पसीने की गंध को दूर करने के लिए लोग डियोडरेंट लगाते हैं. ज्यादातर लोग नहाने के बाद तरह तरह की खुशबू का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन एक बुल्गारियाई उद्योगपति ने खाने वाला डियोडरेंट बनाया है.
विज्ञापन
टॉफी बनाने वाली बुल्गारिया की एक कंपनी ने ऐसी टॉफी तैयार की है कि जिसे खाने के बाद डियोडरेंट की जरूरत नहीं है. बुल्गारिया की छोटी से कंपनी एल्पी के मालिक वेन्तसीस्लाव पायचेव कहते हैं, "एक पुरानी कहावत है कि असली सुंदरता अंदर से आती है, तो क्यों न टॉफी से आए.'' उनका कहना है कि डियो परफ्यूम कैंडी शरीर की गंध को बेअसर कर सकती है और इसको खाने के बाद शरीर से छह घंटे तक मीठी खुशबू आती रहेगी. हालांकि यह टॉफी की मात्रा पर निर्भर करेगा और इस पर भी खाने वाले की कद काठी कैसी है. यह कैंडी मूल रूप से बॉनबॉन्स की तरह होती है यानि सख्त या चबाने लायक. खास बात यह है कि कैंडी शुगर फ्री भी उपलब्ध है. यह टॉफी जापानी वैज्ञानिक के रिसर्च पर बनाई गई है. वैज्ञानिक के शोध में पाया गया कि रोज ऑयल का प्रमुख तत्व जेरानॉल शरीर द्वारा विखंडित नहीं होता और त्वचा के माध्यम से शरीर से बाहर आता है. बुल्गारिया यूरोपीय संघ के सबसे गरीब देशों में है और यह गुलाब के तेल का प्रमुख उत्पादक है. पायचेव कहते हैं, "जेरानॉल का बर्ताव लहसुन से बिलकुल उलट है. यह भी छिद्रों से बाहर आता है लेकिन खराब गंध की जगह शरीर को खुशबूदार बनाता है." कैंडी तैयार करने में एल्पी कंपनी की मदद करने वाले प्रोफेसर दिमितार हाजीकिनोव के मुताबिक, "यह मात्रा छह घंटे तक चलने वाली खुशबू के लिए पर्याप्त है. यह ग्राहक के शरीर के द्रव्यमान पर भी निर्भर करता है. अगर कोई भारी भरकम है तो ज्यादा कैंडी खाए. दो, तीन या चार" हाजीकिनोव के मुताबिक इसका असर जल्दी होता है. यह नरम और शुगर फ्री कैंडी है. यह आसानी से मुंह में घुल जाती है. और इसकी सभी सामग्री प्राकृतिक हैं तो ज्यादा खाने पर खराब लगने की जरूरत नहीं. यह कैंडी अमेरिका, एशिया और यूरोप के कई देशों में बिकने लगी है और एक पैकेट की कीमत करीब पांच यूरो है. सूत्रों के अनुसार यह कोई नया आविष्कार नहीं. इससे पहले जापान में इसी तरह की च्यूइंग गम उपलब्ध थी लेकिन अब कंपनी ने उसका उत्पादन बंद कर दिया. 55 साल के पायचेव की कंपनी बुल्गारिया के छोटे से आसेनोवग्राद शहर में है, जहां 40 कर्मचारी हैं. पिछले साल इसने 500 टन टॉफी तैयार किया और करीब 20 लाख यूरो की कमाई की. भले ही टॉफी से शरीर खुशबूदार बने या न बने, मुनाफा तो खुशबू जरूर बिखेर रहा है. एए/एजेए (एएफपी)
खाने जो जर्मनी की पहचान हैं
जर्मन केटरिंग कंपनी कंपास ने उन खानों की लिस्ट तैयार की है, लंच के समय कैफेटेरिया में जर्मन जिनका बेसब्री से इंतजार करते हैं. असल जर्मन खाने...
तस्वीर: Fotolia/koi88
श्नित्सेल
मुर्गी या फिर किसी और तरह के मांस के टुकड़े को ब्रेड के चूरे में लपेट कर तला जाता है. इसे सलाद और सॉस के साथ परोसा जाता है. डॉयचे वेले कैफेटेरिया के शेफ हरमन म्युलर के मुताबिक यहां भी लोगों को सबसे ज्यादा श्नित्सेल का इंतजार रहता है.
तस्वीर: ARC/Fotolia
करी वुर्स्ट
जर्मनी के कैफेटेरिया में सबसे ज्यादा बिकने वाले खानों में करी वुर्स्ट का नंबर दूसरा है. इसकी शुरुआत 1949 में बर्लिन में हुई थी. म्युलर का कहना है कि न चाहने पर भी उन्हें करी वुर्स्ट बेचना पड़ता है क्योंकि 1700 प्लेटों में करी वुर्स्ट 900 प्लेटें बिकती हैं.
तस्वीर: Fotolia/koi88
स्पागेटी बोलोनेज
इतालवी नूडल डिश जर्मनी में बेहद पसंद की जाती है. नूडल के अलावा डिश में कीमा और टमाटर का सॉस होता है. जर्मनी के दफ्तरों में लगभग हर कैंटीन और केफेटेरिया में यह डिश हर रोज मिलती है.
तस्वीर: dapd
हैमबर्गर, सॉसेज, सलाद और पिज्जा
जर्मनी में मांस बहुत शौक से खाया जाता है. हैमबर्गर और मीट बॉल्स को लिस्ट में चौथा स्थान मिला है. पांचवें स्थान पर उबले आलू से तैयार डिश और छठे पर सलाद के साथ चिकेन की डिश आती है. लिस्ट में पिज्जा सातवें स्थान पर है.
तस्वीर: anweber - Fotolia
सीफूड
तली या भुनी हुई मछली भी जर्मन लोगों की पसंदीदा डिश है. म्युलर ने बताया कि उनके यहां हफ्ते में एक दिन मेनू में मछली जरूर होती है. जर्मन कैंटीनों में रोजाना 1.3 करोड़ लोग खाना खाते हैं और हर रोज कुल व्यवसाय 3.3 करोड़ यूरो का होता है.
तस्वीर: Fotolia/Steve Degenhardt
शाकाहारी खाना
कंपास ने इस लिस्ट में शाकाहारी खानों को शामिल नहीं किया है. हालांकि डॉयचे वेले कैंटीन में हर रोज करीब 200 प्लेट शाकाहारी भोजन बिकता है. आस पास रहने वाले लोगों के अलावा अक्सर कंपनी छोड़ चुके लोग भी यहां सिर्फ खाना खाने आ जाया करते हैं.
तस्वीर: AP
मौसम के मुताबिक
कैफेटेरिया में दोपहर के खाने में अक्सर मौसम के मुताबिक डिश होते हैं. ठंड आते ही क्रिसमस के मशहूर पकवान मेज पर नजर आने लगते हैं. जैसे तली हुई बतख के साथ बंद गोभी के पत्ते.
तस्वीर: picture-alliance / dpa / Stockfood
मेनू की तैयारी
मेनू में ज्यादातर उन चीजों को जगह मिलती है जिनकी मांग ज्यादा होती है. खुद कंपास ग्रुप जर्मनी भर में हर रोज करीब 4 लाख प्लेट दोपहर का खाना कैंटीनों और कैफेटेरिया में बेचता है.