टैक्सी परमिट मामले पर पीछे हटे चव्हाण
२१ जनवरी २०१०एमएनएस मुखिया राज ठाकरे के अंदाज़ में महाराष्ट्र की कांग्रेस एनसीपी सरकार ने बुधवार को फ़ैसला किया कि नए टैक्सी परमिट उन्हीं लोगों को दिए जाएंगे जो अच्छी तरह मराठी बोल पाते हों और 15 साल से ज़्यादा समय से महाराष्ट्र में रह रहे हों. हालांकि सरकार ने यह भी कहा था कि जिन ड्राइवरों के पास वैलिड लाइसेंस हैं, उन पर इस फ़ैसला का असर नहीं होगा.
चव्हाण ने कहा, "कैबिनेट महाराष्ट्र मोटर वेहिकल नियमों के अनुसार चला है जो 1989 में बनाए गए. नियमों के मुताबिक़, किसी भी व्यक्ति को परमिट लेने के लिए 15 साल तक राज्य में रहना ज़रूरी है. दूसरा नियम कहता है कि टैक्सी ड्राइवर को किसी भी स्थानीय भाषा की कामचलाऊ जानकारी होनी चाहिए. यह स्थानीय भाषा मराठी, हिंदी या गुजराती हो सकती है. इसमें किसी को भी शामिल किया जा सकता है. स्थानीय भाषा की जानकारी ज़रूरी है." उन्होंने कहा कि टैक्सी ड्राइवर तभी परमिट पा सकते हैं, जब उन्हें मराठी या गुजराती जैसी स्थानीय भाषा आती हो.
बॉम्बे टैक्स संघ ने सरकार के फ़ैसला विरोध करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित बताया था. मुंबई में मौजूद लगभग दो लाख टैक्सी ड्राइवरों में से बहुत से उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड से आए हैं. हर साल लगभग चार हज़ार नए परमिट दिए जाते हैं. दूसरी राज्यों से आए लोगों के ख़िलाफ़ मुहिम चलाने में एमएनएस के मुखिया राज ठाकरे सबसे आगे रहे हैं. पिछले साल उनकी यह मुहिम कई बार हिंसक भी हो गई. कई पार्टियां उनका विरोध करती रही हैं.
बताया जाता है कि टैक्सी परमिट को लेकर महाराष्ट्र सरकार के ताज़ा फ़ैसलों की वजह आने वाले चुनावों में नौजवानों को लुभाना और एमएनएस की काट के तरीक़े तलाशना हो सकता है. लेकिन इस फ़ैसले को 'ग़ैर संवैधानिक' बताते हुए आरजेडी के मुखिया लालू प्रसाद यादव ने प्रधानमंत्री ने इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा है. हालांकि कांग्रेस विवाद को रफ़ा दफ़ा करने की कोशिश कर रही है. उसका कहना है कि राज्य सरकार सिर्फ़ मोटर वेहिकल नियमों के पुराने प्रावधानों को लागू कर रही है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः आभा मोंढे