अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा मे से मुलाकात से पहले एक इंटरव्यू में उनकी आलोचना की और ब्रेक्जिट पॉलिसी पर सवाल उठाए. उन्होंने चेतावनी दी कि ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौता खतरे में है.
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ब्रिटेन आने के साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रेक्जिट विवाद को हवा दे दी. उन्होंने आरोप लगाया कि यूरोपीय संघ से व्यापारिक समझौते में टेरीजा ने उनकी सलाह नहीं मानी जिसके बाद संभव है कि अब ब्रिटेन का अमेरिका से व्यापार समझौता खटाई में पड़ जाए. ब्रिटिश अखबार 'सन' को दिए इंटरव्यू में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि ब्रिटेन का यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौते को लेकर दोस्ताना रवैया ट्रांस-एटलांटिक व्यापार समझौते को प्रभावित करेगा.
राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार ब्रिटेन पहुंचे ट्रंप के इस इंटरव्यू ने भूचाल ला दिया है. खास बात यह है कि इस इंटरव्यू के कुछ घंटे पहले ही ब्रिटेन ने अच्छे मेजबान की तरह ट्रंप को शाही दावत दी थी. ब्रेक्जिट को लेकर ट्रंप के पुराने बयानों और आलोचनाओं को नजरअंदाज करते हुए टेरीजा मे ने दोनों देशों के बीच पुरानी दोस्ती की सराहना की थी. उन्होंने पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के भाषण का हवाला देते हुए कहा, "अमेरिका का हमारे साथ होना सबसे बड़ी खुशी की बात है." शुक्रवार को दोनों नेता लंच पर बातचीत करेंगे जिसमें ट्रंप के बयान के छाए रहने की उम्मीद है.
कितने करीब अमेरिका और ब्रिटेन?
ब्रिटेन और अमेरिका के खास संबंध 20वीं शताब्दी के अहम गठजोड़ों में से एक रहे हैं. लेकिन ब्रेक्जिट और अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद दोनों देशों में कायम रिश्तों के भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं.
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अर्थव्यवस्था
अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. 20.4 ट्रिलियन डॉलर वाली अमेरिकी व्यवस्था का दुनिया के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23 फीसदी की हिस्सा है. वहीं ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था का स्थान दुनिया में पांचवां है. 2.9 ट्रिलियन डॉलर वाली इस अर्थव्यवस्था का वैश्विक जीडीपी में महज 3.3 फीसदी हिस्सा है.
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कारोबार
अमेरिका के लिए ब्रिटेन उसका सातवां सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है. अमेरिका के टॉप 6 कारोबारी साझेदारों में चीन, कनाडा, मेक्सिको, जापान, जर्मनी और दक्षिण कोरिया शामिल हैं. वहीं ब्रिटेन के लिए अमेरिका उसका सबसे बड़ा साझेदार है. इसके बाद जर्मनी, नीदरलैंड्स, फ्रांस और चीन का नंबर आता है.
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अमेरिका, सैन्य खर्च
अमेरिका सेना पर पानी की तरह पैसा बहाता है. दुनिया के सात सबसे अधिक सैन्य खर्च करने वाले देशों के कुल खर्च के बराबर अमेरिका अकेला खर्च करता है. साल 2018 के लिए इसका रक्षा बजट 639.1 अरब डॉलर का था. रूस के बाद अमेरिका के पास ही सबसे ज्यादा हथियार हैं.
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ब्रिटेन, सैन्य खर्च
यूरोपीय संघ में ब्रिटेन रक्षा बजट पर सबसे अधिक खर्च करने वाला देश है. देश करीब 53 अरब यूरो सालाना रक्षा बजट पर खर्च करता है. फ्रांस और रूस ही यूरोप में परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं. ब्रिटेन ने अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो सैन्य गठबंधन को रक्षा क्षेत्र में नींव माना है.
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ज्वाइंट ऑपरेशन
दोनों मुल्कों की सेनाओं ने यूरोप, कोरिया, कुवैत, ईराक, पूर्व यूगोस्लाविया, अफगानिस्तान, लीबिया और सीरिया में मिलकर काम किया है. अमेरिका के कई मिलिट्री बेस ब्रिटेन में बने हुए है. हाल में अमेरिकी राष्ट्रपति ने पश्चिमी देशों से नाटो में अधिक वित्तीय मदद देने की बात कही थी.
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खुफिया क्षेत्र
अमेरिका और ब्रिटेन के बीच खुफिया साझेदारी बहुत ही खास है. इंटेलिजेंस के मामलों में दोनों देश एक-दूसरे के बेहद करीब हैं. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दोनों देशों ने खुफिया जानकारियां साझा करने का एक सौदा किया था. जिसमें कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को भी शामिल किया गया. यह सौदा बाद में "फाइव आइज" के नाम से जाना गया.
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खुफिया खर्च
अमेरिका खुफिया बजट करीब 55 अरब डॉलर का है. इसमें मिलिट्री खुफिया तंत्र शामिल नहीं है. वहीं ब्रिटेन का इंटेलिजेंस बजट करीब तीन अरब डॉलर का है.
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वित्त
लंदन और न्यूयॉर्क दुनिया के दो बड़े वित्तीय केंद्र हैं. जहां लंदन अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग के लिए दुनिया का सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा बाजार है, तो वहीं न्यूयॉर्क बॉन्ड और स्टॉक मार्केट के लिए मशहूर है.
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इंटरव्यू में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "अगर ब्रिटेन का व्यापार समझौते को लेकर ऐसा ही रवैया बरकरार रहा तो अमेरिका को यूके के बजाए यूरोपीय संघ के साथ डील करनी होगी. इससे संभवतः ब्रिटेन के साथ समझौता खत्म हो जाएगा. उन्होंने टेरीजा मे की शिकायत करते हुए कहा, "मैं व्यापार समझौता बिल्कुल अलग तरीके से करता. मैंने दरअसल टेरीजा मे को कहा था कि इसे कैसे करना है, लेकिन उन्होंने मेरी नहीं सुनी."
