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झूठे दावों से भरा रहा डॉनल्ड ट्रंप का रिपब्लिकन कन्वेंशन

२६ अगस्त २०२०

कन्वेंशन की दूसरी शाम अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप ने नस्लीय भेदभाव और कोरोनो वायरस के पीड़ितों के लिए सहानुभूति व्यक्त करते हुए भाषण दिया, तो विदेश मंत्री माइक पॉम्पेयो की उपस्थिति विवादों के घेरे में आ गई.

Washington Weißes Haus Rede Melania Trump vor Parteitag der Republikaner
तस्वीर: Reuters/K. Lamarque

कोरोना महामारी से पीड़ित लोगों को संबोधित करते हुए मेलानिया ट्रंप ने कहा, "मैं आपको बताना चाहती हूं कि आप अकेले नहीं हैं." यह भाषण उन्होंने व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में खड़े हो कर दिया और इसका मकसद था उन महिला मतदाताओं को लुभाना जिन्होंने ट्रंप का साथ छोड़ दिया है. हाल के महीनों में डॉनल्ड ट्रंप की रेटिंग काफी ज्यादा गिर गई है और खास कर महिलाओं के बीच उनकी लोकप्रियता में भारी कमी आई है. रिपब्लिकन पार्टी के इस राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान मेलानिया ट्रंप ने महामारी के असर को स्वीकारते हुए भाषण दिया, जो कि कन्वेंशन में दिए गए बाकी के भाषणों से अलग था. उन्होंने कहा, "मैं इस तथ्य को स्वीकार करना चाहती हूं कि मार्च के बाद से हमारे जीवन में भारी बदलाव आया है. मेरी संवेदनाएं उन सभी लोगों के साथ हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है."

फर्स्ट लेडी ने मई में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद महीनों तक देश में फैले विरोध और नस्लीय अशांति पर भी बात की. उन्होंने कहा, "मैं लोगों से अपील करती हूं कि सभ्य रूप से साथ आएं ताकि हम अमेरिकी आदर्शों के अनुरूप मिल कर इस दिशा में काम कर सकें. मैं लोगों से आग्रह करती हूं कि न्याय के नाम पर की जा रही हिंसा और लूटपाट को रोकें और कभी किसी व्यक्ति की त्वचा के रंग के आधार पर धारणाएं ना बनाएं."

तस्वीर: Reuters/K. Lamarque

मंगलवार रात रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन में जो जो भाषण दिए गए, उन्होंने ना केवल देश, बल्कि दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी हैं और गलत तथ्य प्रस्तुत किए जाने के लिए इनकी काफी निंदा भी हो रही है. इस दौरान चीन के साथ अमेरिका के संबंधों, सेना में दिए जाने वाले वेतन और ट्रंप के दौर में अर्थव्यवस्था समेत कई अहम बिंदुओं को छुआ गया और लोगों को गलत सूचना दी गई. मिसाल के तौर पर मेलानिया ट्रंप ने दावा किया कि ट्रंप पहले अमेरिकी राष्ट्रपति थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए "दुनिया भर के देशों से धार्मिक उत्पीड़न को समाप्त करने और अपने धर्म की उपासना करने के अधिकार का सम्मान करने का आह्वान" किया था. जबकि सच्चाई यह है कि ट्रंप से पहले भी अन्य अमेरिकी राष्ट्रपति ऐसा कर चुके हैं. पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी संयुक्त राष्ट्र महासभा में धार्मिक सहिष्णुता पर भाषण दिया था.

यरुशलम से जुड़े माइक पॉम्पेयो

विदेश मंत्री माइक पॉम्पेयो ने यरुशलम से संबोधन देते हुए ट्रंप के "अमेरिका फर्स्ट" नारे का बचाव करते हुए कहा, "इसने उन्हें भले ही हर विदेशी राजधानी में लोक्रपिया ना बनाया हो लेकिन इसने काम किया है." अमेरिका में आम तौर पर विदेश मंत्री घरेलू राजनीति में शामिल होने से बचते हैं लेकिन इस कन्वेंशन का हिस्सा बन कर माइक पॉम्पेयो ने दशकों से चली आ रही इस परंपरा को तोड़ दिया. उनकी उपस्तिथि ने ऐसा विवाद खड़ा कर दिया है कि डेमोक्रेटिक पार्टी ने इस पर जांच की मांग की है. इसे संघीय कानून का उल्लंघन बताया जा रहा है. पॉम्पेयो ने चीन मामले पर राष्ट्रपति ट्रंप के कड़े रुख की प्रशंसा करते हुए कहा कि ट्रंप ने "चीन के साथ अनुचित व्यापार सौदों को समाप्त कर दिया है जो हमारी अर्थव्यवस्था में छेद कर रहे थे " और उन्होंने "चीनी वायरस का सच छिपाने और अमेरिका तथा दुनिया भर में उसके जरिए मौत और आर्थिक विनाश को फैलाने के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया है."

तस्वीर: Reuters/K. Lamarque

हालांकि पॉम्पेयो ने इस दौरान यह नहीं बताया कि शुरुआत में खुद ट्रंप ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महामारी में वायरस की रोकथाम के लिए प्रशंसा भी की थी. ट्रंप ने तब उन्हें "बेहद सक्षम" बताया था और कहा था कि वे "बहुत ही कठिन परिस्थिति के साथ बहुत अच्छा काम कर रहे हैं." साथ ही पॉम्पेयो ने यह दावा भी कर दिया कि "राष्ट्रपति के दृढ़ संकल्प और नेतृत्व के कारण आईएसआईएस खिलाफत का सफाया हो गया है." जबकि सच्चाई यह है कि इस्लामिक स्टेट आज भी मौजूद है और खतरा बना हुआ है.

इसके अलावा ट्रंप के बेटे एरिक ने अपने भाषण में दावा किया कि "जो बाइडेन ने पुलिस का बजट काटने का फैसला किया है." जबकि बाइडेन इससे पहले ही साफ कर चुके हैं कि उन्हें पुलिस बजट में कटौती के बारे में कहा गया था लेकिन वे इस प्रस्ताव को खारिज कर चुके हैं. अपने कैम्पेन में वे पुलिस बजट बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं. साथ ही एरिक ने यह भी दावा किया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने सैनिकों के वेतन में इजाफा किया है. अमेरिका में सैन्य वेतन में हर साल वृद्धि होती है. इसके अलावा ट्रंप काल में सैनिकों के वेतन में कोई अतिरिक्त बढ़ोतरी नहीं हुई है. यह रिपब्लिकन कन्वेंशन 27 अगस्त तक चलेगा. आने वाले दिनों में और किस किस तरह के दावे होते हैं, यह देखना दिलचस्प रहेगा.

आईबी/एए (डीपीए, रॉयटर्स)

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