टाटा समूह ने बनाया जल्दी नतीजे देने वाला कोविड टेस्ट
९ नवम्बर २०२०
टाटा ने केंद्र सरकार के साथ मिल कर कोविड-19 की तेज जांच के लिए एक नया टेस्ट विकसित किया है. इसकी मदद से आरटी-पीसीआर टेस्ट से ज्यादा जल्दी और रैपिड एंटीजेन टेस्ट से अधिक विश्वसनीय नतीजे हासिल किए जा सकेंगे.
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आरटी-पीसीआर की तरह इस नए टेस्ट के लिए भी सैंपल नाक से लिए जाते हैं. टाटा समूह की कंपनी टाटा मेडिकल एंड डायग्नोस्टिक्स जल्द ही चेन्नई स्थित अपने संयंत्र में इसके 10 लाख किट बनाना शुरू कर देगा और उसके बाद उत्पादन की मात्रा बढ़ाएगा. टेस्ट का नाम टाटाएमडी चेक है और कंपनी के सीईओ गिरीश कृष्णमूर्ति ने रॉयटर्स को बताया कि इससे 90 मिनट में जांच के नतीजे मालूम किए जा सकते हैं.
अगले महीने से अस्पतालों और प्रयोगशालाओं के जरिए इसकी बिक्री शुरू हो जाएगी. शुरू में देश के अंदर ही बिक्री पर ध्यान दिया जाएगा. कृष्णमूर्ति का कहना है, "आपको इसके लिए कोई बड़े और महंगे उपकरण नहीं चाहिए जिसकी वजह से यह और ज्यादा सरल और आसानी से उपलब्ध होने वाला टेस्ट है." उन्होंने बताया कि सैंपलों की जांच करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन पर आधारित एक प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाएगा.
भारत में पिछले 24 घंटों में कोविड-19 के 45,903 मामले सामने आए जिससे अभी तक दर्ज किए गए कुल मामलों की संख्या बढ़ कर 85.5 लाख हो गई. कुल मामलों की संख्या में सिर्फ अमेरिका भारत से आगे है. देश में मरने वालों की संख्या में 490 लोगों का नाम जुड़ गया, और मरने वालों की कुल संख्या बढ़ कर 1,26,611 हो गई. भारत में रोज 10 लाख से ज्यादा टेस्ट किए जाते हैं लेकिन उनमें से करीब 60 प्रतिशत टेस्ट रैपिड-एंटीजेन टेस्ट होते हैं, जो ज्यादा तेज लेकिन कम सटीक होते हैं.
इस टेस्ट को करने के लिए नाक से लिए गए सैंपल को लैब तक ले जाने की जरूरत नहीं होती. जहां भी सैंपल लिया गया वहीं पर जांच की जाती है और 15 मिनट से 30 मिनट में नतीजा सामने आ जाता है. आरटी-पीसीआर टेस्ट में नतीजा सामने आने में तीन से पांच घंटों तक का समय लगता है. इसके अलावा सैंपल को लैब तक पहुंचाने में भी समय लगता है, जिसकी वजह से नतीजे सामने आने में कुल मिलाकर कम से कम एक पूरा दिन लग जाता है.
भारत जांच की संख्या बढ़ा कर प्रतिदिन डेढ़ लाख करना चाहता है. विशेषज्ञों ने कहा है कि रैपिड टेस्ट पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता की वजह से सामने आने वाले संक्रमण के मामलों की संख्या कम रह सकती है. अपने नए टेस्ट के बारे में बताते हुए कृष्णमूर्ति कहते हैं, "हमारी आकांक्षा है कि यह टेस्टिंग में एक नया पैमाना बने." भारत सरकार के अनुसार यह टेस्ट सीआरआईएसपीआर जीनोम एडिटिंग तकनीक पर आधारित है.
इसी तकनीक की खोज के लिए वैज्ञानिकों इमानुएल शॉपोंतिये और जेनिफर ए डुडना को इस साल का रसायन का नोबेल पुरस्कार मिला. इसी तकनीक पार आधारित कोविड-19 जांच की इस तकनीक को देश में ही विकसित किया गया है. यह एसएआरएस-सीओवी-2 वायरस के जीनोम सीक्वेंस को ढूंढ निकालता है.
लोगों की नजरें इस वक्त कोरोना वैक्सीन के ट्रायल पर टिकी हुईं हैं. कई देशों में इस वक्त कोरोना की वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है. रूस, अमेरिका, चीन और भारत में तेजी से काम हो रहा है. जानिए कहां-कहां वैक्सीन पर काम चल रहा है.
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वैक्सीन पर नजर
भारत में केंद्र सरकार हर एक व्यक्ति को कोरोना की वैक्सीन लगाने की तैयारी में जुटी हुई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन के मुताबिक जुलाई 2021 तक 20-25 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य है. इसके लिए वैक्सीन की 40-50 करोड़ डोज हासिल करने की योजना है.
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भारत में वैक्सीन की रेस
इस वक्त भारत में दो वैक्सीन पर काम चल रहा है. दोनों ही वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के दूसरे चरण में हैं. एक वैक्सीन को हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक बना रही है और दूसरी वैक्सीन पर जाइडस कैडिला काम कर रही है. अगर ट्रायल सही तरीके से चलता है तो अगले साल तक भारत में यह वैक्सीन उपलब्ध होगी.
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अमेरिका में वैक्सीन कब
चुनाव के प्रचार के दौरान डॉनल्ड ट्रंप कह चुके हैं कि नवंबर तक अमेरिका में वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी. हाल ही में उन्होंने कहा था कि अगले साल अप्रैल तक देश की पूरी आबादी के लिए पर्याप्त टीका उपलब्ध होगा. इस बीच अमेरिकी दवा कंपनी मॉडर्ना के टीके के फेज 1 के नतीजे सकारात्मक आए हैं. कंपनी अमेरिकी सरकार के साथ मिलकर टीका बना रही है.
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एस्ट्राजेनेका से उम्मीद ज्यादा !
एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी मिलकर कोरोना वायरस के टीके पर काम कर रही है. लेकिन पिछले दिनों ट्रायल में शामिल एक व्यक्ति बीमार हो गया था जिसके बाद परीक्षण को रोक दिया गया था. एक हफ्ते तक ट्रायल रोकने के बाद उसे दोबारा शुरू कर दिया गया था.
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जर्मन कंपनी का टीका
जर्मनी की बायोएनटेक ने न्यूयॉर्क स्थित फाइजर के साथ टीका बनाने को लेकर करार किया है. कंपनी एक ऐसी वैक्सीन पर काम कर रही है जिसमें दो खुराक दी जाएगी. कंपनियों ने कहा है कि अगर ट्रायल सफल रहा तो अक्टूबर के आखिरी तक सरकार से मंजूरी ली जा सकती है. कंपनी का कहना है कि अगर वैक्सीन सफल होती है तो अगले साल के अंत तक 1.3 अरब टीके तैयार हो जाएंगे.
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चीन की वैक्सीन कहां पहुंची
चीन के वुहान से ही कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैला और इसके बाद देश दावा करता आ रहा है कि वह भी तेज गति से कोरोना वायरस के टीके पर काम कर रहा है. चीन में सिनोवेक बायोटेक और सिनोफार्म की वैक्सीन पर तीसरे फेज का ट्रायल चल रहा है.
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रूस की स्पुतनिक-5 वैक्सीन
11 अगस्त को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एलान कर सबको चौंका दिया कि रूस कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन बनाने वाला पहला देश बन गया है. वैक्सीन को स्पुतनिक-5 नाम दिया गया और तीसरे चरण के ट्रायल के बिना ही इसे मंजूरी मिल गई. विशेषज्ञों ने ऐसे कदम की आलोचना भी की.