वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रूस के विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव और रूसी राजदूत सेर्गेई किसल्याक से मुलाकात के दौरान ट्रंप ने गोपनीय जानकारी साझा की.
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वॉशिंगटन पोस्ट ने वर्तमान और पूर्व अमेरिकी अधिकारियों के बयान के आधार पर यह रिपोर्ट छापी है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले हफ्ते जब ट्रंप रूस के विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव और रूसी राजदूत सेर्गेई किसल्याक से मिले तो इस मुलाकात के दौरान उन्होंने गोपनीय जानकारी साझा की. यह मुलाकात व्हाइट हाउस में हुई.
अमेरिका को एक अहम सूत्र से इस्लामिक स्टेट के बारे में खुफिया जानकारी मिली थी. सूत्र ने प्रशासन को इस जानकारी को मॉस्को के साथ साझा करने की अनुमति नहीं दी थी. सोमवार को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, इसके बावजूद ट्रंप ने रूसी अधिकारियों के साथ जानकारी साझा की.
रिपोर्ट के मुताबिक, 10 मई को ओवल ऑफिस में लावरोव और किसल्याक से मुलाकात के दौरान ट्रंप तयशुदा योजना से बाहर निकल गए और उन्होंने इस्लामिक स्टेट की लैपटॉप के जरिये विमानों को निशाना बनाने की योजना की जानकारी दी. नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा कि रूस के साथ सूचना बांटने से अमेरिका को मिला बेहद संवेदनशील मुखबिर मुश्किल में पड़ सकता है. उसकी बदौलत अमेरिका को इस्लामिक स्टेट के भीतरी संगठन की जानकारी मिलती है.
अखबार के साथ बातचीत में पूर्व अधिकारी ने कहा, ट्रंप ने "रूसी राजदूत के सामने इतनी जानकारी उगली, जितनी हम अपने साझेदारों के साथ साझा नहीं करते." जानकारी इतनी गोपनीय थी कि उसका पता अमेरिकी सरकार के कुछ चुनिंदा अधिकारियों को ही था. व्हाइट हाउस में हुई उस मुलाकात के बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने सीआईए और नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी (एनएसए) को फोन किया. इन फोन कॉल्स के जरिये नुकसान को सीमित करने की कोशिश की गई.
राष्ट्रपति कार्यालय ने वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट को खारिज किया है. अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर एचआर मैकमास्टर ने रिपोर्ट का खंडन करते हुए कहा, "राष्ट्रपति और विदेश मंत्री ने आंतकी संगठनों से पैदा होने वाले साझा खतरों की समीक्षा की, इसमें हवाई सेवाओं को खतरा भी शामिल है. किसी भी वक्त खुफिया सूत्रों या तरीकों की बात नहीं की गई, और ऐसे किसी सैन्य अभियान का जिक्र भी नहीं किया गया जो सार्वजनिक नहीं है."
ट्रंप के इन कदमों से मची है खलखली
डॉनल्ड ट्रंप को अमेरिका का राष्ट्रपति बने अभी कुछ ही दिन हुए हैं, लेकिन उन्होंने अपने कई कदमों से दुनिया में खलबली मचा दी है. देखिए अब तक ट्रंप ने बतौर राष्ट्रपति क्या क्या किया है.
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वादों पर अमल
ट्रंप ने राष्ट्रपति के रूप में दो हफ्ते से भी कम समय के भीतर 17 अध्यादेश जारी किए हैं. वैसे इतने ही अध्यादेश ओबामा ने भी जारी किए थे. लेकिन जिस तरह के अध्यादेश ट्रंप ने जारी किए हैं, उनसे सब हैरान हैं. लगता है वह अपने चुनावी वादों को पूरा करने में जुटे हैं.
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है क्या अध्यादेश
अध्यादेश के जरिए राष्ट्रपति अमेरिकी एजेंसियों को आदेश दे सकते हैं और इसके लिए अमेरिकी संसद की अनुमति लेने की जरूरत नहीं पड़ती. किसी आदेश को तेजी से लागू कराने के लिए अध्यादेश का सहारा लिया जाता है.
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ओबामा केयर को कमजोर करना
अपने पहले अध्यादेश ने ट्रंप ने किफायती स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने वाले ओबामा कार्यकाल के कानून पर निशाना साधा है. हालांकि ट्रंप के लिए अकेले दम पर इस कानून को खत्म करना संभव नहीं है, लेकिन उनके अध्यादेश से इसे लागू करने में कई दिक्कतें आएंगी.
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गर्भपात
ट्रंप ने उस नीति को फिर से लागू कर दिया है जो गर्भपात के लिए काउंसलिंग और गर्भपात के अधिकारों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों की सरकारी फंडिंग पर रोक लगाती है. पहली बार इसे रिपब्लिकन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने लागू किया था. लेकिन बिल क्लिंटन और ओबामा जैसे डेमोक्रैट राष्ट्रपतियों ने इसे किनारे रख दिया तो रिपब्लिकन जॉर्ज बुश ने इसे लागू किया था.
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बिना दस्तावेज वाले प्रवासियों की वापसी
ट्रंप ने प्रत्यर्पण के दायरे को बढ़ाने का आदेश दिया है. वह चाहते हैं कि बिना दस्तावेज के अपने यहां लोगों को रखने वाले शहर से पैसा वसूला जाए और संदिग्ध अपराधी अप्रवासियों को हिरासत में लिया जाए. ट्रंप 10 हजार नए इमिग्रेशन एजेंट भर्ती करना चाहते हैं.
