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ट्रंप के चुनाव में रूसी दखल पर मलर रिपोर्ट पर दुनिया की नजर

१८ अप्रैल २०१९

डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के पीछे रूस का हाथ बताया जाता रहा है. इसकी सच्चाई पता करने के लिए रॉबर्ट मलर समिति की रिपोर्ट 18 अप्रैल को आ सकती है. इस रिपोर्ट की वो पांच बातें जिन पर सबकी नजर होगी, जानते हैं.

USA, Washington: Trump legt Veto gegen Resolution zu US-Militärhilfe im Jemen ein
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Harnik

अमेरिका के अटॉर्नी जनरल विलियम बार ने 2016 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में रूस की भूमिका की जांच के लिए बनाई रॉबर्ट मलर समिति की रिपोर्ट के कुछ हिस्से जारी किए गए है. 18 अप्रैल को न्याय विभाग करीब 400 पन्नों वाली इस रिपोर्ट को जारी कर सकता है. बार ने 24 मार्च को सांसदों को लिखे गए चार पन्नों के एक पत्र में मलर रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्षों के बारे में लिखा. 22 महीने की जांच के बाद डॉनल्ड ट्रंप के चुनाव अभियान में रूस की भूमिका का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिला. साथ ही, बार ने कहा कि मलर रिपोर्ट में ऐसे साक्ष्य भी नहीं मिले हैं जिनसे कहा जा सके कि ट्रंप ने न्याय में अवरोध पैदा किया हो.

रिपोर्ट के कुछ पन्नों को हटा दिया गया है क्योंकि इसमें कुछ संवेदनशील जानकारियां शामिल हैं. इस रिपोर्ट में पांच बातें देखने लायक होंगी.

न्याय में अवरोध की कोशिश

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे सबूत नहीं मिले हैं जिनसे लगे कि ट्रंप ने न्याय में अवरोध पैदा किया हो. लेकिन इन आरोपों की पूरी तरह से खारिज भी नहीं किया गया है. बार के पत्र के मुताबिक मलर ने सारे पक्षों से सबूत इकट्ठा किए लेकिन ये नहीं बताया कि इसके लिए ट्रंप पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए या नहीं. बार ने लिखा कि ट्रंप के काम ऐसे थे जिनसे ऐसा आभास हो रहा था जैसे कि वो न्याय में बाधा डालने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन इसका कोई साक्ष्य नहीं मिला. अमेरिकी कांग्रेस में मौजूद डेमोक्रैट्स बार के इस पत्र पर भरोसा नहीं कर रहे हैं. वो ट्रंप के खिलाफ महाभियोग चलाने की तैयारी में हैं. वो ट्रंप पर न्याय में बाधा, भ्रष्टाचार और शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप लगा रहे हैं. कांग्रेस की न्यायिक समिति इसकी जांच करेगी.

चुनाव में रूस की भूमिका

मलर ने अपनी रिपोर्ट में रूस की दो एजेंसियों की भूमिका की जांच की. पहली, सैंट पीटर्सबर्ग की एक ट्रोल फर्म जो खुद को एक इंटरनेट रिसर्च एजेंसी बताती है. इस फर्म पर सोशल मीडिया पर 'इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर' का आरोप लगा है. दूसरा, रूस की इंटेलिजेंस सर्विस जिस पर आरोप है कि उन्होंने डेमोक्रैटिक पार्टी के सर्वर हैक कर लिए और वहां से हिलेरी क्लिंटन के ईमेल लीक किए. हालांकि ये दोनों बातें पहले ही सार्वजनिक हो गईं थीं और इनका ट्रंप से कोई संबंध नहीं है. लेकिन देखना यह है कि मलर ने अपनी रिपोर्ट में ट्रंप की दो मुलाकातों के बारे में क्या जानकारी दी है. पहली, जून 2016 में ट्रंप टावर में हुई. ट्रंप और एक रूसी वकील की इस कथित मुलाकात में वकील ने क्लिंटन को बदनाम करवाने की बात कही थी. दूसरी मुलाकात जनवरी 2017 में सेशेल्स में ट्रंप और रूसी अधिकारियों के बीच हुई. इस कथित मुलाकात में ट्रंप प्रशासन और मॉस्को के बीच एक चैनल स्थापित करने की बात की गई. तब तक बराक ओबामा ही राष्ट्रपति थे.

रूस के राष्ट्रपति पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप.तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/J. Silva

मैनफॉर्ट, यूक्रेन पॉलिसी और चुनावी आंकड़ों के बारे में

ट्रंप के कैंपेन चेयरमैन रहे पॉन मैनफॉर्ट को मार्च में रूस समर्थक यूक्रेनी नेताओं से पैसे लेने के आर्थिक अपराध के लिए साढ़े सात साल की जेल सुनाई गई. इस रिपोर्ट से पता चल सकेगा कि ऐसा करने के पीछे मैनफॉर्ट की क्या मंशा थी. 2 अगस्त, 2016 में मैनफॉर्ट और यूक्रेनी नेता कॉन्स्टाटिन क्लिम्निक की मुलाकात हुई थी. इस मुलाकात में यूक्रेन विवाद के मामले में रूस का पक्ष लेने की बात कही है.

राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में

मलर को रूस के साथ संबंधों में कोई आपराधिक साजिश तो नहीं लगी लेकिन अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस रिपोर्ट में ट्रंप के रूस के प्रति व्यवहार और आर्थिक संबंधों की विस्तृत जानकारी हो सकती है. ट्रंप के आलोचक कहते हैं कि उनका रूस के प्रति नजरिया अमेरिका की पारंपरिक विदेश नीति से अलग है. इसमें मॉस्को में ट्रंप टावर बनाने का प्रस्ताव भी शामिल है. इस रिपोर्ट में जानकारी हो सकती है कि क्या ट्रंप के आने से राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में अमेरिका को कोई परेशानी हुई.

मध्य पूर्व का प्रभाव और दूसरी जांचें

संभावना जताई जा रही है कि मलर अपनी रिपोर्ट में मिडिल-ईस्ट देशों द्वारा ट्रंप को प्रभावित की कोशिशों के बारे में भी जानकारी होगी. एक रहस्य फिलहाल ये भी है कि क्या सऊदी अरब के राजकुमार के सलाहकार और लेबनानी-अमेरिकी व्यापारी जॉर्ज नाडर ने भी मलर का सहयोग किया है. नाडर सेशेल्स में हुई मुलाकात के दौरान भी मौजूद थे. साथ ही, डॉनल्ड ट्रंप के बेटे डॉनल्ड ट्रंप जूनियर और इस्राइल के सोशल मीडिया स्पेशलिस्ट के बीच अगस्त 2016 में हुई मुलाकात के दौरान भी मौजूद थे. ऐसे में देखना होगा कि मलर रिपोर्ट में उनके हवाले से क्या जानकारी मिलती है.

आरकेएस/ओएसजे (रॉयटर्स)

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