1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

झुलसे अतीत की दास्तान कहती लाइब्रेरी

२७ अगस्त २०१२

सारायेवो की राष्ट्रीय लाइब्रेरी पर बीस साल पहले बोस्नियाई सर्बों ने भारी गोलाबारी की. उससे लगी आग में करीब तीस लाख किताबें और कलाकृतियां जल गईं. यह लोगों की सांस्कृतिक पहचान पर हमला था.

तस्वीर: AP

"मैं कीमती धरोहरों को बचाने के लिए लाइब्रेरी की ओर दौड़ा, लेकिन हम इसमें सिर्फ आंशिक रूप से सफल हुए," सारायेवो के संस्कृति प्रभारी दुब्राव्को लोव्रेनोविच बताते हैं, "आज बीस साल बाद बोस्निया-हैर्त्सेगोविना वह नहीं जो उस समय था. नेशनल लाइब्रेरी के विनाश के साथ मुल्क और शहर ने अपनी सांस्कृतिक पहचान का अहम हिस्सा खो दिया."

मस्जिद की मीनार और चर्च का टावरतस्वीर: DW

यह घटना 25 अगस्त 1992 के रात की है. बोस्निया में युद्ध चल रहा था और रादोवान काराचिच और जनरल रात्को म्लादिज के सर्ब सैनिकों ने राजधानी सारायेवो को घेर रखा था. उन पर इस समय युद्ध अपराध का मुकदमा चल रहा है. शहर के बीचोबीच मौजूद नेशनल लाइब्रेरी का कोई सैनिक महत्व नहीं था. लेकिन शहर को घेरे टैंकों ने इसे निशाना बनाया. आग बुझाने आए दमकल कर्मचारियों को भी बख्शा नहीं गया.

बर्बरता की जीत

गोलाबारी से लगी आग में नेशनल लाइब्रेरी पूरी तरह खत्म हो गया. वहां रखी 80 फीसदी चीजें जलकर राख हो गईं. तीस लाख किताबों के अलावा ऑटोमन साम्राज्य और एस्ट्रो हंगेरियन राजशाही के जमाने की सैकड़ों कलाकृतियां इंसानी वहशीपन की बलि चढ़ गई. कलाकृतियां बोस्निया के सैकड़ों साल के इतिहास और बहुसांस्कृतिक समाज की निशानी थी. नेशनल लाइब्रेरी पर हमला विवाद के केंद्रीय लक्ष्य को दिखाता है. यह लक्ष्य था पूरे समाज की सांस्कृतिक पहचान को मिटा देना. इसके लिए नया शब्द बना, सांस्कृतिक संहार.

मिरेला हुकोविच-होदिचतस्वीर: DW

लाइब्रेरी की इमारत ऑस्ट्रिया के एक आर्किटेक्ट ने 19वीं सदी के अंत में बनाई थी, जब बोस्निया-हैर्त्सेगोविना एस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्य का हिस्सा था. पहले यहां टाउन हॉल था. दूसरे विश्व युद्ध के बाद इस इमारत को नेशनल और यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी बना दिया गया. पत्रकार मिरेला हुकोविच-होदिच ने सारायेवो में पढ़ाई की है और इस लाइब्रेरी ने अरस्तू, हेगेल और कांट की किताबें पढ़ी हैं, "युद्ध पहले से ही चल रहा था, वह भयानक था, लेकिन जब मैंने विजेत्सनित्सा(टाउन हॉल) को जलते देखा तो मुझे इतना गहरा सदमा लगा कि मेरी बोलती बंद हो गई."

ग्रादीमिर ग्रोजरतस्वीर: DW

उसी क्षण उन्हें पता चल गया कि युद्ध क्यों हो रहा था, "हमें जोड़ने वाले धागे को तोड़ने के लिए और हर उस निशानी को मिटा देने के लिए जो अलग अलग लोगों ने संस्कृतियों ने साथ गुजारी थी." बोस्निया के थियेटर डायरेक्टर ग्रादीमिर ग्रोजर लाइब्रेरी के विनाश को बर्बरता की जीत और सदियों से साथ साथ रहते आए मुसलमानों, ईसाईयों और यहूदियों के साझा जीवन की समाप्ति बताते हैं. "साथ मिलकर जीने के सबूतों को मिटाना बहु-जातीय राज्य की नागरिक संहिता को नष्ट करना है."

संरक्षण की चाहत

नेशनल लाइब्रेरी दो दिनों तक जलती रही. लेखक वलेरियान जूजो ने लिखा है कि जब लाइब्रेरी जल रही थी, शहर के ऊपर काले पक्षी उड़ रहे थे. "ये बोस्निया और सारायेवो के उदय और पतन की बड़ी किताब के जले हुए पन्ने थे." युद्ध के दौरान ही नेशनल लाइब्रेरी की राख पर लोगों के अंदर यह इच्छा पैदा हुई कि बोस्निया की बहु सांस्कृतिक विरासत बचाने लायक है. गोजर कहते हैं, "कुछ लोगों ने सह-अस्तित्व के सांचे को नष्ट करने की कोशिश की थी. लेकिन वह कुछ ही समय के लिए सफल रही, क्योंकि हमारा इतिहास सिर्फ दस्तावेजों में ही नहीं लिखा था, वह यहां रहने वाले लोगों में भी जीता है."

सालों से चल रहा कामतस्वीर: DW

सारायेवो जाने वाले सैलानियों को ताज्जुब होता है कि युद्ध खत्म होने के 17 साल बाद भी लाइब्रेरी बनी क्यों नहीं है. विदेशों से आए धन की बदौलत शहर में रातों रात बड़ी बड़ी आधुनिक इमारतें बन गई हैं, लेकिन लाइब्रेरी का काम अभी भी चल रहा है. कोई जटिल आर्किटेक्चर को दोषी ठहराता है तो कोई अक्षम सरकारी अधिकारियों को. गोजर की शिकायत है कि लाइब्रेरी का काम तभी आगे बढ़ता है जब उससे राजनीतिज्ञों को फायदा हो. "युद्ध के बाद से किसी सरकार ने हमारे देश के भविष्य के लिए लाइब्रेरी के महत्व को नहीं समझा है." उन्हें उम्मीद है कि यह जल्द ही बदलेगा. सरकारी तौर पर काम अप्रैल 2014 तक पूरा हो जाएगा.

रिपोर्टः समीर हुसैनोविच/एमजे

संपादनः एन रंजन

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें