क्या डॉनल्ड ट्रंप में सीखने की क्षमता है? जी20 सम्मेलन ने अचंभित करते हुए संरक्षणवाद पर एकजुट होने का संदेश दिया. लेकिन डीडब्ल्यू के आर्थिक संपादक हेनरिक बोएमे का कहना है कि मामला इतना सीधा भी नहीं है.
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करोड़ों के खर्च से हुए शिखर सम्मेलन को कामयाब कैसे बनाया जाता है? इसकी कला कोई अंगेला मैर्केल से सीखे. पहले आप उम्मीदें घटाते जाते हैं, फिर मेहमानों को हल्के से दबाव में डालते हैं, समझौते और रियायत की अपील करते हैं. पहले दिन बिना लागलपेट बताते हैं कि मुक्त व्यापार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर रुख एक दूसरे से बहुत अलग है. फिर सम्मेलन के अंतिम दिन सुबह यह सूचना बाहर जाने देते हैं कि व्यापार के मुद्दे पर सहमति हो गई. और सबसे आखिर में समापन दस्तावेज में संरक्षणवाद के खिलाफ स्पष्ट रुख का फैसला 19-1 से नहीं बल्कि 20-0 से मिलजुल कर. यानी अंत में सब भला.
जी नहीं!
जिस बात पर सालों से सहमति है उसे राष्ट्रपति ट्रंप के जमाने में सौदेबाजी की सफलता बताया जाता है, जिसके लिए वार्ताकारों को रात भर मेहनत करनी पड़ी है. राष्ट्र और सरकार प्रमुखों के स्तर पर जी20 का शिखर सम्मेलन 2008 से हो रहा है. मुक्त व्यापार की बात हमेशा से घोषणाओं का हिस्सा रही है. ये दस्तावेज एक ओर राजनेताओं के काम का रिजल्ट हैं तो दूसरी ओर आने वाले समय के लिए होमवर्क भी.
हालांकि ये होमवर्क भी वैसा ही है जैसा स्कूली बच्चों का होता है. हर कोई ये होमवर्क मन लगाकर करना नहीं चाहता. मुक्त व्यापार के मामले में इस बात को साफ तौर पर देखा जा सकता है. विश्व व्यापार संगठन व्यापार में बाधाओं पर आंकड़ा रखता है, जो कभी बनाये जाते हैं और कभी तोड़े जाते हैं. और मजेदार बात है कि जी20 देशों में महीने में औसत 17 व्यापारिक बाधायें लगायी जाती हैं. इसमें जी20 की घोषणाओं के वादों और हकीकत का अंतर दिखता है.
आखिर क्या है जी20
इस वर्ष जी20 का शिखर सम्मेलन जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में किया जा रहा है और मुख्य मुद्दा जलवायु परिवर्तन है. लेकिन इस सबसे पहले जरूरी है कि आप जानें कि जी20 आखिर है क्या.
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जी20 क्या है
20 सदस्यों का समूह जी 20 एक अंतर्राष्ट्रीय मंच है जो दुनिया के 20 प्रमुख औद्योगिक और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है. जी20 विश्व के सकल घरेलू उत्पाद के 85 प्रतिशत और कुल आबादी के दो तिहाई हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है.
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जी20 का गठन कब हुआ
1999 में जी20 का गठन हुआ था. तब यह केवल सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गर्वनरों का संगठन था. पहला जी20 शिखर सम्मेलन बर्लिन में दिसंबर 1999 में हुआ, जिसे जर्मनी और कनाडा के वित्त मंत्रियों ने आयोजित किया था.
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2008 में हुआ बदलाव
2008 में आयी वैश्विक मंदी से निपटने के लिए जी20 में बड़े बदलाव हुए और इसे शीर्ष नेताओं के संगठन में तब्दील कर दिया गया. 2008 में अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में हुआ जी20 शिखर सम्मेलन पूरी तरह वित्तीय बाजारों और विश्व अर्थव्यवस्था की हालत दुरुस्त करने पर केंद्रित था.
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कौन कौन हैं सदस्य
जी20 के 20 सदस्यों के नाम हैं जर्मनी, अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, चीन, भारत, रूस, सऊदी अरब, जापान, दक्षिण कोरिया, अर्जेंटीना, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, इंडोनेशिया, इटली और मेक्सिको.
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जी20 का शिखर सम्मेलन कब होता है
बैठकें वार्षिक आधार पर होती हैं. हालांकि 2009 और 2010 में जब विश्व अर्थव्यवस्था संकट में थी तब नेताओं ने वर्ष में दो बार मुलाकात की थी.
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इस बार का सम्मेलन
जर्मनी ने दिसंबर 2016 में जी20 की अध्यक्षता ग्रहण की. हालांकि बर्लिन ने 1999 और 2004 में मंत्री स्तर की जी20 की बैठक की मेजबानी की थी. लेकिन हैम्बर्ग में जर्मनी पहली बार जी20 के शिखर सम्मेलन का आयोजन कर रहा है.
