रविवार को राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने एलान किया कि सीरिया में अमेरिकी सैनिकों के हमले में इस्लामिक स्टेट के नेता अल बगदादी की मौत हो गई है. एक वीडियो में अल बगदादी को जीवित और अपने साथियों से मशविरा करते देखा जा सकता है.
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तथाकथित इस्लामिक स्टेट की खिलाफत का एलान करने के करीब 5 साल बाद किसी वीडियो में अल बगदादी नजर आया है. माना जा रहा है कि अल बगदादी की मौत के बारे में चल रही खबरों को अफवाह साबित करने के लिए यह वीडियो जारी किया गया है. इस्लामिक स्टेट की मीडिया शाखा अल फुरकान के वीडियो में बगदादी एक कमरे में फर्श पर बैठा नजर आ रहा है. उसके अगल बगल कुछ और लोग भी हैं जिनके चेहरे धुंधले कर दिए गए हैं. वीडियो में अल बगदादी की लाल भूरी दाढ़ी देखी जा सकती है और उसके बगल में एक मशीनगन भी नजर आ रही है. यह बताना मुश्किल है कि यह वीडियो कब शूट किया गया है.
इससे पहले रविवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ट ट्रंप ने बगदादी के मारे जाने का एलान किया है. राष्ट्रपति ने बकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर इसकी जानकारी दी. ट्रंप ने बताया कि बगदादी को लक्ष्य बना कर किए गए हमले में उसकी मौत हो गई है. ट्रंप के मुताबिक एक परिसर में अमेरिकी सैनिकों ने बगदादी का पीछा किया और एक बंद सुरंग में उसकी मौत हो गई. राष्ट्रपति के मुताबिक बगदादी ने विस्फोटक वाली जैकेट में धमाका कर अपनी जान ली और इस दौरान उसके तीन बच्चे भी मारे गए. ट्रंप ने कहा, "अल बगदादी दुष्ट और क्रूर था और वह दुष्ट और क्रूर तरीके से एक डरपोक की तरह भागते और चीखते हुए मारा गया."
ट्रंप का कहना है कि धमाके में बगदादी के अंग बिखर गए लेकिन टेस्ट के जरिए यह पुष्टि हो गई है कि "वह वही था." ट्रंप के मुताबिक बड़ी संख्या में बगदादी के लड़ाके और साथी भी मारे गए हैं जबकि 11 बच्चों को परिसर से बिना किसी नुकसान के बाहर निकाला गया है. इस ऑपरेशन में किसी अमेरिकी सैनिक नुकसान नहीं हुआ, हालांकि फौज का एक कुत्ता जरूर घायल हुआ है.
अमेरिकी राष्ट्रपति का कहना है कि दुनिया अब एक ज्यादा सुरक्षित जगह है और "घटनाएं इस बात की याद दिला रही हैं कि हम बाकी बचे आईएसआईएस आतंकवादियों को भी उनके क्रूर अंत तक पहुंचाएंगे." ट्रंप ने इस अभियान की सफलता के लिए रूस, सीरिया, तुर्की और इराक का आभार भी जताया है. तुर्की के रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि अमेरिका और तुर्की ने सीरिया के इदलीब में चले इस अभियान के बारे में सूचनाओं को एक दूसरे से बांटा था.
उधर सीरियन डेमोक्रैटिक फोर्सेज के नेता मजलूम आबदी ने ट्वीट कर कहा है कि अल बगदादी की मौत अमेरिका के साथ कुर्दों के सहयोग का नतीजा है. आबदी ने लिखा है, "पांच महीने से जमीन पर खुफिया जानकारियों को साझा किया जा रहा है था और सटीक निगरानी की जा रही थी, यह तब तक हुआ जब तक कि एक संयुक्त अभियान में अबु बाकिर अल बगदादी की मौत नहीं हो गई."
अल बगदादी बीते पांच सालों से छिप कर रहा था. अमेरिका ने उसके बारे में जानकारी देने वाले के लिए 2.5 करोड़ डॉलर का इनाम रखा था. बीते सालों में कई बार अल बगदादी के मौत की खबरें आती रहीं जिनकी स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो सकी और बाद में वो गलत साबित हुईं. इस बार भी जो वीडियो सामने आया है उसमें अल बगदादी इसी महीने की शुरुआत में हुए इस्राएल के चुनावों में बेन्यामिन नेतन्याहू की जीत की चर्चा कर रहा है. बगदादी ने अल्जीरिया और सूडान की घटनाओं की चर्चा की है. इन देशों में लंबे समय से शासन कर रहे अब्देलअजीज बुतेफ्लिका और उमर अल बशीर को भारी विरोध प्रदर्शनों के बाद सत्ता छोड़नी पड़ी है. बगदादी ने इसे दुखद बताया है.
