ट्रंप को दक्षिण कोरिया के साथ व्यापार में भी समस्या
५ सितम्बर २०१७
सुरक्षा मसलों पर उत्तर कोरिया और अमेरिकी तनातनी से दुनिया वाकिफ है लेकिन कारोबारी पक्ष पर अब अमेरिका, दक्षिण कोरिया के साथ अपने संबंधों को सीमित करने पर विचार कर रही हैं.
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दक्षिण कोरिया के सबसे बड़े विदेशी कारोबारी समूह ने अमेरिका और दक्षिण कोरियाई कारोबारी संबंधों का पक्ष लेते हुये कहा है कि दक्षिण कोरिया के साथ मुक्त व्यापार समझौता खत्म करना अमेरिका के हित में नहीं होगा. अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स इन कोरिया (एएमसीएचएएम) ने ट्रंप के रुख पर असहमति जताते हुये कहा है कि दक्षिण कोरिया के साथ पांच साल पुराना अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौता (केओआरयूएस) दोनों देशों के लिये लाभप्रद रहा है और इसे खत्म करना ठीक नहीं होगा. ट्रंप ने इस समझौते को बेकार और नौकरियां खत्म करने वाला बताया था और कहा था कि वह इसे खत्म करने से जुड़े पहलुओं पर चर्चा करेंगे.
कहां कहां बंद करेगा अमेरिका अपना कारोबार
उत्तर कोरिया के परमाणु दावों से तिलमिलाये अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर कहा कि अमेरिका उन देशों के साथ कारोबारी संबंध खत्म कर सकता है जो उत्तर कोरिया के साथ व्यापार करते हैं. लेकिन क्या यह संभव है.
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वैश्विक कारोबार
वैश्विक कारोबार की बात करें तो उत्तर कोरिया कोई बहुत बड़ा खिलाड़ी नहीं है. साल 2015 के सीआईए फैक्टबुक के आंकड़ों मुताबिक यह दुनिया के 100 आयात-निर्यात करने वालों देशों की सूची में भी नहीं आता. लेकिन हैरानी की बात है कि जिन देशों के साथ इसके कारोबारी संबंध हैं वह दुनिया के बड़ी अर्थव्यवस्थायें हैं.
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चीन
उत्तर कोरिया के साथ लगभग 1420 किमी की सीमा साझा करने वाला चीन इसका सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है. मैसेचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के आंकड़ो मुताबिक साल 2015 में उत्तर कोरिया के 83 फीसदी निर्यात में चीन की हिस्सेदारी थी वहीं इसके आयात में भी इसका 85 फीसदी हिस्सा रहा.
अब सवाल है कि क्या अमेरिका के लिये चीन के साथ कारोबारी संबंध खत्म करना संभव है. अमेरिका और चीन के कारोबारी संबंध में अगर कोई उतार-चढ़ाव आता है तो उसका असर वैश्विक स्तर पर देखने को मिलेगा. कनाडा और मैक्सिको के बाद चीन ही ऐसा तीसरा बड़ा देश है जो अमेरिका से सबसे अधिक चीजें खरीदता है. वहीं अमेरिका भी चीन से अपनी जरूरत का करीब 21 फीसदी सामान खरीदता है.
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भारत और अमेरिका
भारत, उत्तर कोरिया का दूसरा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है. इसका उत्तर कोरिया के साथ 3.1 फीसदी आयात और 3.5 फीसदी निर्यात होता है. लेकिन विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के साथ संबंध खत्म करना भी अमेरिका के लिये आसान नहीं है. रणनीतिक और कारोबारी लिहाज से अमेरिका के लिये भारत एशिया में बेहद महत्वपूर्ण है.
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एशियाई पड़ोसी
उत्तर कोरिया के अपने पड़ोसी मुल्कों के साथ भी व्यापारिक संबंध हैं. निर्यात की बात करें तो पाकिस्तान के साथ भी इसके संबंध हैं, इसके बाद सऊदी अरब के साथ भी यह निर्यात साझेदारी रखता है. इसके अलावा कई छोटे मुल्कों के साथ इसके कारोबारी संबंध हैं. अफ्रीकी महीद्वीप के बुर्किना फासो और जांबिया जैसे देश भी उत्तर कोरिया के साथ कारोबार करते हैं.
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अन्य साझेदार
उत्तर कोरिया में वस्तुओं की आपूर्ति करने में रूस की अहम भूमिका है. रूस, थाईलैंड और फिलीपींस जैसी अर्थव्यवस्थाओं के भी इसके साथ व्यापारिक संबंध हैं. छोटे स्तर पर ही सही उत्तर कोरिया के जर्मनी के साथ भी व्यापारिक संबंध हैं.
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जर्मनी का साथी
साल 2015 में जर्मनी ने उत्तर कोरिया के साथ 29 लाख यूरो का आयात किया था, जिसमें फेरो एलॉय, तार और एक्स-रे से जुड़े उपकरण शामिल थे. वहीं उत्तर कोरिया ने तकरीबन 74 लाख यूरो का निर्यात किया था इसमें मुख्य तौर पर पैकेज दवाइयां शामिल थीं. (एए/आर्थर सुलिफन)
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अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स के अधिकारियों ने कहा कि उत्तर कोरिया के साथ बढ़ती तनातनी के बीच, दक्षिण कोरिया के साथ सालों पुराना कारोबारी समझौता खत्म करना दोनों देशों के दशकों पुराने संबंधों को प्रभावित कर सकता है.
दक्षिण कोरियाई कारोबारी संबंधों में संशोधन अमेरिका के उस व्यापक अभियान का हिस्सा है जिसके तहत वह व्यापार घाटे में कटौती करना चाहता है. अमेरिका का व्यापार घाटा साल 2012 में इस समझौते के बाद से अब तक दोगुना हो गया है. साल 2011 में यह 13.2 अरब डॉलर था जो साल 2016 तक बढ़कर 27.6 अरब डॉलर हो गया.
इसके बीच अमेरिकी राष्ट्रपति ने उत्तर कोरिया से व्यापार करने वाले देशों के साथ भी संबंध खत्म करने की बात कही है. हालांकि आंकड़ों पर नजर डाले तो इस पर अमल करना अमेरिका के लिये आसान नहीं है. लेकिन दक्षिण कोरिया के साथ अमेरिका का यह रुख कोरियाई प्रायद्वीप और एशिया की राजनीति पर निश्चित ही असर डाल सकता है.