दिशा रवि की गिरफ्तारी की आलोचना का सामना करने के बावजूद दिल्ली पुलिस दो और ऐक्टिविस्टों को गिरफ्तार करना चाह रही है. अधिवक्ता-ऐक्टिविस्ट निकिता जैकब और ऐक्टिविस्ट शांतनु मुलुक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी हो चुके हैं.
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निकिता और शांतनु दोनों ने बॉम्बे हाई कोर्ट में गिरफ्तारी से बचने के लिए अर्जी दी है और दोनों की अर्जियों पर मंगलवार को सुनवाई होनी है. निकिता के वकील ने अदालत को बताया कि 11 फरवरी को दिल्ली पुलिस की एक टीम मुंबई में उनके घर पर भी गई थी और वहां से उनके कुछ निजी कागजात और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त कर ली थी. उन्होंने उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर की एक प्रति भी मांगी है क्योंकि उनका दावा है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि आखिर उनके खिलाफ क्या आरोप है.
बीड जिले के रहने वाले शांतनु ने हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ में अर्जी दे कर कहा है कि दिल्ली पुलिस के कर्मी पिछले तीन दिनों से जिले में हैं और इस बीच उन्होंने बिना तय प्रक्रिया का पालन किए शांतनु से संबंधित काफी सामग्री भी जब्त कर ली है. उन्होंने अदालत को यह भी बताया है कि पुलिस उनके बूढ़े माता-पिता पर भी दबाव डाल रही है. उन्होंने कुछ दिनों की अग्रिम जमानत का अनुरोध किया है ताकि वो दिल्ली आ कर अदालत के सामने अपना पक्ष रख सकें.
दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार की गईं 22 वर्षीय पर्यावरण ऐक्टिविस्ट दिशा रवि.तस्वीर: facebook.com/disha.ravi
निकिता के अनुसार इस मामले में पुलिस जिस शिकायत पर कार्रवाई कर रही है उसे लीगल राइट्स ऑब्जर्वेटरी नामक एक संस्था ने दिल्ली में दर्ज करवाया है. पुलिस का आरोप है कि इन तीनों ने मिल कर वो "टूलकिट" नाम के उस गूगल डॉक्यूमेंट को बनाया था जिसे स्वीडन की पर्यावरण ऐक्टिविस्ट ग्रेटा थुनबर्ग ने भारत के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में अभियान शुरू करने के लिए ट्वीट किया था.
पुलिस का आरोप है कि दिशा ने संदेश भेजने वाले ऐप्प टेलीग्राम के जरिए वो डॉक्यूमेंट ग्रेटा को भेजा था. शांतनु एक इंजीनियर हैं और पर्यावरण कार्यकर्ता भी हैं. निकिता एक अधिवक्ता हैं और वो महाराष्ट्र और गोवा के बार कॉउंसिल से जुड़ी हुई हैं. वो एक मानवाधिकार और पर्यावरण कार्यकर्ता भी हैं. दोनों किसान आंदोलन का भी समर्थन कर रहे थे, लेकिन दिल्ली पुलिस का दावा है कि दोनों का संबंध पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन नामक एक संगठन से है. पुलिस का दावा है कि इस संगठन के खालिस्तान आंदोलन के समर्थकों से संबंध हैं.
विदेशी सेलेब्रिटी कर रहे हैं किसान आंदोलन की पैरवी
कई अंतर्राष्ट्रीय जाने-माने लोगों ने भारतीय किसानों द्वारा किए जा रहे आंदोलन का समर्थन किया है. समर्थन में किए जा रहे ट्वीट्स की कड़ी अब बढ़ती जा रही है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने इन्हें गैरजिम्मेदाराना बताया है.
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रिहाना
रिहाना विश्वभर में जानी जाने वाली अमेरिकी पॉप गायिका हैं. उन्होंने मंगलवार को किसान आंदोलन पर एक ट्वीट कर पूछा कि "हम इस पर कोई बात क्यों नहीं कर रहे" और साथ ही हैशटैग 'फार्मर्स प्रोटेस्ट्स' को दुनिया भर में पहुंचा दिया. ट्वीट के नतीजतन कई और अमेरिकी सेलिब्रिटीज ने इस पर अपने विचार व्यक्त किए.
स्वीडेन की 18-वर्षीय ग्रेटा थुनबर्ग जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में जानी-मानी एक्टिविस्ट हैं. उन्होंने भी ट्विटर पर दिल्ली के कुछ हिस्सों में हो रहे इंटरनेट बंद के बारे में एक खबर शेयर की और कहा कि “हम भारत में #फार्मर्स प्रोटेस्ट्स के साथ एकजुटता में खड़े हैं."
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अमांडा सेर्नी
अमांडा सेर्नी एक प्रसिद्ध इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर हैं. उन्होंने अपने अकाउंट पर तीन भारतीय वृद्ध महिलाओं की तस्वीर को साझा किया है और लिखा, "पूरी दुनिया देख रही है. इस मुद्दे को समझने के लिए आपको भारतीय, पंजाबी या फिर दक्षिणी एशियाई होने की जरूरत नहीं है. आपके पास केवल मानवता की भावना होनी चाहिए. बोलने के अधिकार, प्रेस के अधिकार, वर्कर्स के लिए समानता और गरिमा जैसे आम अधिकारों की हमेशा मांग करें."
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मीना हैरिस
मीना हैरिस अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भतीजी हैं. वह पेशे से वकील हैं और उन्होंने भी ट्वीट करते हुए लिखा है, “उग्र राष्ट्रवाद अमेरिकी राजनीति में एक ताकत के रूप वैसे ही उभरा है जैसा कि भारत में है या कई और देशों में. इसे केवल तभी रोका जा सकता है जब लोग इस वास्तविकता के प्रति जाग जाएं कि तानाशाही जाने वाली नहीं है."
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लिली सिंह
मशहूर यूट्यूबर लिली सिंह ने भी किसान आंदोलन का समर्थन किया है. उन्होंने रिहाना के ट्वीट को दोबारा साझा करते हुए उनका शुक्रिया भी अदा किया है. लिली सिंह कनाडा में भारतीय मूल की कलाकार हैं और उनका चैनल "सुपरवूमन" देश-विदेश में काफी प्रसिद्ध है.
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जिम कोस्टा
अमेरिका के प्रभावशाली विदेश मामलों की समिति के सदस्य डेमोक्रेट जिम कोस्टा ने कहा कि "शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार का हमेशा सम्मान किया जाना चाहिए."
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रूपी कौर
लघु कविता लिखने वाली विश्व प्रसिद्ध कवयित्री रूपी कौर ने भी रिहाना को धन्यवाद किया है. उन्होंने फार्म बिल के बारे में विस्तार से लिखा है और आगे पूछा है कि अगर अन्नदाता इस लड़ाई में हारेंगे तब करोड़ों हिन्दुस्तानियों को खाना कौन देगा?"
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जमीला जमील
जमीला जमील एक प्रसिद्ध ब्रिटिश अदाकारा हैं. वह समसामयिक मुद्दों पर अपने विचार रखती रहती हैं. उन्होंने रिहाना के ट्वीट को रीट्वीट किया है और ट्विटर पर अपने 11 लाख से ज्यादा फॉलोवर तक पहुँचाया है.
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जस्टिन ट्रुडो
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पिछले साल दिसम्बर में ही कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को अपना समर्थन दिया था और कहा था कि स्थिति चिंताजनक है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने तब इस टिप्पणी को 'भारत के आंतरिक मामलों में अस्वीकार्य हस्तक्षेप' बताया था.
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