वीडियो में आगे बगदादी ने 21 अप्रैल को श्रीलंका में हुए हमलों की तारीफ की है. इस हमले में 250 लोगों की मौत हुई थी. हालांकि वीडियो के इस हिस्से में बगदादी नजर नहीं आ रहा बल्कि सिर्फ उसकी आवाज सुनाई दे रही है. तस्वीर में सिर्फ एक नकाबपोश शख्स नजर आ रहा है जो इस्लामिक स्टेट के काले झंडे के सामने खड़ा है.
अल बगदादी ने 21 अप्रैल को सऊदी अरब के अल जुल्फी प्रांत में हुए एक हमले का भी जिक्र किया है जिसे सऊदी सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दिया था. बगदादी ने बुरकीना फासो और माली के गुटों की इस्लामिक स्टेट के साथ गठजोड़ की तारीफ की है. वीडियो के आखिर में अल बागदादी को साथियों के साथ कुछ फाइलें चेक करते देखा जा सकता है. कैमरा जब इन फाइलों पर फोकस करता है तो एक फाइल के कवर पर विलायत अल यमन यानी यमन का प्रांत लिखा नजर आता है. दूसरी फाइलों पर तुर्की, सोमालिया और काकेशस प्रांत लिखे नजर आ रहे हैं.
एनआर/एके(डीपीए, एपी)
खत्म हो गयी है इस्लामिक स्टेट की खिलाफत
मानवता के खिलाफ संगीन अपराधों के लिए जिम्मेदार इस्लामिक स्टेट की कथित खिलाफत ढह गयी है. कई मोर्चों पर लगातार मिली शिकस्त के रक्का से भी उसके लड़ाकों के पांव उखड़ गये हैं. इस्लामिक स्टेट पर चारों तरफ से मार पड़ी है.
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खत्म हुई खिलाफत
इराक में अल कायदा के अवशेषों से बन कर उभरे इस्लामिक स्टेट का 2014 की शुरुआत में फलूजा और रामादी के इलाकों में उभार हुआ. इसके बाद इस्लामिक स्टेट ने सीरियाई विद्रोहियों को भगाकर रक्का पर भी कब्जा कर लिया. जून 2014 में इराक के दूसरे सबसे बड़ा शहर मोसुल भी इस्लामिक स्टेट के चंगुल में था. यहीं से इस्लामिक स्टेट के नेता अबू बकर अल बगदादी ने खिलाफत का एलान किया.
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खिलाफत का खौफ
इस्लामिक स्टेट ने न्याय, समानता और इस्लामी धार्मिक मान्यताओँ के आधार पर एक आदर्श राज्य की बात की लेकिन अपने कुछ ही दिनों के शासन में इसने अपने ही लोगों भयभीत कर दिया. इराक के यजीदी समुदाय की हत्या, महिलाओं और लड़कियों को सेक्स गुलाम बनाने के लिए अपहरण, पश्चिमी पत्रकारों और सहायताकर्मियों की गला रेतकर हत्या और मध्यपूर्व की बेहद शानदार स्मारकों को मिटाने का कलंक इस्लामिक स्टेट पर है.
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विदेशी लड़ाके
इस्लामिक स्टेट ने अपनी फौज में शामिल करने के लिए दुनिया भर से मुसलमानों को बुलाया इनमें यूरोपीय और दूसरे देशों के युवा थे जिन्होंने इस्लामिक स्टेट को अपना आदर्श मान लिया. इसकी सोच ने मुख्यधारा के सु्न्नी मुसलमानों को इससे अलग कर दिया. सुन्नी मुसलमान इस्लामिक स्टेट के इस्लाम की विचारधारा को नहीं पचा पाये. खास इलाके में बनी खिलाफत पर चारों तरफ से हमला हुआ और बहुत जल्द इसके दुश्मन संगठित हो गये.
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हर तरफ से हमला
अमेरिका ने अपना अभियान 2014 में इराक से शुरू किया और एक महीने बाद सीरिया में. अमेरिका ने इराक में शिया लड़ाकों से गठजोड़ किया और इराकी कुर्द लड़ाकों से. सीरिया में स्थानीय कुर्द लड़ाकों और सीरियाई लोकतांत्रिक बल यानी एसडीएफ को साथ मिलाया. अमेरिकी हवाई हमलों के साये में इन सेनाओं ने इस्लामिक स्टेट को उसके गढ़ से एक एक कर उखाड़ना शुरू किया. बड़ा झटका इस साल जुलाई में लगा जब मोसूल को छुड़ा लिया गया.