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दीवार
25 जनवरी को ट्रंप ने मेक्सिको से लगने वाली अमेरिका की सीमा पर दीवार बनाने वाले अध्यादेश पर हस्ताक्षर किए. इस दीवार को बनाने की बात चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने बार बार कही थी. ट्रंप ने अमेरिका में बिना दस्तावेजों के रह रहे अप्रवासियों को “हटाये जाने योग्य विदेशी” कहा है.
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वीजा बैन
ट्रंप के जिस अध्यादेश को लेकर शायद दुनिया में सबसे ज्यादा आलोचना हो रही है, वह है सात मुस्लिम बहुल देशों के लोगों के अमेरिका में प्रवेश पर अस्थायी रोक. उनके आलोचक जहां इसे धर्म के आधार पर भेदभाव का नाम दे रहे हैं, वहीं ट्रंप इसे देश को हमलों से सुरक्षित बनाने के लिए जरूरी बता रहे हैं.
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अमेरिका टीपीपी से बाहर
जब ट्रंप ट्रांस-पैसेफिक पार्टनरशिप से बाहर हुए किसी को ज्यादा हैरानी नहीं हुई. अपने चुनावी अभियान में भी उन्होंने यह कहकर इस संधि की आलोचना की थी कि अमेरिका की कीमत पर अन्य देशों को इसका फायदा हो रहा है.
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पाइपलाइन
राष्ट्रपति कार्यालय में ट्रंप का चौथा दिन पाइपलाइनों से जुड़ा था. इनमें डकोटा एक्सेस पाइपलाइन का निर्माण, कीस्टोन पाइपलाइन का निर्माण जारी रखना और सभी पाइपलाइनों के निर्माण में अमेरिकी सामान का इस्तेमाल करना शामिल था. ओबामा ने पर्यावरण से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए दोनों पाइपलाइनों को मंजूरी नहीं दी थी.
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सेना का विस्तार लेकिन...
ट्रप ने सेना में नए सैनिकों की भर्ती, नए सैन्य साजोसामान की खरीद और परमाणु हथियारों को आधुनिक बनाने का आदेश दिया है. लेकिन अन्य संघीय सिविल एजेंसियों में भर्ती पर उन्होंने 90 दिन की रोक लगा दी है, ताकि प्रशासन कर्मचारियों की संख्या को कम करने की दीर्घकालीन योजना तैयार कर सके.
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बड़ा बदलाव
ट्रंप ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में बड़े बदलावों का एलान किया है जिससे स्टीफन बैनन का कद बढ़ेगा. विदेश नीति से जुड़े अहम फैसले करने वाली इस परिषद से ट्रंप ने कई वरिष्ठ सदस्यों की छुट्टी कर दी है जबकि दक्षिणपंथी विचारों के लिए मशहूर ट्रंप के मुख्य रणनीतिकार को इसमें शामिल किया गया है.
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नियमों पर निशाना
ट्रंप चाहते हैं कि संघीय एजेंसियां जब भी कोई नया नियम बनाएं तो पुराने दो कानून खत्म कर दें. उन्होंने नए नियम बनाने पर फिलहाल रोक लगा दी है. ट्रंप की तरफ से नियुक्त विभाग पहले स्थिति की समीक्षा करेगा और फिर इस बारे में आगे कदम बढाया जाएगा.
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एच1बी वीजा
ट्रंप ने एच1बी वीजा से जुड़े नियमों में भी बदलाव का आदेश दिया है. इससे अमेरिका में काम कर रहे भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स प्रभावित होंगे. पहले 60 हजार डॉलर प्रति वर्ष के वेतन पर एच1बी वीजा मिल जाता है, लेकिन अब इसके लिए एक लाख तीस हजार डॉलर की शर्त रखी जा रही है.
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किसके कितने अध्यादेश
ट्रंप से पहले बराक ओबामा आठ साल तक अमेरिकी राष्ट्रपति रहे और इस दौरान उन्होंने कुल 277 अध्यादेशों पर हस्ताक्षर किये. इस मामले में ओबामा जॉर्ज बुश से पीछे रहे जिन्होंने बतौर राष्ट्रपति अपने आठ साल में 291 अध्यादेश निकाले थे.
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उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डिना पॉवेल ने अखबार की रिपोर्ट को "झूठा" करार दिया. अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन के मुताबिक व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात के दौरान आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई पर चर्चा हुई. ट्रंप प्रशासन द्वारा रिपोर्ट के खंडन किये जाने के बावजूद किसी ने साफ यह नहीं कहा कि वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में कौन सी गलत जानकारी है.
अमेरिकी राष्ट्रपति को खुफिया जानकारी सामने रखने का अधिकार है. रूसी अधिकारियों के साथ ऐसी जानकारी साझा कर उन्होंने कोई नियम नहीं तोड़ा है. लेकिन एक सूत्र ने ट्रंप के व्यवहार को "लापरवाह" करार दिया. सूत्र ने कहा कि राष्ट्रपति को शायद राजनीतिक नतीजों की समझ नहीं है.
सीरिया के मुद्दे पर रूस और अमेरिका का रुख बहुत अलग है. अमेरिका और यूरोप राष्ट्रपति बशर अल असद को सत्ता से हटते हुए देखना चाहते हैं. अमेरिका असद विरोधी विद्रोहियों का समर्थन कर रहा है. वहीं मॉस्को असद और उनकी सेना की मदद कर रहा है. असद की सेना के साथ खुफिया जानकारी साझा कर रूस अमेरिकी खुफिया नेटवर्क को बर्बाद कर सकता है. सीनेट की खुफिया समिति के नेता मार्क वॉर्नर का कहना है कि अगर यह रिपोर्ट सच है तो ये अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के "मुंह पर एक तमाचा" होगा.