टीम इंडिया की उम्मीदें अब रैना, जडेजा पर
५ जून २०१०शनिवार को श्रीलंका ने टॉस जीतकर भारत के बल्लेबाज़ी का न्योता दिया. इस बार टीम इंडिया ने मुरली विजय की जगह नमन ओझा को मैदान पर उतरने का मौका दिया. लेकिन ओझा और दिनेश कार्तिक एक बार फिर टीम को बढ़िया शुरूआत देने में नाकाम रहे. नमन एक रन ही बना सके, जबकि कार्तिक अपनी पारी 27 के आगे नहीं ले जा सके.
41 रन पर दो विकेट गंवाने के बाद दबाव में आई टीम इंडिया को विराट कोहली और यूसुफ पठान ने संभाला. लंबे समय बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में यूसुफ पठान रंग में दिखे. उन्होंने कोहली के साथ मिलकर बढ़िया साझेदारी निभाई. फिलहाल दोनों बल्लेबाज़ अर्धशतक के करीब हैं.
जिम्बाब्वे की टीम को इस सीरीज के शुरू होने से पहले पहले बेहद कमजोर माना जा रहा था लेकिन भारत को लगातार दो मैच में हराकर उसने सभी आशंकाओं को गलत साबित कर दिया. ट्रायएंगुलर सीरीज जीतने का सपना संजो कर आई टीम इंडिया के कप्तान सुरेश रैना के सामने अब एक ही रास्ता बचा है. श्रीलंका को बुरी तरह हरा कर ही भारत फाइनल में जा सकता है.
तीन मैचों में भारत को एक ही जीत नसीब हुई है और उसके चार अंक हैं. अब भारत को श्रीलंका को हराकर बोनस प्वाइंट हासिल करना है और साथ ही यह उम्मीद भी करनी है कि सोमवार को जिम्बाब्वे और श्रीलंका के मैच का नतीजा भी उनके पक्ष में आए. यानी जिम्बाब्वे के हाथों श्रीलंका की हार हो. एक जीत और बोनस प्वाइंट से भारत के खाते में 9 अंक आ जाएंगे जो जिम्बाब्वे के बराबर होंगे और फिर श्रीलंका के खिलाफ जिम्बाब्वे की जीत की दुआ करनी होगी.
श्रीलंका के फिलहाल 5 अंक हैं. लेकिन गणित के सारे फार्मूले तभी तक काम आएंगे जब भारत श्रीलंका को शनिवार को होने वाले मैच में पटखनी देता है. भारत के लिए दिलासे की बात इतनी है कि तिलकरत्ने दिलशान की टीम को भारतीय टीम पहले मैच में हरा चुकी है. उस मैच में रोहित शर्मा ने शानदार शतक लगाया और विराट कोहली ने भी धमाकेदार पारी खेल कर उनका साथ दिया.
लेकिन रैना, रोहित और विराट को अगर छोड़ दें तो टीम इंडिया के किसी बल्लेबाज ने अभी प्रभावित नहीं किया है. जिम्बाब्वे के गेंदबाजों ने भारतीय बल्लेबाजी की कमजोरियों को उजागर किया है और श्रीलंका की अपेक्षाकृत अनुभवहीन टीम भी उनसे इशारा पा चुकी होगी. पिछले मैच में मिली करारी हार के बाद रैना ने बिना लागलपेट के हार का ठीकरा बल्लेबाजों खासतौर पर ओपनर मुरली विजय और दिनेश कार्तिक के सिर फोड़ा था.
भारतीय गेंदबाजी आक्रमण में भी पैनापन नहीं है और किसी गेंदबाज ने विपक्षी टीम को मुश्किल में नहीं डाला है. उमेश यादव और अशोक डिंडा के प्रदर्शन में स्थायित्व का अभाव है और उनका इकॉनॉमी रेट भी खराब रहा है. ऐसे में रैना के सामने चुनौती पूरी टीम में जीत का मंत्र फूंक कर उम्दा प्रदर्शन कराने की होगी.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए कुमार