यूरोपीय संघ के साथ समझौते की बातचीत से नाखुश होकर ब्रिटिश सरकार के दो मंत्रियों ने पिछले दिनों इस्तीफा दे दिया है. ऐसे में ट्रंप का यह बयान ब्रिटिश सरकार के लिए नया सिरदर्द साबित हो सकता है. ब्रेक्जिट समर्थकों में यह राय बनने लगी है कि टेरीजा मे ने उनके साथ धोखा किया है.
दरअसल, टेरीजा मे ने पहले भी कहा है कि उनके ब्रेक्जिट प्लान से अमेरिका की साथ डील पर कोई असर नहीं पड़ेगा. ब्रिटिश सरकार की कारोबार समर्थक ब्रेक्जिट योजना के अनुसार ब्रिटेन यूरोपीय संघ के मुक्त व्यापार क्षेत्र में शामिल रह सकेगा लेकिन इसके लिए उसे यूरोपीय संघ के कुछ नियम मानने होंगे. इस योजना को उनकी कैबिनेट ने पिछले हफ्ते मंजूरी दे दी है.
'जॉनसन बनेंगे बेहतरीन प्रधानमंत्री'
राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने इंटरव्यू में सिर्फ टेरीजा मे की आलोचना ही नहीं की, उन्होंने मे की ब्रेक्जिट पॉलिसी से नाराज होकर इस्तीफा देने वाले पूर्व विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन के बारे में कहा कि वह बेहतरीन प्रधानमंत्री बनेंगे. इंटरव्यू के बाद शुरू हुए हंगामे पर व्हाइट हाउस की प्रवक्ता सैरा सैंडर्स ने आधिकारिक बयान में कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति टेरीजा मे की काफी इज्जत करते हैं. उन्होंने इंटरव्यू में ब्रिटिश प्रधानमंत्री को एक अच्छा इंसान कहा था और उनके खिलाफ कोई गलत बात नहीं कही थी.
टेरीजा मे ने राष्ट्रपति की टिप्पणियों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन ब्रिटिश मीडिया और कई सांसदों ने इसे कूटनीतिक प्रोटोकॉल का उल्लंघन और मे की बेइज्जती बताया है. ब्रिटिश वित्त मंत्री फिलिप हेमंड ने ट्रंप की आलोचना को नजरअंदाज करते हुए कहा है, "राष्ट्रपति को अब तक प्रधानमंत्री के साथ श्वेतपत्र पर चर्चा का मौका नहीं मिला है, और वे राष्ट्रपति के साथ इसके बारे में बातचीत का इंतजार कर रही हैं."
वीसी/एमजे (रॉयटर्स)
ब्रिटेन का बाजा बजाने लगा है ब्रेक्जिट
ब्रिटेन का बाजा बजाने लगा है ब्रेक्जिट
2016 में यूके ने ब्रेक्जिट का फैसला किया. अब उस पर अमल होने लगा है. संबंधों की कड़ियां एक एक कर टूट रही हैं और ब्रिटेन भारी मुश्किल में फंसता जा रहा है.
तस्वीर: Reuters/R. Schmuelgen
फाइनेंस सेक्टर
ब्रेक्जिट की मार ब्रिटेन के बैंकिंग और फाइनेंस सिस्टम पर पड़ी है. कई बड़े बैंक लंदन छोड़कर जर्मन शहर फ्रैंकफर्ट का रुख कर रहे हैं. सैकड़ों नौकरियां खत्म हो चुकी हैं. अनुमान है कि ब्रिटेन में फाइनेंस सेक्टर से जुड़ी कुल 75,000 नौकरियां खत्म होंगी.
तस्वीर: Reuters/D. Ruvic
नेशनल हेल्थ सर्विस
यूके की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) में यूरोपीय संघ के देशों के 62,000 लोग काम करते हैं. ज्यादातर विदेशी कर्मचारी ब्रिटेन छोड़ने लगे हैं. ब्रिटेन के सांसदों के मुताबिक इन कर्मचारियों के बिना NHS 24 घंटे के भीतर ठप जाएगा.
तस्वीर: picture-alliance/empics/S. Rousseau
पशु चिकित्सक
ब्रिटेन में काम करने वाले 90 फीसदी पशु चिकित्सक यूरोपीय संघ के 27 देशों से आते हैं. अब ये लोग भी ब्रिटेन से वापसी की तैयारी कर रहे हैं.
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सूने खेत खलिहान
अब तक यूरोपीय संघ के अलग अलग देशों से आए कुशल कर्मचारियों ने ब्रिटेन के खेतों में कामकाज किया. 65 फीसदी कमर्चारी ईयू से आते रहे. लेकिन ब्रेक्जिट के चलते अब ये कर्मचारी भी नहीं मिलेंगे.
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महंगाई की मार
ब्रेक्जिट के लागू होते ही ब्रिटेन में यूरोप के कई प्रोडक्ट महंगे हो जाएंगे. सिंगल टैक्स मार्केट से बाहर होने पर डेयरी प्रोडक्ट, फल, सब्जियां, प्रोसेस्ड फूड और वाइन जैसी चीजें भी महंगी होंगी.
तस्वीर: Getty Images/AFP/L. Neal
अरबों पाउंड का नुकसान
ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को अरबों पाउंड की चपत लगनी तय है. अब ब्रिटेन नए बाजार तलाश रहा है, लेकिन भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में पहले ही यूरोपीय संघ का अच्छा खासा दबदबा है.