एक संसदीय रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने अपने निजी हितों को अमेरिका के राष्ट्रीय हितों के ऊपर रखा और देश की सुरक्षा को खतरे में डाला.
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अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग पर जांच करने वाली अमेरिकी संसद की एक समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसके सामने महाभियोग के लिए पक्के सबूत आये हैं. डेमोक्रैटिक पार्टी के बहुमत वाली हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की इंटेलिजेंस कमेटी ने 300 पन्नों की अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा, "राष्ट्रपति ने अपने निजी हितों को अमेरिका के राष्ट्रीय हितों के ऊपर रखा, अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया को कमजोर करने की कोशिश की और अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाला."
बुधवार को अमेरिकी कांग्रेस के निचले सदन की न्यायिक समिति में महाभियोग जांच के दूसरे चरण की शुरुआत होगी. इस प्रक्रिया में इस रिपोर्ट में शामिल दलीलों की अहम भूमिका होगी. सांसद अब महाभियोग पर आगे बढ़ने के लिए संवैधानिक रूपरेखा पर सार्वजनिक रूप से कानूनी विशेषज्ञों से सलाह लेंगे.
राष्ट्रपति पर आरोप हैं कि उन्होंने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर अपने करीबी लोगों के साथ मिलकर अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदी जो बाइडेन को बदनाम करने के मकसद से यूक्रेन को उनके खिलाफ जांच कराने पर मजबूर करने की कोशिश की. आरोप है कि ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति से वादा किया कि अगर वे बाइडेन के खिलाफ जांच की घोषणा करते हैं तो उन्हें व्हाइट हाउस में एक बैठक के लिए बुलाया जाएगा और यूक्रेन को 40 करोड़ डॉलर की सैन्य मदद भी दी जाएगी.
इंटेलिजेंस कमेटी में रिपोर्ट को डेमोक्रैटिक पार्टी का भरपूर समर्थन मिला जबकि रिपब्लिकन सांसद मजबूती से ट्रंप के समर्थन में खड़े रहे. कमेटी के अध्यक्ष एडम शिफ्फ ने कहा कि सांसदों को अगले चुनाव को बचाने के लिए जल्द कदम उठाने की जरूरत है और अगर देर हुई तो ना सिर्फ हम मौजूदा राष्ट्रपति बल्कि भावी राष्ट्रपतियों के लिए चुनावी भ्रष्टाचार के दरवाजे खोल देंगे.
ऐसा लग रहा है कि डेमोक्रैटिक पार्टी के सांसद क्रिसमस से पहले महाभियोग पर मतदान कर देंगे और अगर ऐसा हुआ तो अगले साल की शुरुआत में सीनेट में सुनवाई शुरू हो जाएगी. व्हाइट हाउस ने इसे एक झूठी प्रक्रिया बताया है और कहा कि डेमोक्रैटिक सांसद राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ किसी भी दुराचार का सबूत देने में पूरी तरह से असफल रहे हैं.
रिपब्लिकन सांसदों ने भी एक रिपोर्ट जारी की जिसमें राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग जांच की आलोचना की गई.
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अपने खिलाफ कुछ भी लिखने वालों को "फेक न्यूज" करार देते हैं. कई बार तो वे सीधे सीधे पत्रकारों से लड़ने झगड़ने भी लगते हैं.
तस्वीर: Reuters/K. Lamarque
सीएनएन से पंगा
व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रंप सीएनएन के रिपोर्टर जिम अकोस्टा से भिड़ गए. अकोस्टा ने जब सवाल पूछना शुरू किया, तो ट्रंप ने उन्हें टोकते हुए कहा, "सीएनएन को शर्म आनी चाहिए कि तुम जैसा वहां काम करता है. तुम एक बुरे इंसान हो." इस झगड़े का वीडियो इंटरनेट पर काफी वायरल हुआ. व्हाइट हाउस ने भी एक वीडियो जारी किया जो बाद में फेक साबित हुआ.
तस्वीर: Reuters/J. Ernst
फिर सीएनएन
अमेरिकी चैनलों में ट्रंप को शायद सबसे ज्यादा दिक्कत सीएनएन से ही है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब उन्होंने सीएनएन की सेसीलिया वेगा को सवाल करने के लिए कहा, तो साथ में यह भी कहा, "ये सदमे में है कि मैंने इसे चुना." जब पत्रकार ने इससे इंकार किया, तो ट्रंप ने कहा, "कोई बात नहीं, मैं जानता हूं तुम कुछ सोच नहीं पा रही हो. तुम कभी भी सोच नहीं पाती हो."
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/L. Bevilaqua
ट्विटर पर जंग
जून 2017 में ट्रंप ने एमएसएनबीसी की एंकर मीका ब्रेसिंस्की से ट्विटर पर जंग छेड़ दी. ट्रंप ने उन्हें मंदबुद्धि और पागल कहा. उन्होंने यहां तक लिखा कि जब वे मीका ब्रेसिंस्की से मिले तो उन्होंने देखा कि उनका चेहरा प्लास्टिक सर्जरी से भरा पड़ा है. ट्रंप को लोगों को नाम देना बहुत पसंद है. तो यहां उन्होंने इस एंकर को "क्रेजी मीका" और इनके साथी एंकर जो स्कैरबॉरो को "साइको जो" का नाम दे दिया.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Senne
सालों सालों तक
एनबीसी के एंकर चक टॉड को भी ट्रंप ने एक नाम दिया हुआ है, "स्लीपी आइज टॉड". और वे कई सालों से उन्हें इसी नाम से पुकारते रहे हैं. राष्ट्रपति बनने से पहले से. मार्च 2018 में एक रैली के दौरान ट्रंप ने जनता के सामने उन्हें "सन ऑफ अ बिच" कहा. टॉड एनबीसी का शो "मीट द प्रेस" होस्ट करते हैं और ट्रंप पर चुटकुले बनाते रहते हैं. ट्रंप को हर वह पत्रकार नापसंद है, जो उनकी बातों से इत्तेफाक ना रखता हो.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/K. Frey
ट्विटर से लगाव
जुलाई 2017 में ट्रंप ने एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें वे सीएनएन का लोगो पहने एक व्यक्ति के सिर पर वार कर रहे हैं. ट्रंप को सीएनएन कितना नापसंद है, इससे ज्यादा इस बात का और क्या सबूत होगा. फिर दिसंबर 2017 में उन्होंने वॉशिंगटन पोस्ट के रिपोर्टर डेव वाइगल को नौकरी से निकालने की मांग करते हुए ट्वीट किया. आए दिन ट्विटर पर ट्रंप के मीडिया से नफरत की झलक दिख ही जाती है.