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कौन करता है जी20 का आयोजन
जी20 का कोई स्थायी अध्यक्ष नहीं होता. हर साल एक नया सदस्य संगठन का अध्यक्ष बनाया जाता है और वही सम्मेलन का आयोजन करता है. पिछली साल जी20 का शिखर सम्मेलन चीन में किया गया था.
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अध्यक्ष होने का क्या फायदा
अध्यक्षता और शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहे सदस्य के पास एजेंडा सेट करने और चर्चाओं का नेतृत्व करने का एक अवसर होता है. साल 2018 में अर्जेंटीना जी20 के शिखर सम्मेलन का आयोजन करेगा.
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अनिवार्य नियम नहीं
जी20 के सदस्य अनिवार्य रूप से विश्व की सबसे ताकतवर अर्थव्यवस्थाएं नहीं हैं. जैसे अर्जेंटीना की अर्थव्यवस्था स्विट्जरलैंड से छोटी है लेकिन वह फिर भी वह जी20 का सदस्य है.
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आलोचना
जी20 की काफी आलोचना भी होती है. आलोचकों का आरोप है कि यह "स्व घोषित" मंच संयुक्त राष्ट्र, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक जैसी विश्व संस्थाओं की भूमिका को कम करता है.
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विरोध प्रदर्शन
हर साल शिखर सम्मेलन में देशों के शीर्ष नेताओं के अलावा बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता भी पहुंचते हैं जो गरीबी, पर्यावरण, भेदभाव जैसे मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन करते हैं.
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जो चाहा मिला
इसलिए अमेरिकियों के लिए उस लाइन को मानना मुश्किल नहीं रहा होगा. कम से कम अब उन्हें बुरा नहीं माना जायेगा और वे अपनी अमेरिका फर्स्ट की नीति भी चलाते रहेंगे. जब तक विश्व व्यापार संगठन बाधाओं की सिर्फ गिनती करेगा और उनके खिलाफ कुछ कर नहीं पायेगा तब तक ऐसा ही होगा. इसके अलावा समापन घोषणा में एक दूसरी लाइन भी है. वह वैध व्यापार सुरक्षा कदमों की अनुमति देता है, यानि दंडात्मक शुल्क लगाने की. और जैसे कि वाशिंगटन के मेहमान को खुश रखने के लिए ये रियायतें काफी नहीं हों, समापन घोषणा में व्यापार में निष्पक्ष शर्तों की भी बात कही गयी है. डॉनल्ड ट्रंप ने जरूर सोचा होगा, देखो ऐसे होता है, यही तो मैं हमेशा से कह रहा था, निष्पक्ष व्यापार. और अंत में स्टील के अत्यधिक उत्पादन का मुद्दा भी समापन घोषणा में शामिल है, जैसे कि यह दुनिया की सबसे बड़ी समस्या हो. जबकि वास्तव में ऐसा है नहीं.
न्यायिक भूमंडलीकरण
कनाडा के प्रधानमंत्री और जी20 के संस्थापक पॉल मार्टिन ने दो दशक पहले कहा था भूमंडलीकरण का फायदा सबको मिलना चाहिए. अच्छी बात है लेकिन उसे किसी ने गंभीरता से नहीं लिया. अब जब एक भूमंडलीकरण का आलोचक व्हाइट हाउस पहुंच गया है, और ब्रिटेन भूमंडलीकरण के डर से ईयू से बाहर निकल गया है, तो बहुत से नेता फिर इस वाक्य को याद कर रहे हैं. भूमंडलीकरण को न्यायोचित बनाना जी20 का मुख्य काम होना चाहिए. चांसलर अंगेला मैर्केल ने ये बात पहचान ली है और ये समापन दस्तावेज में शामिल भी है कि सभी को भूमंडलीकरण के मौकों में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए.
ये बात जुमला बनकर नहीं रह जानी चाहिए. सामाजिक विषमता समाज को बांटती है. निराश, नुकसान झेलने वाले और असंतुष्ट लोग चरमपंथियों के लिए चारा हैं. एक अन्यायपूर्ण भूमंडलीकरण लोकतंत्र के लिए खतरा है.
हेनरिक बोएमे (आर्थिक संपादक, डीडब्ल्यू)
जी20 के विरोध में कहीं भूत तो कहीं नाच
जी20 सम्मेलन इस बार जर्मनी के हैम्बर्ग में हो रहा है. यहां जी20 समूह देशों के प्रतिनिधियों के अलावा हजारों प्रदर्शनकारी भी पहुंच रहे हैं, जो बेहद दिलचस्प प्रदर्शनों और जुलूसों के जरिए कुछ दूसरे मुद्दों को उठा रहे हैं.
