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टोरंटो में जी-20 शिखर बैठक शुरू

२७ जून २०१०

कनाडा के टोरंटो शहर में विश्व के बीस प्रमुख आर्थिक सत्ताओं की शिखर भेंट शाम के भोजन के साथ शुरू हुई. जी-20 के देशों के नेता आर्थिक संकट के बाद की रणनीति और वित्त बाज़ार में सुधारों पर चर्चा कर रहे हैं.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

जी-20 शिखर बैठक में जिन मुद्दों पर चर्चा होगी उनपर विश्व के प्रमुख औद्योगिक देश एक दिन पहले कनाडा के हंट्सविल में जी-8 शिखर बैठक में चर्चा कर चुके हैं और आपसी राय बना चुके हैं. जी-8 के अंदर भी आर्थिक विकास की रणनीति पर विवाद सामने आए. अमेरिका विकास में बाधा नहीं पहुंचाने के लिए सरकारी खर्च जारी रखने की मांग कर रहा है. इधर यूरोपीय देशों ने वित्तीय संकट से निबटने के लिए भारी सरकारी कर्ज़ के बाद अब बजट घाटे को कम करने के लिए कदम उठाए हैं.

जी-20 से पहले जी-8 की बैठकतस्वीर: AP

वित्तीय संकट के बाद विश्व वित्तीय संरचना में सुधार महत्वपूर्ण लक्ष्य था लेकिन इस इरादे को सर्दियों तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. शिखर बैठक शुरू होने से पहले ही इन देशों के रुख में इतने मतभेद हैं कि उनपर सहमति संभव नहीं दिखी. जी-20 के नेता नवम्बर में दक्षिण कोरियाई शहर सोल में मिलेंगे.

अटलांटिक पार के देशों के बीच आर्थिक विकास की सही रणनीति पर विवाद के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बैंक शुल्क पर यूरोपीय देशों का समर्थन किया. अंगेला मैर्केल को इस मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति का समर्थन तो मिला लेकिन कनाडा, ब्राज़ील और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों को यह रास नहीं आया और उन्होंने उसे रोक दिया. इस बीच अमेरिका में संसद ने वित्तीय सुधारों को मंज़ूरी दे दी है और उनके जुलाई तक लागू हो जाने की संभावना है.

सुरक्षा पर भारी खर्च

शिखर भेंट की सुरक्षा के लिए 12 हज़ार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. शनिवार को लगभग 10 हज़ार लोगों ने शिखर बैठक के विरोध में प्रदर्शन किया. शिखर बैठक के आयोजन पर कनाडा ने 97 करोड़ यूरो खर्च किया है. नवम्बर 2008 में वित्तीय संकट के चरम पर जी-20 देशों की पहली शिखर भेंट बुलाई गई थी. उससे पहले यह संगठन वित्त मंत्रियों के स्तर पर सक्रिय था. तब से जी-20 के चार शिखर सम्मेलन हो चुके हैं.

शिखर बैठक में भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी भाग ले रहे हैं. बैठक में जाने से पहले उन्होंने चेतावनी दी है कि विश्व अर्थनीति में मंदी से उबरने की प्रक्रिया अब भी काफ़ी कमज़ोर है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: एन रंजन

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