टिकटॉक पर अवैध रूप से बच्चों का डाटा चोरी करने का आरोप
२२ अप्रैल २०२१
चीनी शॉर्ट-वीडियो मेकिंग ऐप टिकटॉक के खिलाफ ब्रिटेन में एक मामला दायर किया गया है, जिसमें आरोप लगाया है कि अवैध रूप से बच्चों की व्यक्तिगत जानकारी जमा की गई है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Jiji Press/Y. Kurose
विज्ञापन
इंग्लैंड के एक पूर्व बच्चों के आयुक्त ऐनी लॉन्गफील्ड ने ब्रिटेन और यूरोपीय आर्थिक क्षेत्र के उन लाखों बच्चों की ओर से उच्च न्यायालय में दावा किया है जिन्होंने 25 मार्च 2018 से टिकटॉक का इस्तेमाल शुरु किया है. द गार्डियन के अनुसार, लॉन्गफील्ड का आरोप है कि ऐप यूके और यूरोपीय संघ के बच्चों के डाटा सुरक्षा कानून का उल्लंघन कर रहा है और इसका उद्देश्य लाखों बच्चों की जानकारी को संसाधित कर मौजूदा डाटा को हटा देना है, जिससे अरबों पाउंड की क्षतिपूर्ति चल सके.
13 साल की न्यूनतम आयु की आवश्यकता के बावजूद, यूके के संचार नियामक ने पिछले साल पाया कि यूके में आठ से 12 साल के बच्चों में से 42 प्रतिशत ने टिकटॉक का उपयोग किया था. फेसबुक जैसी अन्य सोशल मीडिया कंपनियों के साथ भी लंबे समय से डाटा कलेक्शन को लेकर चिंता बनी हुई है और ब्रिटेन के सूचना आयुक्त कार्यालय टिकटॉक द्वारा बच्चों की निजी जानकारी को संभालने की जांच कर रहा है.
फैशन से लेकर राजनीति तक: मिलिए जर्मनी के सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों से
जर्मनी में कई युवाओं को अपने ऑनलाइन आइडलों की नकल करना बहुत पसंद है. जानिए ऐसा क्या करते हैं जर्मनी के सबसे मशहूर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर.
बियांका के यूट्यूब चैनल को "बीबीजब्यूटीपैलेस" के नाम से जाना जाता है. उनकी कोशिश सोशल मीडिया पर एक आम लड़की की छवि बनाने की रही है और इस कोशिश में उन्हें काफी सफलता हासिल हुई है. उनकी संपत्ति 36 लाख डॉलर के आस पास होने का अनुमान है, जो उन्होंने अपने यूट्यूब वीडियो, इंस्टाग्राम पर विज्ञापन और अपने सौंदर्य ब्रांड से कमाई है. यूट्यूब पर उनके 60 लाख सब्सक्राइबर हैं और इंस्टाग्राम पर लगभग 80 लाख फॉलोवर.
तस्वीर: Jens Kalaene/dpa/picture alliance
यूनिस जारु
यूनिस जारु जर्मनी के सबसे सफल टिकटॉक सितारा हैं. उनके दो खाते हैं जिन्हें मिला कर उनके कुल तीन करोड़ फॉलोवर हैं. वो काफी रंगीन वीडियो चढ़ाते हैं और साथ में अपने 'डीआईवाई' या 'खुद से करो' वीडियो भी चढ़ाते हैं. मार्च 2020 में उन्होंने एक महीने तक लगातार अपने सही फॉलोवरों का मनोरंजन किया.
तस्वीर: Bernd Kammerer/dpa/picture alliance
पामेला रीफ
फिटनेस इन्फ्लुएंसर पामेला रीफ के खिलाफ 2020 में छिपा कर विज्ञापन करने का मुकदमा लाया गया था जिसे वो हार गयी थीं. अदालत ने कहा था कि इंस्टाग्राम पर विज्ञापन को विज्ञापन बताया जाना चाहिए, भले ही वो निशुल्क लगने वाली अनुशंसा ही क्यों ना हो. हालांकि इससे उनकी लोकप्रियता पर कोई असर नहीं पड़ा और कोविड-19 महामारी के दौरान उनके सभी वीडियो की लोकप्रियता बढ़ गई.
लीजा और लेना मैंटलर ने 13 साल की उम्र से ही लिप-सिंकिंग और डांस के वीडियो म्यूजिकल.एलवाई नाम के मंच पर चढ़ाने शुरू कर दिए थे. बाद में यही मंच टिकटॉक बन गया और यह दोनों उस पर काफी सफल हो गए. मार्च 2019 में दोनों ने सुरक्षा कारणों से खुद को टिकटॉक से हटा लिया, लेकिन मई 2020 में वे वापस आ गए.
