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ट्रक में जमी मिलीं 39 लाशें, ब्रिटेन में गुलामी का कारोबार

३१ अक्टूबर २०१९

ब्रिटेन में एक रेफ्रिजरेटिड ट्रक में हाल में 39 लोगों के शव मिले, जिसके बाद वहां लोगों के नाखून चमकाने वाले उद्योग में गुलामी से निपटने की मांग फिर जोर पकड़ रही हैं. वियतनामी महिलाओं से इन बारों में गुलामी कराई जाती है.

Vietnam Ho-Chi-Minh-Stadt | Nagelstudio
तस्वीर: Imago Images/UIG/P. Deloche

माना जा रहा है कि ट्रक में मिले ज्यादातर शव वियतनामी लोगों के हैं. ब्रिटेन में जिन लोगों से गुलामों की तरह काम लिया जाता है, उनमें से बहुत सारे वियतनाम से आते हैं.  2018 में 7,000 संदिग्ध गुलामों को मदद के लिए सरकार के पास भेजा गया था. उनमें से करीब 10 प्रतिशत वियतनामी थे.

पुलिस अब भी ट्रक वाले मामले की जांच कर रही है. यह अब भी साफ नहीं हुआ है कि मारे गए लोग ब्रिटेन क्यों आए थे. अकसर आकर्षक नौकरियों के झांसे में आ कर कुछ वियतनामी यूरोप पहुंच जाते हैं और ब्रिटेन में बड़ी संख्या में फैले अवैध गांजे के खेतों और सस्ते नेल बारों में फंस के रह जाते हैं.

फिलिप्पा सॉउथवेल एक वकील हैं और मानव तस्करी में जुड़े मामलों में विशेषज्ञता रखती हैं. वह कहती हैं, "ये एक बड़ी त्रासदी है और मैं उम्मीद करती हूं कि इसकी वजह से कोई बदलाव जरूर आएगा." उन्होंने कहा, "हमें नगद भुगतान पर चलने वाले नेल बार और कार की धुलाई करने जैसे कई क्षेत्रों में और कड़े नियमों की जरूरत है जहां शोषण आसानी से हो सकता है." सॉउथवेल ने यह भी कहा कि कई नेल सैलूनों का इस्तेमाल अकसर आपराधिक गतिविधियों से कमाए गए धन को इधर उधर करने के लिए भी होता है. 

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हालांकि ब्रिटेन में वियतनामी समुदाय द्वारा स्थापित कई नेल बार वैध हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि मानव तस्करों ने इनकी सफलता का फायदा उठाया है. गुलामी को खत्म करने के लिए काम करने वाली एक संस्था अनसीन का कहना है कि उनकी हॉटलाइन पर श्रमिकों के शोषण को लेकर पिछले साल जितने लोगों ने फोन किया, उनमें कार वॉश के बाद सबसे ज्यादा मामले ब्यूटी सैलूनों के ही थे. इनमे 477 लोग संभावित शिकार थे.

ब्रिटेन में गुलामी विरोधी कार्यक्रम की प्रमुख ने कहा है कि इस समस्या की रोकथाम के लिए उनके कार्यालय ने 2017 में जो सिफारिशें दी थीं, उनमे से ज्यादातर पर अमल नहीं हुआ है. इनमे नेल बारों के नियम बनाना भी शामिल था.

मानव तस्करी के जानकारों का कहना है कि ट्रक में 39 शव मिलने की घटना से पता चलता है कि तस्करी के शिकार लोगों की सुरक्षा के लिए कड़े नियम बनाना कितना जरूरी है. इस मामले में उत्तरी आयरलैंड के एक ट्रक ड्राइवर मौरिस रॉबिंसन को पिछले दिनों अदालत में पेश किया गया और उस पर मानव हत्या, धन की हेराफेरी, मानव तस्करी करने की साजिश रचने और अवैध इमीग्रेशन में सहायता करने की साजिश रचने के आरोप लगाए गए. 

2017 में ब्रिटेन के एंटी-स्लेवरी कमिश्नर केविन हायलंड ने नेल बारों में वियतनामी लोगों की तस्करी से निपटने के लिए कड़े नियमों की सिफारिश की थी. उनकी रिपोर्ट में तस्करी के शिकार जिन लोगों का विवरण था उनमें ऐसे भी लोग शामिल थे जिन्होंने सिर्फ 30 पाउंड के लिए हफ्ते के सातों दिन काम किया. वहीं एक व्यक्ति को गुलाम बना कर रखने वाले ने सारे पैसे ले लिए और शिफ्टों के बीच में उसे एक कमरे में बंद करके रखा. हायलंड ने कहा था कि ब्रिटेन को न्यूयॉर्क से सीखना चाहिए जहां नेल बारों पर सख्त नियम लागू कर दिए गए हैं.

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उनके बाद कमिश्नर नियुक्त हुईं सारा थॉर्नटन ने बताया कि उस रिपोर्ट की 35 सिफारिशों में से ज्यादातर पर अमल नहीं हुआ है. ट्रक में शव मिलने की घटना पर उन्होंने थॉमसन रायटर्स फाउंडेशन को बताया, "हालांकि हम अभी इस मामले का पूरा विवरण नहीं जानते, लेकिन यह मानव तस्करी का मामला लग रहा है." उन्होंने ये भी कहा, "मेरा विभाग ये भी पता लगा रहा है कि कि ऐसे जघन्य अपराधों से हम कैसे बेहतर तरीके से निपट सकते हैं और इस रिपोर्ट की लंबित सिफारिशों की समीक्षा करना इसका एक अहम हिस्सा रहेगा." ब्रिटिश गृह मंत्रालय ने अभी तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं दी है.

ब्रिटिश एसोसिएशन ऑफ ब्यूटी थेरेपी एंड कोस्मेटोलॉजी (बीएबीटीएसी) ने कहा कि नियम बनाने की तुरंत जरूरत है और आदर्श रूप से इसका जिम्मा इसी उद्योग की एक स्वतंत्र संस्था को दिया जाना चाहिए. बीएबीटीएसी ने कुछ साल पहले अनसीन के साथ मिलकर एक मुहिम चलाई थी, ताकि नेल बारों में होने वाले शोषण को लेकर जागरूकता पैदा की जा सके. बीएबीटीएसी का कहना है कि एक अनिवार्य कोड के साथ साथ समय समय पर यह निरीक्षण होना चाहिए कि किन परिस्थितियों में लोगों से काम लिया जा रहा है.

लेकिन कई लोगों का मानना है कि एक ऐसी स्वतंत्र संस्था की कोई जरूरत नहीं है. फोकस ऑन लेबर एक्सप्लॉइटेशन नामक संस्था की प्रमुख एमिली केन्वे ने मांग की कि श्रम निरीक्षणों में और निवेश होना चाहिए. उन्होंने कहा, "कुछ लोग कहेंगे कि एक स्टैम्प की आवश्यकता है, लेकिन वो कोई समाधान नहीं है. हमें श्रम निरीक्षण में ठीक से पैसे लगाने की और बिना दस्तावेज वाले लोगों को मुजरिम करार दिए जाने को रोकने की जरूरत है". 

वह कहती हैं कि मानव तस्करी के शिकार लोग मदद मांगने से डरते हैं. वे सोचते हैं कि उन्हें हिरासत में ले लिया जाएगा और वापस भेज दिया जाएगा. इस डर का फायदा उनका शोषण करने वाले उठाते हैं और इससे इस समस्या की रोकथाम करने की कोशिशें कमजोर होती हैं.

सीके/एके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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