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झूठ है डोनेस्क का संघर्षविराम

२२ सितम्बर २०१४

यूक्रेन संकट दो हजार से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है. रूस और यूक्रेन समर्थकों के बीच युद्धविराम के समझौते बावजूद उत्तरी इलाके डोनेस्क में हमले जारी हैं. वहां रह रहे लोग संघर्षविराम के झूठ के साथ जी रहे हैं.

Ukrainische Soldaten in Donezk Bewaffnung
तस्वीर: Reuters/Gleb Garanich

वेलेंटीना एवडोकिमोवा अपने पांच बच्चों के साथ डोनेस्क में अपने घर लौटी हैं. युद्ध के हालात से परिवार को बचाने के लिए दो महीने पहले उन्होंने शहर छोड़ दिया था. अब जब युद्धविराम की बात हुई, तो उन्होंने घर लौटना सही समझा. लेकिन अब कुछ भी पहले जैसा नहीं है.

घर के आंगन में बैठी वेलेंटीना आसपास हो रही बमबारी के शोर से परेशान है. निराशा भरे स्वर में वह कहती हैं, "हमने उम्मीद की थी कि सब शांत हो गया होगा. इसीलिए तो हम बच्चों को वापस ले आए. हमें लौटे एक हफ्ता हो गया और इस बीच हर रोज यहां गोलाबारी और धमाके हुए हैं. युद्धविराम तो है ही नहीं."

वेलेंटीना के घर के पास एक बाजार हुआ करता था. अब यहां बस मलबा पड़ा है. दुकानों के मालिक बचा खुचा कुछ सामान ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं. कुछ दिन पहले यहां धमाका हुआ और छह लोगों की जान चली गयी.

यह इलाका डोनेस्क के एयरपोर्ट के पास है. हवाई अड्डे पर कब्जा करने के लिए लड़ाई चल रही है. करीब की एक बिल्डिंग पर भी हमला हुआ. दीवारों के चीथड़े उड़ गए, खिड़कियां चूर चूर हो चुकी हैं, फिर भी लोग यहां रह रहे हैं. इसी बिल्डिंग से एक महिला हाथ में दो थैले लिए बाहर निकलती है और बस स्टॉप की तरफ बढ़ने लगती है. आसपास हो रही गोलाबारी से जैसे उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा. पूछे जाने पर बहुत ही शांत स्वर में वह कहती है, "अब तो यह कानों को संगीत जैसा लगता है."

तस्वीर: picture-alliance/dpa/Roman Pilipey

इस संगीत की आदत अभी हर किसी को नहीं पड़ी है. बहुत से लोग अपना घर छोड़ शहर के सरकारी स्कूल में रहने आ गए हैं. यहां अब पढ़ाई नहीं होती, बल्कि लोगों के लिए एक कैंप लगा दिया गया है. रात को लोग अंधेरी, नम और तकलीफदेह बेसमेंट में सोते हैं. हालांकि यहां भी दो बार हमला हो चुका है और लोग घबराए हुए हैं.

वेलेंटीना को भी परिवार की सुरक्षा की चिंता सता रही है, "शुक्र है कि अब तक हमारा घर बचा हुआ है. लेकिन मैं नहीं जानती कि अगले पांच मिनट में क्या होगा. हर वक्त धमाकों की आवाजें आती रहती हैं. बच्चे बुरी तरह डरे हुए हैं. हर आवाज उन्हें चौंका देती है."

वेलेंटीना अब चाह कर भी डोनेस्क नहीं छोड़ पा रहीं. शहर से निकालना खतरे से खाली नहीं है और और पैसे की भी किल्लत है. कुछ समय बाद सर्दी का मौसम शुरू हो जाएगा. ऐसे में किसी दूसरी जगह अगर चले भी जाएं तो कम से कम बच्चों के लिए गर्म कपड़ों का इंतजाम तो करना ही होगा. लेकिन सब दुकानों के बंद होने के कारण ऐसा करना मुमकिन नहीं है. इसलिए वेलेंटीना अब कोई जोखिम नहीं उठाना चाहतीं.

बाकी लोगों की तरह वह भी अब किस्मत के हाथों सब छोड़ देना चाहती हैं. वह उम्मीद कर रही हैं कि एक दिन सब ठीक हो जाएगा. लेकिन तब तक उन्हें डोनेस्क के संघर्षविराम के झूठ के साथ ही जीना होगा.

रिपोर्ट: किट्टी लोगन/आईबी

संपादन: महेश झा

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