"टीबैग में ढल जाएंगे भारत के चाय पीने वाले"
२९ अप्रैल २०१२ट्वाइनिंग टी के प्रमुख एचबी ट्वाइनिंग भारत का दौरा कर रहे हैं और दोपहर के वक्त जब मुलाकात हुई, तो वह दिन की बारहवीं प्याली चाय सुड़क रहे थे. ग्रीन टी की चुस्कियां लेते हुए उन्होंने कहा, "मैं चाय का दीवाना हूं. दिन भर में कम से कम 15 प्याली तो पी ही लेता हूं." ट्विनिंग उस परिवार की दसवीं पीढ़ी से ताल्लुक रखते हैं, जिसने करीब 300 साल पहले लंदन में चाय की पहली दुकान खोली.
वह भारत में अपना कारोबार बढ़ाना चाहते हैं क्योंकि आखिरकार भारत में ही दुनिया की सबसे अच्छी चाय पैदा होती है. वह भारत से बहुत ज्यादा खरीदते हैं लेकिन भारत उनसे ज्यादा नहीं खरीदता. दूसरी कंपनियों की तरह ट्वाइनिंग भी भारत की सवा अरब की आबादी में बड़ा बाजार देखते हैं और उन्हें उम्मीद है कि बदलते वक्त के साथ भारत की आबादी में चाय पीने के तरीके भी बदलने वाले हैं. उनका कहना है, "भारत और चीन में विकास की असीम संभावनाएं हैं. पूरे एशिया में ऐसा हो सकता है."
भारत की चाय
ट्वाइनिंग के लिए अच्छी बात यह है कि पूरे भारत में चाय खूब पी जाती है लेकिन खराब बात यह कि भारत की जनता टीबैग को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं है. वहां तो उबाल कर परंपरागत तरीके से चाय बनती है. उनकी चाय के एक पैकेट में 100 टीबैग होते हैं और इसकी कीमत करीब 600 रुपये है. यानी एक टीबैग की कीमत छह रुपये हुई. इससे कहीं कम शायद पांच रुपये में सड़क किनारे दूध वाली ताजा चाय मिल सकती है. बाकायदा इलाइची मार के.
ट्वाइनिंग ज्यादा निराश नहीं हैं, "हम श्रेष्ठ चाय का कारोबार करते हैं. हमारे ग्राहक इस बात को जानते हैं." ट्वाइनिंग ने 1997 में भारतीय चाय बाजार में प्रवेश किया और तब से टीबैग के मामले में 35 फीसदी चाय ट्वाइनिंग की बिकती है. लेकिन फिर भी मालिक इस कारोबार से खुश नहीं हैं और उनका कहना है कि वह पूरी दुनिया में जिनता कमाते हैं, भारत से उसका एक प्रतिशत भी नहीं आता.
कहां कैसी चाय
उनका कहना है कि भारत के स्वाद को ध्यान में रखते हुए चाय को तैयार किया जाता है लेकिन चाय की एक एक प्याली को तैयार करना बहुत खास काम है. भारत में जहां आम तौर पर दूध डाल कर काली चाय पी जाती है, वहीं पश्चिम में आम तौर पर लोग ग्रीन टी, फ्रूट टी और वनीला टी पीना पसंद करते हैं. उनका कहना है कि भारत के लोग दार्जिलिंग की चाय खूब पसंद करते हैं.
ट्वाइनिंग का कहना है, "वाइन पीने वालों को पता है कि हर साल के साथ वाइन का टेस्ट बदलता है और वे पुरानी शराब और नई शराब के अंतर को जानते हैं. चाय पीने वालों के साथ दिक्कत यह है कि वे हमेशा एक जैसी चाय पीना चाहते हैं." लेकिन मुश्किल यह है कि वाइन की ही तरह चाय का स्वाद भी मौसम के साथ बदलता है.
आसान नहीं चाय की तैयारी
यहां तक कि पौधों में लगी चाय की पत्तियों का स्वाद भी अलग अलग हफ्तों में अलग अलग हो सकता है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि सूरज कितना निकल रहा है और मौसम में कितनी नमी है. ट्वाइनिंग कहते हैं, "हमें चाय के बारे में पता करना होता है और तय करना होता है कि इससे सर्वश्रेष्ठ स्वाद कैसे निकाली जा सकती है." कंपनी के पास नौ मंझे हुए टी टेस्टर हैं और उन्हें चाय टेस्ट करने से पहले पांच साल तक हैम्पशर में कड़ी ट्रेनिंग करनी पड़ती है. ट्वाइनिंग के अपने 200 फ्लेवर के चाय हैं.
टी टेस्टरों का काम कितना मुश्किल है, इस बात से समझा जा सकता है कि कभी कभी उन्हें हफ्ते भर में 3000 प्याली चाय टेस्ट करनी पड़ती है ताकि वे सबसे अच्छी टेस्ट वाली चाय को पेश कर सकें. ट्वाइनिंग बताते हैं कि भारत, चीन और श्रीलंका के अलावा इन दिनों ब्राजील से भी चाय आ रही है, जिसका स्वाद कभी कभी नारियल के आस पास महसूस होता है. उनकी कंपनी में 30 देशों से चाय सप्लाई होती है.
कैसे बनाएं चाय
अपनी ग्रीन टी की प्याली को ऊपर उठाते हुए वह कहते हैं, "इस चाय को देखिए. इसकी चमक को देखिए. इसकी खुशबू सूंघिए. यह आपको बिलकुल ताजा महसूस होगी." वह इस बात से इनकार करते हैं कि टीबैग की चाय खुली चाय जितनी ताजी नहीं होती. ट्वाइनिंग कहते हैं, "उसकी छवि खराब बना दी गई है. सच तो यह है कि पत्ती जितनी छोटी होगी, उसका स्वाद उतना खिलेगा."
भारत में चाय को हाल ही में राष्ट्रीय पेय मान लिया गया है. ट्वाइनिंग टीबैग पीने वालों को सलाह देते हैं. किसी भी टीबैग को कम से कम तीन मिनट तक गर्म पानी में रखें. कप चीनीमिट्टी की बनी होनी चाहिए और दूध मिलाना है तो कप में पहले दूध डालें फिर चाय. ट्वाइनिंग की सलाह है कि चाय में चीनी न डाली जाए, तो बेहतर है. पर अगर आप मीठे के शौकीन हैं, तो नियम भूल जाइए और चीनी के साथ चाय की चुस्कियां लीजिए.
एजेए/एमजे (एएफपी)