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ज्यादा पी ली तो गाड़ी स्टार्ट ही नहीं होगी

४ फ़रवरी २०११

आतंकवाद से निपटने के लिए विकसित की गई तकनीक अब पियक्कड़ ड्राइवरों से भी निपटेगी. कार कंपनियां और अमेरिकी सरकार ऐसी कारें बनाने पर काम कर रही है कि अगर ड्राइवर ने बहुत अधिक शराब पी रखी हो, तो गाड़ी स्टार्ट ही नहीं होगी.

तस्वीर: DW/Arafatul Islam

दरअसल कुछ ऐसे उपकरण बनाए जा रहे हैं जो नई कारों में लगाए जाएंगे. यह तकनीक 11 सितंबर 2001 के आतंकवादी हमलों के बाद से खोजी सेंसरों के विकास का सीधा नतीजा है. आतंक के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तत्वों की, किसी व्यक्ति के पास या फिर पैकेटों में और सामान में मौजूद छोटी से छोटी मात्रा का पता लगाने वाली मशीनों की क्षमता में भारी प्रगति हुई है. दुनिया की बड़ी कार कंपनियों के व्यापारिक संगठन अलायंस ऑफ ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स में सुरक्षा-मामलों के उपाध्यक्ष रॉबर्ट स्ट्रासबर्गर का कहना है कि इस उपकरण को कारों में लगाए जाने की क्षमता हासिल करने में 5 से 7 वर्षों का समय लग जाएगा.

तस्वीर: picture-alliance/DPPI

लेकिन जब यह तकनीक इस्तेमाल में आ जाएगी तो पियक्कड़ों की कारों में लगाई जाने वाली ट्यूबें गुजरे जमाने की बात हो जाएंगी. अमेरिका के कुछ राज्यों में सीमा से अधिक शराब पीकर कार चलाने वालों को जुर्म साबित होने पर अपनी गाड़ियों में ऐसी ट्यूबें लगवानी पड़ती हैं. उनके बजाए कारों या ट्रकों में स्थायी रूप से लगाए जाने वाले सेंसर या फिर स्टार्टर बटन पर मौजूद स्पर्श-संवेदी उपकरण फौरन बता देंगे कि ड्राइवर के खून में अल्कोहल की कितनी मात्रा मौजूद है.

नशे के कारण बढ़ती दुर्घटनाएं

सीमा से अधिक शराब पीकर गाड़ी चलाने की घटनाएं अब भारत में भी बढ़ रही हैं. जहां तक अमेरिका में ऐसी दुर्घटनाओं की बात है, तो नेशनल हाईवे ट्रैफिक सेफ्टी ऐडमिनिस्ट्रेशन (एनएचटीएचए) के प्रबंधक डेविड स्ट्रिकलैंड कहते हैं, "पीकर गाड़ी चलाने से होने वाली दुर्घटनाएं अमेरिका की सड़कों पर होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण हैं, जिनसे 2009 में 10,000 से ज्यादा लोग मारे गए."

नई तकनीक के बारे में स्ट्रिकलैंड ने कहा, "यह तकनीक शराब के नशे में गाड़ी चलाने से होने वाली मौतों में नाटकीय कमी लाने का एक नया अवसर प्रस्तुत करती है और उससे हर साल बाकायदा हज़ारों जानें बचने की संभावना है."

नशे की पहचान एक सेकेंड से भी कम में

स्ट्रासबर्गर का संगठन इस तकनकी का विकास करने वाली टीम का हिस्सा है. उनका कहना है कि इन उपकरणों से युक्त गाड़ियों को दो साल के अंदर तैयार कर लेने का लक्ष्य रखा गया है. उद्देश्य है ऐसा उपकरण तैयार करना, जो एक सेकेंड से भी कम समय में प्रतिक्रिया करे और कम से कम 10 साल या एक लाख 57 हजार मील तक बिना मरम्मत के काम कर सके.