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सीरिया में सफाया
सीरिया में इस्लामिक स्टेट के सफाये का दावा किया जा रहा है.वहां आईएस पर दोहरी मार पड़ी है. एक तरफ अमेरिका और उसकी समर्थित सेनाएं हैं तो दूसरी तरफ सीरियाई शासक बशर अल असद जिन्होंने अपने रूसी सहयोगियों के साथ मिल कर बेहद आक्रामक रुख अपनाया है. आईएस लड़ाके इधर उधर छिपते फिर रहे हैं और आम लोगों के साथ वहां से निकल रहे हैं. फुरात नदी घाटी में मायादीन के पास उनका आखिरी पड़ाव होने की बात पता चली है.
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इराक में अब बस अंबार
अक्टूबर के शुरुआत में इस्लामिक स्टेट के हाथ से इराक का हविजा शहर भी जाता रहा और उनके पास उत्तरी इराक में कोई शहर नहीं है. इराक की सेना अब इस्लामिक स्टेट के आखिरी ठिकाने अंबार पर हमले की तैयारी में जुटी है. इस रेगिस्तानी इलाके का फैलाव पूरे सीरियाई सीमा के साथ है. सीरियाई इलाके में मौजूद बोउकमाल पर जरूर इस्लामिक स्टेट कायम है साथ ही पूर्व की तरफ कुछ छिटपुट इलाकों में उसके लड़ाके अब भी डटे हुए हैं.
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भारी कीमत
इस्लामिक स्टेट की भारी कीमत सीरिया और इराक ने चुकाई है. एक तरफ धूल धूसरित हुई इमारतें, बस्तियां, सड़कें दिखती हैं तो दूसरी तरफ सामूहिक कब्रें, शरणार्थी, शव, यातना से जिंदा लाश बन चुके लोग. रमादी, मोसुल, रक्का जिधर नजर दौड़ाइये यही मंजर दिखाई देता है. तीन साल के शासन में इस्लामिक स्टेट की खिलाफत ने हजारों लोगों को मारा है, लाखों लोगों को बेघर किया और अनगिनत मासूम बच्चों में जेहादी विचार भर दिया.
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राजनीतिक असर
इस्लामिक स्टेट के उदय और पतन ने सीरिया और इराक में जातीय हिंसा की लकीरों को और गहरा कर दिया है. कुर्द सरकार उखड़ गयी है इसके साथ ही ईरान और तुर्की में भी कुर्द अलगाववादियों के खिलाफ जंग तेज हो गयी. तेल से लबालब किरकुक कुर्दों के कब्जे में था लेकिन अब इराक ने उसे छुड़ा लिया है. इसके साथ कुर्द राष्ट्र का सपना तो मटियामेट हो गया है और शिया, सुन्नी, कुर्द और दूसरे गुटों के बीच जंग तेज होगी.
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कौन जीता कौन हारा
एक तरफ सीरिया में असद की सरकार विद्रोहियों को निशाना बना रही हैं तो दूसरी तरफ इराक कुर्दों के सपने कुचल रहा है. इस इलाके में अपनी चौधराहट कायम करने की तमन्ना रूस और अमेरिका में भी है. सीरिया के पड़ोसी देशों को भी इस जंग में आहुति देनी पड़ी है उधर ईरान और सऊदी अरब भी अपनी भूमिका तलाश रहे हैं. इस्लामिक स्टेट की खिलाफत ध्वस्त हो गयी है लेकिन इस जंग में कौन हारा या कौन जीता यह बताना मुश्किल है.
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अनिश्चित भविष्य
इस्लामिक स्टेट से अपने इलाकों को छुड़ाने के बाद भी सारी सेनायें निरंतर सजग और सक्रिय हैं. वास्तव में अब उनके सामने ज्यादा बड़ी चुनौती है. बड़ी संख्या में इस्लामिक स्टेट के लड़ाके आम आबादी के साथ मिल गये हैं और हमला करने की ताक में हैं. आईएस के सहयोगी मिस्र और लीबिया में भी हमले कर रहे हैं, ऐसे में जाहिर है कि हिंसा और अनिश्चितता का वातावरण अभी लंबे समय बना रहेगा.