अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप की जीत पाकिस्तान के उर्दू मीडिया में छाई है. काफी समय से खराब चल रहे दोनों देशों के संबंधों को लेकर पाकिस्तानी प्रेस में कई अटकलें लगाई जा रही हैं.
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दक्षिणपंथी अखबार 'नवा ए वक्त' लिखता है कि ट्रंप ने बेशक अपनी चुनावी मुहिम में मुसलमान विरोधी बयान दिए, लेकिन चुनावी मुहिम और सत्ता में आने के बाद अपनाई जाने वाली रणनीति में फर्क होता है. अखबार ने याद दिलाया है कि ओबामा ने राष्ट्रपति बनने से पहले पाकिस्तान के बारे में कितनी अच्छी-अच्छी बातें कहीं थी, लेकिन जब सत्ता मिली, तो पूरी तरह पलट गए. कश्मीर पर भी कुछ नहीं किया और पाकिस्तान से 'डू मोर' की रट लगाते रहे, वो अलग. अखबार लिखता है कि हो सकता है कि ट्रंप चुनावी मुहिम के दौरान बनी अपनी छवि को बेहतर बनाने के लिए पाकिस्तान की अहमियत को समझेंगे.
'रोजनामा पाकिस्तान' लिखता है कि भले ही अमेरिका में सत्ता बदल गई है, लेकिन दक्षिण एशिया को लेकर अमेरिकी नीति में ज्यादा बदलाव होने की संभावना नहीं है. अखबार भारत को अमेरिकी हथियारों का सबसे बड़ा खरीददार बताते हुए कहता है कि अमेरिका भारत की तरफ झुका हुआ है. अखबार के मुताबिक ट्रंप के दौर में पाकिस्तान पर 'डू मोर' का दबाव रहेगा.
अमेरिका में ट्रंप की जीत के बाद विरोध में सड़कों पर उतरे लोग, देखिए.
ट्रंप के खिलाफ सड़कों पर लोग
अमेरिका के कई शहरों में राष्ट्रपति चुनाव जीतने वाले डॉनल्ड ट्रंप के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं. प्रदर्शनकारी उन्हें नस्लवादी और बलात्कारी बता रहे हैं. इन प्रदर्शनों की एक झलक.
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"ट्रंप अमेरिका के लिए खतरा".
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शिकागो में ट्रंप के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोग.
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न्यूयॉर्क में प्रदर्शनकारी सड़कों पर ही बैठ गए.
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"ट्रंप मेरे राष्ट्रपति नहीं हैं."
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न्यूयॉर्क में ट्रंप को बलात्कारी बतातीं प्रदर्शनकारी.
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न्यूयॉर्क में ट्रंप टावर के बाहर लोगों ने प्रदर्शन किया.
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न्यूयॉर्क में ट्रंप टावर के बाहर प्रदर्शन में अमेरिकी झंडा जलाया गया.
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कैलिफॉर्निया के ऑकलैंड में प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर कूड़े में आग लगा दी.
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"ट्रंप नस्लवादी हैं, ट्रंप मूर्ख हैं"
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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप की जीत के खिलाफ सिएटल में भी प्रदर्शन.
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दूसरी तरफ ऑकलैंड में ही कुछ लोगों ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया.
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ट्रंप के खिलाफ मैदान में.
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लेकिन 'रोजनामा एक्सप्रेस' लिखता है कि पाकिस्तान आज भी अमेरिका की रणनीतिक जरूरत है, ऐसे में उसे इस बात के लिए कायल किया जा सकता है कि अमेरिका का भारत समर्थक रवैया पाकिस्तान के लिए एक सवालिया निशान है. अखबार ने कहा है कि पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों को बेहतर करने के मामले पर गेंद अब ट्रंप के पाले में है.
वहीं 'रोजनामा दुनिया' लिखता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति पद ट्रंप के लिए फूलों की सेज साबित नहीं होगा क्योंकि ओबामा उन्हें जो विरासत सौंप कर जा रहे हैं उनमें कई पेचीदा और अनसुलझे सवाल हैं. अखबार के मुताबिक मध्य पूर्व के हालात, अफगानिस्तान में फिर ताकतवर होते तालिबान चरमपंथी, पांव फैलाता इस्लामिक स्टेट, सीरिया का संकट, अरब दुनिया से अमेरिका के बढ़ते हुए फासले और सबसे बढ़ कर चीन की तेजी से बढ़ती हुई आर्थिक ताकत इन पेचीदा सवालों में शामिल हैं.
ट्रंप पर क्या बोली दुनिया, देखिए.
ट्रंप पर क्या बोली दुनिया
अमेरिका में रिपब्लिकन उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप की जीत पर दुनिया एक अजीब से सदमे में थी. खुशी की लहर तो कहीं नहीं दिख रही है. प्रतिक्रियाएं या तो बुरी हैं या संतुलित.
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इंडोनेशिया
इंडोनेशिया के सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे थे कि अमेरिका ऐसे व्यक्ति को राष्ट्रपति कैसे चुन सकता है. इस्लामिक देश इंडोनेशिया में फेसबुक और ट्विटर समेत तमाम सोशल मीडिया वेबसाइटों पर लोग कयास लगा रहे थे कि चुनाव प्रचार के दौरान जो कुछ ट्रंप ने बोला है, उस पर वह अमल करेंगे या नहीं. कुछ लोगों ने तो यह तक डर जताया कि ट्रंप के प्रशासन में वे अपने रिश्तेदारों से मिलने अमेरिका जा पाएंगे या नहीं.
