ रिसर्च सेंटर ने पूरे पाकिस्तान में लोगों से मिलकर यह सर्वे कराया है. पाकिस्तानियों को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा पर भी भरोसा नहीं है. सिर्फ 8 फीसदी लोगों ने कहा है कि उन्हें यह भरोसा है कि ओबामा विश्व मामलों में सही कदम उठाएंगे.

तस्वीर: AP

भारत के बारे में भी पाकिस्तानियों की राय खराब हुई है. सर्वे के अनुसार 57 फीसदी लोगों ने भारत को पाकिस्तान के लिए तालिबान और अल कायदा से बड़ा खतरा बताया है. पाकिस्तान अफगानिस्तान में तालिबान का समर्थन करता था. लेकिन 2001 में अमेरिका पर आतंकी हमले के बाद वह आतंकवाद विरोधी संघर्ष में अमेरिका का सहयोगी बन गया.

पिछले सालों मे पाकिस्तान में आतंकवादी हमले बढ़े हैं और अमेरिका ने भी लापता उग्रपंथियों के खिलाफ ड्रोन हमलों में तेजी ला दी है. सर्वे के अनुसार 92 फीसदी पाकिस्तानी अपने देश की दिशा से नाखुश हैं. ज्यादातर लोगों का मानना है कि आने वाले साल अर्थव्यवस्था की हालत और खराब होगी. सिर्फ 11 फीसदी लोग परवेज मुशर्रफ की सैन्य सरकार के बाद नागरिक राष्ट्रपति बने आसिफ अली जरदारी को पसंद करते हैं.

इसके विपरीत बिन लादेन की मौत के बाद हुई कठोर आलोचना के बावजूद सेना के लिए समर्थन बना हआ है. 79 फीसदी लोग सेना को पाकिस्तान के लिए अच्छा मानते हैं जबकि 57 फीसदी सेना प्रमुख जनरल अशफाक कयानी के लिए अच्छे विचार रखते हैं. 76 प्रतिशत का कहना है कि मीडिया का पाकिस्तान पर अच्छा प्रभाव है.

पिउ रिसर्च सेंटर ने दो चरण में सर्वे कराया और इसके दौरान 3221 पाकिस्तानियों से सवाल पूछे. सुरक्षा कारणों से सर्वे में पाकिस्तान के 15 प्रतिशत हिस्से को शामिल नहीं किया गया.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: एस गौड़

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