तस्वीर: Clemens Bilan/Getty Images
ग्रोंख
ग्रोंख का असली नाम एरिक रेंज है. वो गेमिंग के क्षेत्र के पुराने खिलाड़ी हैं और उसके सबसे सफल इन्फ्लुएंसरों में से भी हैं. यूट्यूब पर 2010 से ही उनका एक चैनल है और दो सालों तक सभी जर्मन चैनलों में उनके सबसे ज्यादा सब्सक्राइबर थे. उन्हें उनके "लेट्स प्ले" वीडियो के लिए जाना जाता है जो उन्होंने खुद पर ही वीडियो गेम खेलते हुए फिल्माए थे. ग्रोंख स्ट्रीमिंग चैनल ट्विच पर भी काफी लोकप्रिय हैं.
तस्वीर: Christoph Hardt/Future Image/imago images
स्टेफनी गीसिंजर
फैशन, सौंदर्य और यात्रा वो सभी विषय हैं जिन्हें इंस्टाग्राम का इस्तेमाल करने वाले पसंद करते हैं और स्टेफनी यह बात अच्छी तरह से जानती हैं. वो इन सभी विषयों पर जर्मनी की चोटी की इन्फ्लुएंसरों में से हैं. 2014 में "जर्मनी के अगले टॉप मॉडल" का खिताब मिला था, लेकिन आज कल तो कैटवॉक पर कम ही देखी जाती हैं. उन्होंने अपने ही सस्टेनेबल फैशन लेबल की शुरुआत भी की है.
रीजो एक यूट्यूबर हैं और वो मनोरंजन के अलावा राजनीतिक वीडियो भी बनाते हैं. 2019 में उनके वीडियो "सीडीयू का विनाश" ने जर्मनी में सनसनी पैदा कर दी थी. उसे 1.8 करोड़ बार देखा गया था और यूट्यूब का कहना था कि वो जर्मनी में उस साल का सबसे ज्यादा देखा गया वीडियो था. यह दिखता है कि रीजो जैसे यूट्यूबर कितने प्रासंगिक हो गए हैं.
तस्वीर: Privat/dpa/picture alliance
मारी नासेमान
मारी सस्टेनेबिलिटी पर ध्यान केंद्रित करने वाले सबसे लोकप्रिय इन्फ्लुएंसरों में से हैं. वो अपने ब्लॉग "फेयरनॉल" पर सस्टेनेबल फैशन के बारे में लिखती हैं. उन्हें एक "सेंस-इन्फ्लुएंसर" कहा जाता है, यानी एक ऐसी इन्फ्लुएंसर जो अपनी लोकप्रियता का इस्तेमाल उन विषयों पर चर्चा करने के लिए करती है जो उसे अहम और सार्थक लगते हैं. जैसे सस्टेनेबिलिटी, फेमिनिज्म या वेगन न्युट्रिशन. - मारिया जॉन सांचेज
लॉन्गफील्ड ने कहा, "हम यह कहने की कोशिश नहीं कर रहे हैं कि यह मजेदार नहीं है. परिवार इसे पसंद करते हैं. यह कुछ ऐसा है जो लॉकडाउन में सच में जरूरी है, इससे लोगों को संपर्क रखने में मदद मिली है, उन्हें बहुत मजा आया है. लेकिन मेरा विचार यह है कि उसके लिए भुगतान करने की कीमत वहां नहीं होनी चाहिए. अपने वित्तीय लाभ के लिए उनकी व्यक्तिगत जानकारी जमा करना गलत है, वो भी तब जब उन्हें इसकी जानकारी भी न हो."
कानूनी दावे में आरोप लगाया गया है कि टिकटॉक बच्चों की व्यक्तिगत जानकारी को पर्याप्त चेतावनी, पारदर्शिता या कानून द्वारा आवश्यक सहमति और बिना माता-पिता और बच्चों की जानकरी को लेता है, बिना उन्हें बताए कि उनकी निजी जानकारी के साथ क्या किया जा रहा है. लिंगफील्ड का मानना है कि अकेले ब्रिटेन में 35 लाख से अधिक बच्चे इससे प्रभावित हुए हैं.
