भारतीय राज्य राजस्थान के जयपुर में एक अदालत ने उस महिला के पक्ष में फैसला सुनाया जो घर में टॉयलेट ना होने के कारण अपने पति से तलाक लेना चाहती थी.
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महिला इस बात से बहुत परेशान थी कि उसे शौच के लिए हमेशा घर से बाहर जाना पड़ता था. पांच साल से शादीशुदा महिला अपने पति से घर में शौचालय बनवाने की मांग करती आयी थी लेकिन मांग पूरी नहीं हुई. इससे तंग आकर महिला ने जयपुर की पारिवारिक अदालत में पति से तलाक की अर्जी दाखिल कर दी. महिला पक्ष की दलील थी कि पांच साल से उसके लाख कहने पर भी पति का घर में शौचालय ना बनवाना क्रूरता है. उसकी दलील से सहमत होते हुए राजस्थान की इस अदालत ने महिला के पक्ष में ही फैसला सुनाया.
जस्टिस राजेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि गांवों में महिलाओं को बाहर शौच करने की मजबूरी के कारण कई बार बहुत शारीरिक कष्ट झेलना पड़ता है, जब उन्हें शौच के लिए बाहर अंधेरा होने का इंतजार करना पड़े. जज ने खुले में शौच करने को एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या होने के साथ साथ इसे शर्मनाक और महिलाओं को प्रताड़ना देने वाला बताया. एक महिला को शौच के लिए सुरक्षित माहौल ना दे पाने को महिला के वकील राजेश शर्मा ने क्रूरता बताया था जिसे कोर्ट ने भी सही पाया.
जीना टॉयलेट के बिना
भारत की आधी से ज्यादा आबादी के पास मोबाइल फोन हैं, लेकिन एक तिहाई से भी कम लोग टॉयलेट का इस्तेमाल कर पाते हैं. 19 नवंबर को टॉयलेट दिवस के रूप में मनाने वाली दुनिया में एक अरब से भी ज्यादा लोगों का यही हाल है.
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गरीबी से लड़ते टॉयलेट
बेहतर साफ सफाई और साफ टॉयलेट के लिए दुनिया भर में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. दुनिया की एक तिहाई आबादी के पास साफ शौचालय नहीं है. इससे बीमारियां फैलती हैं. खराब हाइजीन के कारण मरने वालों की संख्या खसरा और मलेरिया के कारण मरने वालों से भी ज्यादा है.
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संकटग्रस्त इलाकों में..
टॉयलेट बनाना मुश्किल है. अक्सर लोग घंटों इंतजार करते हैं. ट्यूनीशिया में भागे सोमालियाई लोगों के लिए अलग से जगहें बनाने की जरूरत है, जो स्थानीय संरचना के लिए बहुत मुश्किल है.
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गंदा काम
भारत के कई हिस्सों में जहां पानी वाले टॉयलेट नहीं हैं, वहां इनकी सफाई के लिए लोग हैं. भारतीय संविधान के मुताबिक इस पर 20 साल से रोक है लेकिन अभी तक किसी पर मुकदमा नहीं चला है. नई दिल्ली में इस साल की शुरुआत से इस तरह के शौचालयों पर रोक लगा दी गई है.
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स्वास्थ्य में निवेश
पानी के कारण होने वाली बीमारियों, जैसे टायफाइड और पेचिश के संक्रमण उन इलाकों में बहुत तेजी से बढ़ते हैं, जहां साफ टॉयलेट नहीं हैं. अफ्रीका के किबेरा में लोग प्लास्टिक की थैली का इस्तेमाल करते और फिर इसे फेंक देते. अब जब नैरोबी के शैंटीटाउन में यह टॉयलेट बनाया गया है, कम लोग बीमार हो रहे हैं.
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पोलियो का संक्रमण
सीरियाई सीमा के आस पास बने शरणार्थी शिविरों में हर दिन हजारों लोग सीरिया से आ रहे हैं. शिविरों में क्षमता से ज्यादा लोग है और इस कारण गंदे पानी से होने वाली बीमारियां और संक्रामक पोलियो भी बढ़ रहा है.