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'वेलकम टू हेल'
ग्लोबलाइजेशन का विरोध कर रहे कार्यकर्ता हैम्बर्ग में एक बड़ा प्रदर्शन कर रहे हैं. शहर जी20 के देशों के नेताओं के स्वागत की तैयारी कर रहा है, वहीं प्रदर्शनकारी इस आयोजन को "जी-20: वेलकम टू हेल" कहते हुए इसका विरोध कर रहे हैं.
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डांस कर रहे लोग
हैम्बर्ग के बंदरगाह के नजदीक बुधवार को 10 हजार से भी ज्यादा लोगों ने टेक्नो म्यूजिक पर डांस किया. इनका नाचना भी विरोध प्रदर्शन का एक रूप है. इस प्रदर्शन में नाच रहे लोगों का नारा है, "डांसिंग इज बेटर देन जी20."
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Charisius
टकराव की स्थिति
हैम्बर्ग में पुलिस ने सड़क जाम करने की कोशिश कर रहे प्रदर्शनकारियों पर जेट वॉटर का इस्तेमाल किया. सम्मेलन के लिए शहर की सुरक्षा में 20 हजार पुलिसकर्मी, 28 हेलीकॉप्टर, 185 पुलिस के कुत्ते, 40 वॉटर कैनन और 3 हजार पुलिस की गाड़ियां तैनात हैं.
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हिंसा का खतरा
पुलिस के मुताबिक बुधवार को हैम्बर्ग और आसपास के इलाकों के छापे के दौरान चाकू, डंडे, बेसबॉल बैट जब्त किये गये हैं. जी20 के दौरान हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी हैम्बर्ग पहुंच रहे हैं जिनमें से 8 हजार से ज्यादा अराजक और कट्टर वामपंथी होंगे. आशंका जताई जा रही है कि सम्मेलन को बाधित करने के लिए वे हिंसा का भी सहारा ले सकते हैं.
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'येस वी कैंप!'
फ्रांस के ये प्रदर्शनकारी जी20 सम्मेलन के दौरान कई जुलूस निकालने वाले हैं. इस संस्था के सदस्यों ने हैम्बर्ग के अल्टोला फोक्सपार्क में कैंप लगाये हुये हैं, जहां उन्हें पुलिस ने उन्हें 300 टेंट लगाने की इजाजत दी है.
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एक शाम का विरोध
2 जुलाई को हैम्बर्ग पुलिस एल्ब नदी के किनारे बने पार्क में प्रतिबंधित कैंपों को हटाने के लिए पहुंची. पुलिस ने उन 600 कार्यकर्ताओं को हटाने के लिए पेपर स्प्रे का सहारा लिया. बाद में हैम्बर्ग की एक कोर्ट ने उन्हें रात भर के लिए 300 टेंट लगाने की इजाजत दे दी.
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रबर के पुतले
बराबरी के मुद्दे पर काम करने वाली एक संस्था ऑक्सफैम ने 2 जुलाई को एक प्रदर्शन किया. उनका नारा था अमीर और गरीब देशों के बीच के अंतर को कम किया जाय.
तस्वीर: Reuters/F. Bimmer
छोटी नावों का बेड़ा
विरोध प्रदर्शन के तौर पर अल्सटर नदी के किनारे छोटी छोटी नावें भी तैरती दिखाई पड़ीं. छोटी नावों पर एनजीओ के कार्यकर्ता बैनर लिए बैठे थे और किनारों पर खड़े लोग उनका समर्थन कर रहे थे.
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लोगों की ताकत
प्रदर्शनकारियों ने जी 20 शिखर सम्मेलन से पहले कई जुलूस निकाले. जर्मनी में जी20 होने के बावजूद कई बोर्ड और बैनरों को अंग्रेजी में लिखा गया ताकि दुनियाभर के लोगों तक संदेश पहुंचाया जा सके. इस लोगों का प्रमुख नारा बेहतर पर्यावरण को लेकर था.
तस्वीर: Getty Images/AFP/J. Macdougall
भूत बने प्रदर्शनकारी
जी20 के दौरान हैम्बर्ग कई जगह मुर्दे दिखाई पड़ेंगे. मृत से दिखते ये जॉम्बी अचानक चलते फिरते नजर आयेंगे. हालांकि इस प्रदर्शन का सम्मेलन में लिये जाने वाले फैसलों से कोई लेना देना नहीं है.
तस्वीर: DW/A. Drechsel
घरों पर टांगे संदेश
जी20 सम्मेलन के मुख्य केंद्र जाने वाले रास्ते में बने एक नर्सिंग होम ने अपनी इमारत पर एक बड़ा सा संदेश लिखा है. जी20 में होने वाली बहसों और बाहर इंतजार कर रहे हजारों हिंसक प्रदर्शनकारियों के बीच उन्होंने एक बैनर टांगा है जिस पर तंज कसते हुए लिखा है, वी विश ऑल पीसफुल एनकाउंटर्स.