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क्यूबा
अमेरिका के साथ संबंध सामान्य करने में जुटे क्यूबा को बराक ओबामा प्रशासन से जिस तरह का समर्थन मिल रहा था, उस पर अब संदेह के बादल नजर आने लगे हैं. ट्रंप ने वादा किया है कि अगर क्यूबा के राष्ट्रपति राउल कास्त्रो ने और ज्यादा राजनीतिक आजादी नहीं दी तो वह संबंधों को बेहतर बनाने वाले फैसले पलट देंगे. कुछ लोगों ने कहा कि उनकी जिंदगी में जो थोड़े बहुत सुधार होने लगे थे, अब क्या पता वे फिर से छिन जाएं.
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चीन
चीन के ब्लॉगर वांग यिमिंग ने उम्मीद जताई है कि एक रिपब्लिकन राष्ट्रपति चीन में अभिव्यक्ति की आजादी के लिए ज्यादा जोर लगाएगा.बीजिंग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लू बिन कहते हैं कि वह किसी के समर्थक नहीं हैं लेकिन ट्रंप की छवि एक जेंटलमैन की नहीं है और राष्ट्रपति पद पर आप ऐसे व्यक्ति को चाहते हैं जो देश की छवि पेश करे.
तस्वीर: Getty Images/J. Watson
ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री जूली बिशप ने कहा कि सरकार तो जो बनेगा, उसके साथ काम करेगी. उन्होंने कहा कि अमेरिका हमारा मुख्य सुरक्षा सहयोगी है और सबसे बड़ा विदेशी निवेशक भी.
तस्वीर: Reuters/C. Barria
न्यूजीलैंड
एक बार में अमेरिकी चुनावों के नतीजे देखते वक्त 22 साल की एक स्टूडेंट सारा पेरेरा ने कहा कि वह अमेरिकी संसद में इंटर्नशिप करने जा रही हैं लेकिन ट्रंप की जीत से डर लग रहा है. इसी हफ्ते एक स्कॉलरशिप पर अमेरिका जा रही सारा कहती हैं कि ट्रंप का राष्ट्रपति बनना अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए विनाशकारी हो सकता है.
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जापान
जापान के विशेषज्ञों को लग रहा है कि अमेरिका की जापान नीति में बड़ा बदलाव हो सकता है. लेकिन सरकार ने कहा है कि वह अमेरिका-जापान रणनीतिक संबंधों की बेहतरी के लिए काम करती रहेगी.
तस्वीर: Reuters/A. Wroblewski
भारत
भारत में डॉनल्ड ट्रंप की जीत की उम्मीद की जा रही थी. वहां उन्हें बड़ी संख्या में समर्थक मिले थे. इसलिए एक तरह की खुशी देखी जा रही है. भारत के जाने माने पत्रकार प्रभु चावला ने ट्वीट किया है कि उदारवादियों ने कहा था, मोदी जीते तो देश छोड़ जाएंगे. अब वे अमेरिका भी नहीं जा सकते जो हमेशा उनका नेचुरल हैबिटैट रहा है.
तस्वीर: Getty Images/S. Platt
जर्मनी
जर्मनी की रक्षा मंत्री उरसुला फॉन डेअ लाएन ने कहा है कि अमेरिका का घटनाक्रम उनके लिए एक बड़ा धक्का है. अमेरिकी चुनाव नतीजों में रिपब्लिकन उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप की बढ़त के बाद उनका ये बयान आया है. जर्मन टीवी चैनल एआरडी से बातचीत में उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि ट्रंप इस बात को जानते हैं कि ये वोट उनके लिए नहीं हैं, बल्कि वॉशिंगटन के खिलाफ है, वहां के प्रतिष्ठान के खिलाफ हैं."
तस्वीर: Getty Images/C. Somodevilla
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अखबार के मुताबिक देखना ये भी होगा कि अमेरिका में रह रहे विदेशी मूल के लोगों का भविष्य क्या होगा, खासकर वहां रहने वाले मुसलमानों के साथ ट्रंप क्या सलूक करते हैं, क्योंकि वो उनके बारे में कई अशोभनीय बातें कह चुके हैं. वहीं पेशावर से छपने वाला 'मशरिक' लिखता है कि इस वक्त अमेरिका में पाकिस्तान के खिलाफ माहौल बहुत खराब है. ऐसे में, हिलेरी क्लिंटन भी जीतती तो भी दोनों देशों के रिश्तों में तुरंत किसी बेहतरी की उम्मीद नहीं थी. लेकिन अखबार के मुताबिक इस बात को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता कि ट्रंप का झुकाव भारत की तरफ रहेगा और उनके दौर में दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत होंगे.
अखबार की राय है कि ट्रंप की जीत मुसलमानों समेत कई अन्य समूहों के लिए चिंता की बात है, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति की हैसियत से एक ताकतवर और जिम्मेदार पद के तकाजों के मुताबिक ट्रंप को अपने आपको ढालना ही होगा.