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टिकाऊ हल
बोलिविया की राजधानी ला पाज के नजदीक एल आल्टो में ऐसा शौचालय बनाया गया है जिसमें मल मूत्र अलग अलग होता है और उसका ट्रीटमेंट इस तरह से होता है कि उसे खाद के तौर पर इस्तेमाल किया जा सके. किसानों को यह मुफ्त में मिलता है और फुटबॉल मैदान में इस खाद का इस्तेमाल हो सकता है.
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यूरोप में भी पुराने तरह के टॉयलेट
यूरोपीय संघ में दो करोड़ लोगों के लिए साफ टॉयलेट्स नहीं हैं. पूर्वी यूरोप में अभी भी पुराने तरह के टॉयलेट हैं. ये वहां पीने के पानी को दूषित करते हैं, जहां कुआं हो. यहां हाइजीन खराब है और अर्थव्यवस्था भी.
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इथियोपिया में मदद
जीवन बेहतर बनाने के लिए एक साधारण सा टॉयलेट भी काफी है. इथियोपिया में अब लोगों को निजी टॉयलेट उपलब्ध हो पा रहा है. टॉयलेट ट्विनिंग जैसी संस्थाएं इसे मुमकिन बना रही हैं. पहले लोग बहुत बीमार रहते थे.
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बिना पानी के
अलास्का के माउंट मैक किनले पर बने इस टॉयलेट के तो कहने की क्या.. यहां से उत्तरी अमेरिका के सबसे ऊंचे पर्वत का शानदार नजारा दिखता है.
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जैविक टॉयलेट
सुलभ शौचालयों ने भारत में एक नई क्रांति लाई थी. ऐसी ही एक और कोशिश की जा रही है जैविक टॉयलेटों के जरिए. ये बायो डाइजेस्टर टॉयलेट ऐसी जगहों पर भी लगाए जा सकते हैं जहां मल निकासी की सुविधा नहीं है.
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कलावती का शौचालय मिशन
भारत में उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में रेल की पटरियों के इर्द गिर्द बसी राजा का पुरवा बस्ती में 1991 से पहले तक मल मूत्र सड़कों पर बहा करता था, लेकिन अब वहां की ही एक महिला कलावती के अभियान के कारण वहां 50 सीटों वाला एक सामुदायिक शौचालय कामयाबी से चल रहा है.
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भारत में किसी हिंदू जोड़े को कानूनन तलाक लेने के लिए अदालत में यह साबित करना पड़ता है कि उनके साथ या तो किसी तरह की क्रूरता हुई है, या हिंसा या फिर किसी तरह की गैरवाजिब वित्तीय मांगे रखी गयी हैं. हालांकि टॉयलेट ना होने के कारण तलाक होने का यह कोई पहला मामला नहीं है. एक साल पहले भी उत्तर प्रदेश में जब एक महिला के मंगेतर ने अपने घर में टॉयलेट बनवाने से इनकार कर दिया तो महिला ने शादी से ही मना कर दिया. इसी साल जून में ससुराल से मायके गयी महिला ने तब तक ससुराल लौटने से मना कर दिया जब तक वे घर में शौचालय नहीं बनवाते.
यूनीसेफ की मानें, तो आज भी भारत की करीब आधी आबादी यानि 60 करोड़ से अधिक लोग खुले में शौच जाते हैं. करीब 70 फीसदी भारतीय घरों में टॉयलेट नहीं बने हैं जबकि देश की 90 फीसदी आबादी के पास मोबाइल फोन जरूर हैं. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुले में शौच की समस्या को खत्म करना चाहते हैं और उन्होंने 2019 तक देश के हर घर में टॉयलेट बनवाने का वादा किया है. सरकार का कहना है कि 2014 में इस योजना के शुरु होने से लेकर अब तक दो करोड़ टॉयलेट बनाये जा चुके हैं. विशेषज्ञ बताते हैं कि आज भी सभी घरों में टॉयलेट ना होने का कारण केवल आर्थिक समस्या ही नहीं है. वे बताते हैं कि कई लोगों की यह धारणा है कि घर के भीतर शौच होने से घर गंदा होता है और बाहर खुले में शौच करना ज्यादा साफ आदत है.
आरपी/एमजे (एएफपी)
घर में टॉयलेट से ज्यादा गंदी चीजें
हमें लगता है कि घर में सबसे ज्यादा जीवाणु टॉयलेट सीट पर होते हैं, लेकिन घर में ही हमारे इस्तेमाल की कई दूसरी चीजें हैं जो इससे कहीं ज्यादा गंदी होती हैं.
