टिक-टॉक के बैन होने के बाद उसी के जैसा एक ऐप बाजार में लानी वाले एक भारतीय कंपनी ने 10 करोड़ डॉलर का निवेश पा लिया है. निवेशकों में गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां भी शामिल हैं.
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ऐप का नाम है जोश और इसे लाने वाली कंपनी वर्स इनोवेशंस ने भारत सरकार द्वारा चीनी ऐप टिक-टॉक को बैन करने के तुरंत बाद ही इस ऐप को बाजार में उतार दिया था. बेंगलुरु स्थित इस कंपनी ने कहा है कि गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और फैल्कन एज के एल्फावेव जैसी कंपनियों से मिली इस रकम का इस्तेमाल वो अपने ऐप को और विकसित करने में करेगी.
ताजा निवेश से कंपनी की वैल्यूएशन एक अरब डॉलर से भी ज्यादा हो गई है. एक अरब डॉलर के मूल्य वाले स्टार्ट-अपों को यूनिकॉर्न कहा जाता है. कंपनी का दावा है कि वो भारतीय भाषाओं में सेवाएं देने वाली पहली यूनिकॉर्न बन गई है.
टिक-टॉक की मालिकाना चीनी कंपनी का नाम है बाइटडांस और उस पर भारत सरकार ने जून में 58 दूसरे चीनी ऐपों के साथ साथ प्रतिबंध लगा दिया था. सरकार ने इस कदम के पीछे डाटा सुरक्षा को लेकर चिंताओं को कारण बताया था. बैन जून में ही लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई मुठभेड़ के बाद लगाया गया था.
बैन लगने के पहले टिक-टॉक भारत में अत्यंत लोकप्रिय था और बैन के बाद से कई भारतीय कंपनियां टिक-टॉक के जाने से खाली हुई जगह को भरने की कोशिश कर रही हैं. रेडसीयर कंसल्टेंसी के अनुसार टिक-टॉक पर बैन लगने के चार महीने बाद तक भारत में बने ऐपों ने सिर्फ उसके 40 प्रतिशत बाजार पर कब्जा कर पाए थे.
रेडसीयर ने आठ दिसंबर को जारी की गई अपनी रिपोर्ट में कहा, "टिक-टॉक इस्तेमाल करने वाले उसी के जैसे दूसरे ऐपों की तरफ आकर्षित इसलिए नहीं हो रहे हैं क्योंकि उनमें उन्हें बढ़िया और अच्छी मात्रा में कॉन्टेंट नहीं मिल रहा है."
रेडसीयर के अनुसार जोश के अलावा, टाइम्स एमेक्स टकाटक और इनमोबी का रोपोसो इस समय भारत में सबसे लोकप्रिय शार्ट-फॉर्म वीडियो ऐप हैं. कंसल्टेंसी का कहना है कि इस तरह के वीडियो ऐप भारत में सबसे तेजी से बढ़ रहे कॉन्टेंट की श्रेणी बन कर उभरे हैं. कुल मिला कर इनके 18 करोड़ यूजर हैं और इनके और बढ़ने की बहुत संभावना है.
कैसा है टिकटॉक को खरीदने की दावेदार माइक्रोसॉफ्ट का चीन से खास रिश्ता
अमेरिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट टिकटॉक के अमेरिकी कारोबार के सबसे अग्रणी भावी खरीदार के रूप में उभर कर आई है. अगर इन दोनों के बीच सौदा हो जाता है तो ये माइक्रोसॉफ्ट के चीन के प्रति रुख के अनुकूल ही होगा.
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बाकियों से अलग
गूगल और फेसबुक जैसी दूसरी बड़ी अमेरिकी तकनीकी कंपनियां चीन में सरकारी प्रतिबंधों के आगे अपने हाथ खड़े कर चुकी हैं. माइक्रोसॉफ्ट चीन में हर साल दो बिलियन डॉलर कमाता है.
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चीन में माइक्रोसॉफ्ट
चीन में माइक्रोसॉफ्ट के लगभग 6,000 कर्मचारी हैं. देश में विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम का काफी इस्तेमाल होता है. कंपनी चीन में अपना ऐज्यूर क्लाउड कंप्यूटिंग उत्पाद भी स्थानीय कंपनी 21वायानेट के साथ मिलकर चलाती है.
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सर्च इंजन और सोशल नेटवर्क
चीन में माइक्रोसॉफ्ट का सर्च इंजन बिंग और सोशल नेटवर्क लिंक्डइन भी चलता है, हालांकि ये अलीबाबा, बाइडू इत्यादि जैसी स्थानीय कंपनियों के सामने छोटे खिलाड़ी हैं.
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आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस
आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस में अग्रणी माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च एशिया माइक्रोसॉफ्ट का चीन में संभवतः सबसे अहम उत्पाद है. इसकी स्थापना 1998 में जाने माने ताइवानी-अमेरिकी वैज्ञानिक कैफू ली की मदद से हुई थी.
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सेंसरशिप
माइक्रोसॉफ्ट चीन में सर्च के नतीजों और दूसरी सामग्री को सेंसर भी करता है और जिस सामग्री को चीनी सरकार संवेदनशील समझती है उसे हटा देता है.
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गिटहब
सॉफ्टवेयर बनाने की वेबसाइट गिटहब को माइक्रोसॉफ्ट ने 2019 में खरीदा था और वह भी चीन में उपलब्ध है. इसका इस्तेमाल चीन में सरकार द्वारा इंटरनेट पर सामग्री को सेंसर किए जाने से पहले संरक्षित करने के लिए एक्टिविस्ट भी करते रहे हैं.
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सरकार से दो-दो हाथ
चीन में माइक्रोसॉफ्ट विंडोज की जाली प्रतियां धड़ल्ले से बिकती हैं. इसको लेकर कंपनी ने कई बार सरकारी कंपनियों के खिलाफ भी अदालतों में मामले दर्ज किए हैं. 2014 में एक जांच के बीच सरकारी एजेंसियों ने माइक्रोसॉफ्ट के चार दफ्तरों पर छापे मारे थे. उसी साल सरकार ने विंडोज आठ पर प्रतिबंध लगा दिया था. 2015 में माइक्रोसॉफ्ट ने एक स्थानीय कंपनी के साथ मिल कर विंडोज 10 का "चीनी सरकार" संस्करण निकाला था.
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बिल गेट्स और चीन
माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स चीन के विषय में आम तौर पर सकारात्मक शब्दों में ही बात करते रहे हैं. वो नवंबर 2019 में राष्ट्रपति शी चिनफिंग की पत्नी से सार्वजनिक रूप से मिले थे. उन्होंने अमेरिकी सरकार द्वारा चीनी कंपनी हुआवे पर लगाए प्रतिबंधों की आलोचना भी की थी. उन्होंने चीनी सरकार के साथ विंडोज का सोर्स कोड साझा करने की बात भी की थी.
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बिल और मेलिंडा गेट्स संस्थान
ये संस्थान चीन में सक्रिय चुनिंदा विदेशी गैर सरकारी संगठनों में से है. इसने कोविड-19 महामारी संबंधित राहत कार्य के लिए चीन को पांच मिलियन डॉलर धनराशि दान में दी है. बिल गेट्स ने महामारी के प्रति चीन की प्रतिक्रिया की सराहना भी की है, जिसके लिए राष्ट्रपति शी ने सार्वजनिक तौर पर उनका धन्यवाद भी किया था. सीके/आरपी (रॉयटर्स)