परियोजना की प्रमुख, सुरक्षा विशेषज्ञ सूज़न फ़र्गूसन का कहना है कि इस टेक्नॉलजी की तीन मुख्य कसौटियां तय की गई हैं - उपकरण के काम करने की तेज़ गति, उसकी सटीकता और स्पष्टता. सूज़न ने बताया कि फ़िलहाल अल्कोहल की हवा में मौजूद मात्रा का पता लगाने वाले सेंसरों से, ड्राइवर के कार में दाख़िल होने के पांच सेकेंड के अंदर प्रतिक्रिया देने का काम लिया जा स्कता है. स्पर्श से खून में अल्कोहल की मात्रा पता लगाने वाली प्रणाली इस समय 20 से 30 सेकेंड में काम करने लगती है.

तस्वीर: picture alliance / dpa

सूज़न फ़र्गूसन कहती हैं, "लेकिन आधुनिकतम टेक्नॉलजी की अगली पीढ़ी इस अवधि को बहुत नीचे ले आएगी."

थोड़ी सी ही पी है

एक मुश्किल यह है कि इस टेक्नॉलजी में इस अनुमान को आधार बनाया गया लगता है कि कोई भी ड्राइवर सीमा से अधिक पीने की हालत में आ सकता है. इस बात पर कारों के कुछ ख़रीदारों को गहरा एतराज़ हो सकता है. और फिलहाल यह भी साफ नहीं है कि कार में ऐसी टेक्नॉलजी लगाए जाने पर लागत कितनी आएगी.

सवाल यह है कि इन साधनों को लेकर आम लोगों में कितना उत्साह होगा. चलने से इनकार कर देने वाली गाड़ियां जनता में कितनी लोकप्रिय होने की उम्मीद की जा सकती है? दरअसल इस नई टेक्नॉलजी का काफी लोगों की सोच और इच्छा से टकराव हो सकता है, जो एक-दो पेग बिना किसी डर के पीना चाहते हैं. उन्हें लगता है कि ऐसी गाड़ियों से वह घर नहीं पहुंच पाएंगे.

अमेरिकियों के एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि 10 प्रतिशत लोगों ने पिछले वर्ष शराब के नशे में गाड़ी चलाने की बात स्वीकार की. उनमें से साढ़े पांच प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने दो बार ऐसा किया. इन तथ्यों की रोशनी में क्या ऐसे कदम का राजनीतिक प्रतिरोध नहीं होगा? यह देखते हुए कि 10 में से एक अमेरिकी को टैक्सी बुलानी पड़ती है या फिर पैदल घर जाना पड़ता है.

सवाल शुभकामना शैम्पेन का

पेय निर्माता और विक्रेता कंपनियों का संगठन अमेरिकन बेवरेज इंस्टिट्यूट इन साधनों के सभी के लिए अनिवार्य इस्तेमाल के खिलाफ है. संगठन की सैरा लॉंगवैल का कहना है, "इससे ऐसी स्थिति पैदा होती है, जिसमें आप तब तक दोषी माने जाएंगे, जब तक बेगुनाह साबित नहीं हो जाते. आम अमेरिकी कहेगा - बिल्कुल नहीं. मैं नशे में गाड़ी नहीं चलाता हूं. और कोई भी मुझसे ऐसी कार में बैठने को नहीं कह सकता."

तस्वीर: picture-alliance/DPPI

लॉंगवैल ने कहा कि अगर इन उपकरणों को 0.08 के कानूनी स्तर पर सेट कर दिया जाता है, तो उनका संगठन उनके आम इस्तेमाल पर राज़ी हो जाएगा, लेकिन लॉंगवैल का विचार है कि उपकरणों को इससे कहीं कम स्तर पर सेट किया जाएगा. उनका कहना है, "अमेरिकी नशे में गाड़ी चलाने के शत प्रतिशत ख़िलाफ़ हैं, लेकिन वे अपने को शाम के खाने के साथ एक गिलास वाइन, फ़ुटबॉल का खेल देखते हुए एक बियर या शादी के मौके पर शुभकामना की शैंपेन से वंचित नहीं करना चाहते."

लॉंगवैल ने कहा, "आज कार कंपनियां इस टेक्नॉलजी का कितना ही समर्थन क्यों न कर रही हों, अगर लोगों में इस टेक्नॉलजी को लेकर गुस्सा पैदा होता है, तो यही कंपनियां अपने क़दम पीछे हटा लेंगी."

रिपोर्टः वॉशिंगटन से गुलशन मधुर

संपादनः वी कुमार

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