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टीम से निकाले गए शूमाकर

Priya Esselborn२८ सितम्बर २०१२

मिषाएल शूमाकर को उनकी टीम ने लाल झंडी दिखा दी है. जर्मन फॉर्मूला टीम मर्सिडीज ने अपने ही देश के शूमाकर को किनारे करके ब्रिटेन के युवा और आक्रामक ड्राइवर लुइस हैमिल्टन को कॉकपिट में बिठा दिया है.

इसके साथ ही शूमाकर की दूसरी पारी का दुखांत होता दिख रहा है. सात बार चैंपियनशिप जीत कर रिटायर होने वाले शूमाकर ने तीन साल पहले ट्रैक को दोबारा चूमा लेकिन बढ़ती उम्र और युवा दक्ष ड्राइवरों के बीच खुद को ढाल नहीं पाए और पोडियम तक पहुंचने में दम फूलने लगा. जर्मनी की मर्सिडीज टीम ने उन पर अच्छा खासा दांव लगाया था, जो नाकाम हो गया. शायद यही वजह रही कि करार के तीन साल खत्म होने पर उन्हें रुकने को नहीं कहा गया. 43 साल के शूमाकर का भविष्य तय नहीं है.

उनकी जगह ब्रिटेन के तेज तर्रार अश्वेत ड्राइवर लुइस हैमिल्टन को मर्सिडीज में मौका दिया गया है. 2007 में फर्राटा रेस की शुरुआत करने वाले हैमिल्टन ने उसी साल टूर्नामेंट जीत लिया होता लेकिन कुछ अंकों से वह पिछड़ गए. हालांकि अगले साल उन्होंने कसर निकाल ली और खिताब पर कब्जा कर लिया.

खुश हैं हैमिल्टन

शूमाकर ने अपने करार को नहीं बढ़ाए जाने और हैमिल्टन को यह जगह दिए जाने पर संक्षिप्त टिप्पणी दी, "मैंने टीम के साथ तीन अच्छे साल बिताए. दुर्भाग्य से ये वैसे नहीं रहे, जैसा हमने सोचा था."

दूसरी तरफ 104 रेस में हिस्सा ले चुके हैमिल्टन ने खुशी का इजहार किया है, "समय आ गया है कि मैं एक नई चुनौती उठाऊं. मैं मर्सिडीज के साथ जुड़ कर बहुत उत्साहित महसूस कर रहा हूं." उनके साथ अगले सीजन में निको रोजबर्ग जोड़ीदार ड्राइवर के तौर पर ट्रैक पर उतरेंगे.

सबसे सफल शूमाकर

फॉर्मूला वन के महान और क्लासिक ड्राइवर ब्राजील के आयर्टन सेना के दौर में ही जर्मनी के मिषाएल शूमाकर ने फर्राटा रेस में कदम रखा. उन्होंने 1991 में बेल्जियम के श्पा में पहली रेस में हिस्सा लिया और अगले साल पहली बार किसी रेस में विजय हासिल किया. 1994 का साल फॉर्मूला वन के इतिहास का अविस्मरणीय साल रहा. तब इतालवी ग्रां प्री में हुए हादसे ने सेना की जान ले ली. लेकिन इसी साल शूमाकर विजेता बन कर उभरे और फॉर्मूला वन को एक नया सितारा मिल गया.

लगातार दो साल चैंपियनशिप जीतने के बाद शूमाकर थोड़ा मद्धिम पड़े और अगले पांच साल तक प्रतियोगिता में पहला नंबर हासिल नहीं कर पाए. लेकिन इन पांच सालों की कसर उन्होंने पांच साल से ही निकाली. फरारी की धूम मचाती कार की मदद से 2000 से लेकर लगातार पांच साल वह चैंपियन बने और 2006 में फर्राटा रेस को अलविदा कह दिया. दुनिया उन्हें एक अविस्मरणीय ड्राइवर के तौर पर याद करने लगी. लाल रंग की फरारी और जर्मनी के मिषाएल शूमाकर एक दूसरे के पर्याय बन गए. कई रेस ट्रैक पर उनके नाम के पैविलियन खोल दिए गए. फरारी ने उन्हें अपना सलाहकार बना कर साथ रखने का फैसला किया.

ट्रैक के लिए बेकरार

लेकिन शूमाकर खुद को ट्रैक से दूर नहीं रख पाए. चार साल बाद उन्होंने 2010 में रेस में लौटने का फैसला किया. फरारी के पास ड्राइवर के तौर पर जगह नहीं थी, लिहाजा उन्होंने मर्सिडीज का दामन थामा. जर्मन कार कंपनी को भी महान ड्राइवर से बहुत उम्मीदें थीं. तीन साल का करार कर लिया गया. तब उन्होंने कहा था, "मर्सिडीज ने फॉर्मूला वन के मेरे करियर के दौरान मुझे कई बार समर्थन किया है और अब मेरे पास उसे वापस देने के लिए कुछ है."

लेकिन शूमाकर और मर्सिडीज एक दूसरे का सपना पूरा नहीं कर पाए. बल्कि शूमाकर के लिए वापसी का रास्ता बुरा सपना साबित हुआ. तीन साल में वह एक भी रेस नहीं जीत पाए और न ही कोई बड़ी छाप छोड़ पाए. जैसा कि आम तौर पर होता है, महान खिलाड़ी की वापसी बहुत फीकी होती है. शूमाकर के साथ भी ऐसा ही हुआ. उनकी वापसी के साल ही जर्मनी के दूसरे ड्राइवर और उनसे कोई 20 साल छोटे सेबास्टियन फेटेल ने ट्रैक पर जलवा बिखेरा और लगातार दो साल तक चैंपियनशिप जीतते रहे.

किसी जमाने में शूमाकर एक कूल ड्राइवर और गीली ट्रैक पर भी संयम के साथ ड्राइव करते हुए जीत हासिल करने वाले ड्राइवर के तौर पर पहचाने जाते थे. लौटने के बाद शायद उम्र और अनुभव के असर की वजह से दूसरे शूमाकर दिखाई दिए. वापसी वाला शूमाकर अपने से युवा ड्राइवरों को रेस में पकड़ने के लिए उतावला दिखा, जिसकी वजह से कई बार टक्कर हुई तो कई बार बिना मुकाबले के उन्हें बाहर होना पड़ा.

जरूरत नहीं थी वापसी की

भले ही शूमाकर के चाहने वाले बहुत हों लेकिन उनकी वापसी को पसंद करने वालों से ज्यादा संख्या नापसंद करने वालों की थी. उनका मानना था कि शूमाकर ने सब कुछ पहले ही पा लिया था और उन्हें रेस में लौटने की जरूरत नहीं थी. मर्सिडीज बोर्ड के नए चेयरमैन और कभी शानदार फॉर्मूला वन ड्राइवर रह चुके ऑस्ट्रिया के निकी लाउडा का कहना है, "उनके पास अफसोस करने की बहुत वजह नहीं है. हालांकि उनकी वापसी वैसी नहीं रही, जैसी सोची गई थी." वैसे न तो किसी नई टीम ने शूमाकर को लेने की बात कही है और न ही शूमाकर ने अपने भविष्य के बारे में कुछ कहा है. अलबत्ता उन्होंने हैमिल्टन को "बेस्ट ऑफ लक" जरूर कहा.

रिपोर्टः अनवर जे अशरफ (रॉयटर्स, डीपीए)

संपादनः महेश झा

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