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टमाटर, पालक के जरिए वोटरों को लुभा रहे हैं एर्दोवान

२५ फ़रवरी २०१९

तुर्की में स्थानीय चुनावों की तैयारी तेजी से चल रही है. दिलचस्प है कि प्रचार में सब्जियों से लेकर विदेशी ताकतों का नाम इस्तेमाल हो रहा है. बेकाबू महंगाई के बीच चुनाव लड़ने जा रही सरकार नए पैतरों से जनता को लुभा रही है.

Türkei Regierung verkauft verbilligtes Obst und GemüseTürkei Regierung verkauft verbilligtes Obst und GemüseTürkei Regierung verkauft verbilligtes Obst und Gemüse
तस्वीर: AFP/A. Altan

मार्च के महीने में तुर्की के कई इलाकों में स्थानीय चुनाव होने हैं. मध्यमवर्गीय परिवारों से भरे देश के सबसे बड़े शहर इंस्ताबुल में इन चुनावों की तैयारियां भी दिखने लगी हैं. लेकिन इस बार तैयारियां पिछले चुनावों से कुछ अलग रही है. सत्ता में काबिज राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोवान की पार्टी ने चुनावी जंग में पालक, टमाटर, काली मिर्च जैसी चीजों को हथियार बनाया है. दरअसल देश में खाने-पाने की चीजें महंगी हो रही हैं, जिसे देखते हुए सरकार ने छह शहरों में खानपान के सामानों को बेचने वाली अस्थायी दुकानें खड़ी कर दी हैं.

एर्दोवान जानते हैं कि महंगाई से जूझ रहे देश में निम्न और मध्यम वर्गीय परिवार उनकी पार्टी का सबसे बड़े वोट बैंक हैं. यहां तक की अपने चुनावी भाषणों में राष्ट्रपति देश में बढ़ती महंगाई के लिए विदेशी ताकतों को दोष देना नहीं भूल रहे हैं. एक चुनावी भाषण में एर्दोवान ने आर्थिक मंदी को विदेशी साजिश करार देते हुए कहा था कि सरकार और लोग कीमतों में आई तेजी का सामना ठीक वैसे ही करेंगे जैसे उन्होंने आतंकी समूहों का किया.

तस्वीर: Reuters/M. Sezer

उन्होंने कहा, "जो हमें खाने को लेकर आतंकित करते आ रहे हैं, उन्हें हम सिखाते रहे हैं और आगे भी सबक सिखाते रहेंगे." सरकार आम जनता से वादा कर रही है कि वह सस्ती दरों पर सामान बेचने वाली दुकानों में इजाफा करेगी. इंस्ताबुल में रहने वाले 38 साल के रेहान केलीजी कहते हैं कि ऐसे लोग जो न्यूनतम दरों पर काम करते हैं वे सामान खरीदने के लिए बड़ी दुकानों पर नहीं जा सकते. रेहान कहते हैं, "सरकार की ओर से टेंटों में खोली गई ये अस्थाई दुकानें हम जैसे लोगों के लिए अच्छी हैं." रेहान ऐसी दुकानों से सामान खरीदने के लिए लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं. 

महंगाई से जूझता तुर्की

तुर्की में महंगाई का सबसे बड़ा कारण अमेरिकी डॉलर के मुकाबले स्थानीय मुद्रा लीरा का टूटना है. अगस्त 2018 में इसकी कीमत में डॉलर के मुकाबले तकरीबन 33 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. जनवरी 2019 में महंगाई दर तकरीबन 20 फीसदी के करीब रही. वहीं खानपान की वस्तुओं के दाम में 31 फीसदी की तेजी आई, जो पिछले 15 सालों में सबसे अधिक है. लीरा के गिरने से आयातित खाद्य सामग्री महंगी हो रही है. हालांकि देश के भीतर तैयार होने वाले माल की कीमतें भी लगातार बढ़ रही हैं क्योंकि खेती करना लोगों के लिए महंगा हो गया है.

तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Altan

इंस्ताबुल यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर सेल्वा डेमिराल्प कहती हैं कि तुर्की में खराब होती स्थिति को खराब मौसम ने और भी खस्ता कर दिया है. दक्षिणी तुर्की के इलाके इन दिनों बाढ़ के कहर से जूझ रहे हैं और ये राष्ट्रपति एर्दोवान के लिए भी चिंता का विषय है. उन्होंने कहा, "आर्थिक कारणों का चुनावों पर असर होता है. यह किसी भी सरकार के प्रदर्शन पर असर डाल सकते हैं."

एए/ओएसजे (एपी)

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