आईएएनएस/आईबी
कैसा है टिकटॉक को खरीदने की दावेदार माइक्रोसॉफ्ट का चीन से खास रिश्ता
अमेरिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट टिकटॉक के अमेरिकी कारोबार के सबसे अग्रणी भावी खरीदार के रूप में उभर कर आई है. अगर इन दोनों के बीच सौदा हो जाता है तो ये माइक्रोसॉफ्ट के चीन के प्रति रुख के अनुकूल ही होगा.
तस्वीर: Reuters
बाकियों से अलग
गूगल और फेसबुक जैसी दूसरी बड़ी अमेरिकी तकनीकी कंपनियां चीन में सरकारी प्रतिबंधों के आगे अपने हाथ खड़े कर चुकी हैं. माइक्रोसॉफ्ट चीन में हर साल दो बिलियन डॉलर कमाता है.
तस्वीर: Getty Images/J. Moon
चीन में माइक्रोसॉफ्ट
चीन में माइक्रोसॉफ्ट के लगभग 6,000 कर्मचारी हैं. देश में विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम का काफी इस्तेमाल होता है. कंपनी चीन में अपना ऐज्यूर क्लाउड कंप्यूटिंग उत्पाद भी स्थानीय कंपनी 21वायानेट के साथ मिलकर चलाती है.
तस्वीर: Reuters/F. Bensch
सर्च इंजन और सोशल नेटवर्क
चीन में माइक्रोसॉफ्ट का सर्च इंजन बिंग और सोशल नेटवर्क लिंक्डइन भी चलता है, हालांकि ये अलीबाबा, बाइडू इत्यादि जैसी स्थानीय कंपनियों के सामने छोटे खिलाड़ी हैं.
तस्वीर: Reuters/R. Galbraith
आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस
आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस में अग्रणी माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च एशिया माइक्रोसॉफ्ट का चीन में संभवतः सबसे अहम उत्पाद है. इसकी स्थापना 1998 में जाने माने ताइवानी-अमेरिकी वैज्ञानिक कैफू ली की मदद से हुई थी.
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot
सेंसरशिप
माइक्रोसॉफ्ट चीन में सर्च के नतीजों और दूसरी सामग्री को सेंसर भी करता है और जिस सामग्री को चीनी सरकार संवेदनशील समझती है उसे हटा देता है.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/J. Arriens
गिटहब
सॉफ्टवेयर बनाने की वेबसाइट गिटहब को माइक्रोसॉफ्ट ने 2019 में खरीदा था और वह भी चीन में उपलब्ध है. इसका इस्तेमाल चीन में सरकार द्वारा इंटरनेट पर सामग्री को सेंसर किए जाने से पहले संरक्षित करने के लिए एक्टिविस्ट भी करते रहे हैं.
तस्वीर: GitHub
सरकार से दो-दो हाथ
चीन में माइक्रोसॉफ्ट विंडोज की जाली प्रतियां धड़ल्ले से बिकती हैं. इसको लेकर कंपनी ने कई बार सरकारी कंपनियों के खिलाफ भी अदालतों में मामले दर्ज किए हैं. 2014 में एक जांच के बीच सरकारी एजेंसियों ने माइक्रोसॉफ्ट के चार दफ्तरों पर छापे मारे थे. उसी साल सरकार ने विंडोज आठ पर प्रतिबंध लगा दिया था. 2015 में माइक्रोसॉफ्ट ने एक स्थानीय कंपनी के साथ मिल कर विंडोज 10 का "चीनी सरकार" संस्करण निकाला था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A.Warnecke
बिल गेट्स और चीन
माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स चीन के विषय में आम तौर पर सकारात्मक शब्दों में ही बात करते रहे हैं. वो नवंबर 2019 में राष्ट्रपति शी चिनफिंग की पत्नी से सार्वजनिक रूप से मिले थे. उन्होंने अमेरिकी सरकार द्वारा चीनी कंपनी हुआवे पर लगाए प्रतिबंधों की आलोचना भी की थी. उन्होंने चीनी सरकार के साथ विंडोज का सोर्स कोड साझा करने की बात भी की थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/G. Ehrenzeller
बिल और मेलिंडा गेट्स संस्थान
ये संस्थान चीन में सक्रिय चुनिंदा विदेशी गैर सरकारी संगठनों में से है. इसने कोविड-19 महामारी संबंधित राहत कार्य के लिए चीन को पांच मिलियन डॉलर धनराशि दान में दी है. बिल गेट्स ने महामारी के प्रति चीन की प्रतिक्रिया की सराहना भी की है, जिसके लिए राष्ट्रपति शी ने सार्वजनिक तौर पर उनका धन्यवाद भी किया था. सीके/आरपी (रॉयटर्स)