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स्मार्टफोन या टैबलेट
2013 में एक ब्रिटिश टीम ने 30 टैबलेट, 30 मोबाइल फोन और ऑफिस की टॉयलेट सीट का परीक्षण किया. टैबलेट में स्टैफाइलोकोकस बैक्टीरिया के 600 यूनिट निकले, मोबाइल फोन में 140 यूनिट और टॉयलेट सीट में 20 यूनिट से भी कम. इस बैक्टीरिया से त्वचा संक्रमित हो सकती है.
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पानी का नल
बेसिन में पानी के नलके में टॉयलेट सीट से 20 गुना ज्यादा बैक्टीरिया होने की संभावना रहती है. किचन का नल और भी ज्यादा इस्तेमाल होता है, इसलिए जरूरी है कि इन्हें कीटाणुनाशक की मदद से साफ किया जाए.
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बैग
रिसर्चरों ने 25 बैगों पर टेस्ट किया और पाया कि बैग में टॉयलेट सीट के मुकाबले तीन गुना ज्यादा बैक्टीरिया होने की संभावना होती है. नियमित रूप से इस्तेमाल होने वाले बैग टॉयलेट से 10 गुना ज्यादा गंदे हो सकते हैं. बैग के स्ट्रैप में सबसे ज्यादा बैक्टीरिया जमा होते हैं.
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दांतों का ब्रश
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के डॉक्टर फिलिप टिएर्नो जूनियर के मुताबिक जब आप टॉयलेट में फ्लश करते हैं तो पानी के छींटे 6 मीटर तक जा सकते हैं. यानि अगर आपका टूथब्रश उसी बाथरूम में कुछ ही फासले पर खुला रखा है तो उस पर गंदगी बैठने का भारी खतरा है.
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लिफ्ट का बटन
टोरंटो यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च के मुताबिक लिफ्ट के बटन पर टॉयलेट सीट से ज्यादा बैक्टीरिया होते हैं. सऊदी अरब में हुई एक अन्य रिसर्च के मुताबिक 97 फीसदी लिफ्ट के बटन दूषित होते हैं. 10 में से एक लिफ्ट में बटन आपको फूड प्वाइजनिंग और साइनस का इंफेक्शन भी दे सकते हैं.
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तौलिया
इनीशियल वॉशरूम हाइजीन के निदेशक डॉक्टर पीटर बैरट के मुताबिक बैक्टीरिया को विकास के लिए तीन चीजों की जरूरत होती है. नमी, उच्च तापमान और जैविक पदार्थ. उन्होंने बताया कि तौलिया गीला तो होती ही है, साथ ही उस पर त्वचा के कुछ बारीक कण भी चिपक जाते हैं जो कि सूक्ष्मजीवों के लिए भोजन का काम करती है. तैलिये को हफ्ते में एक बार गर्म पानी से धोना चाहिए.
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एटीएम मशीन
एटीएम मशीन पर आप जिस जिस बटन को दबाते हैं उन सभी पर करीब 120 सूक्ष्मजीव मौजूद होते हैं. एरिजोना यूनिवर्सिटी के मुताबिक इनमें इंफ्लुएंजा वायरस भी शामिल है.
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कालीन
बैक्टीरिया के लिए कालीन रहने की बढ़िया जगह है. रीडर्स डाइजेस्ट के मुताबिक इंसान हर घंटे त्वचा की करीब 15 लाख कोशिकाएं खोता है. और कालीन में प्रति वर्ग इंच में दो लाख बैक्टीरिया होते हैं. यानि कालीन परजीवी बैक्टीरिया के लिए खानपान की बढ़िया जगह है. कालीन को साल में एक बार भाप से साफ करना चाहिए.
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कटिंग बोर्ड
हाइजीन विशेषज्ञ डॉक्टर गेर्बा ने फैयरफैक्स मीडिया संस्थान को बताया कि सब्जी काटने वाले कटिंग बोर्ट पर टॉयलेट सीट के मुकाबले 200 गुना ज्यादा बैक्टीरिया होते हैं. बोर्ड पर कच्चा खाना काटने से बैक्टीरिया को उस पर पलने का मौका मिलता है.