दो साल पहले डॉर्टमुंड ने बायर्न म्यूनिख से मार्को रॉयस के ट्रांसफर की बाजी मार ली थी. लेकिन इस साल उले गोएत्से के बाद अब रोबर्ट लेवांडोव्स्की को बायर्न के हाथों गंवाना पड़ा है. बुंडेसलीगा के मिडटर्म में ट्रांसफर का गेम शुरू होते ही जर्मन चैंपियन ने अपने राष्ट्रीय प्रतिद्वंद्वी को एक और झटका दिया और डॉर्टमुंड से उसके विश्वस्तरीय स्ट्राइकर को छीन लिया. बुंडेसलीगा की टॉप टीम म्यूनिख ने अपने चोटी के खिलाड़ियों में अब अगले सीजन से लेवांडोव्स्की को भी शामिल कर लिया है. यह ट्रांसफर अगले सीजन में होगा यानी आने वाले कुछ महीनों तक लेवांडोव्स्की पीली जर्सी वाली डॉर्टमुंड की टीम के लिए ही खेलते रहेंगे.
क्लब वर्ल्ड कप जीतने के दो हफ्ते बाद और विंटर ट्रेनिंग कैंप के लिए कतर रवाना होने से पहले बायर्न की टीम ने लेवांडोव्स्की को टीम में शामिल करने की घोषणा की. हालांकि पोलैंड की राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ी लेवांडोव्स्की के डॉर्टमुंड छोड़ने की अटकलें कई महीनों से चल रही थीं, लेकिन विश्व फुटबॉल संघ फीफा के नियमों के कारण वे नए साल के शुरू होने से पहले कॉन्ट्रैक्ट पर दस्तखत नहीं कर सकते थे. ट्रांसफर की घोषणा करते हुए क्लब के प्रमुख कार्ल हाइंस रुमेनिगे ने कहा, "लेवांडोव्स्की विश्व के सर्वोत्तम स्ट्राइकरों में एक हैं."
जर्मनी के लोगों के लिए फुटबॉल से प्यारा कोई खेल नहीं. कई कोच और खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने देश का प्रतिनिधित्व भी कर रहे हैं. जर्मन फुटबॉल एम्बैसेडर संस्था इनके योगदान के लिए इन्हें सम्मानित करती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaकई जर्मन कोच और खिलाड़ी खेल के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने देश का प्रतिनिधित्व भी करते हैं. राजदूत की उपाधि के लिए 11 खिलाड़ियों को नामांकित किया गया है. इन्हें लोग http://www.fussballbotschafter.de/voting पर चुन सकते हैं.
तस्वीर: picture-alliance / augenklick/firo Sportphotoब्रोइख 2010 से ब्रिस्बेन में रह रहे हैं. 2011 और 2012 में उन्होंने जर्मन अंडर-20 नेशनल टीम में खेला और 2011-12 के लिए प्लेयर ऑफ द सीजन का खिताब जीता. उनके जीवन पर आधारित फिल्म भी बनी जिसा नाम था "'जीजू से मिले टॉम- परिकथा नहीं है"
तस्वीर: Getty Images2012 से शिकागो में रह रहे फ्रीडरिष ने मुख्य धारा फुटबॉल से जुड़ने से पहले बुंडेसलीगा के कई अहम मैच खेले. 2012 में शिकागो फायर की टीम अमेरिकी मेजर लीग सॉकर का हिस्सा बनी- फ्रीडरिष की वजह से. मैदान के बाहर भी फ्रीडरिष अफ्रीका में लोगों की मदद के लिए तमाम कार्यक्रमों में हिस्सा लेते रहते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaजर्मन फुटबॉलरों की इंग्लैंड में साख पक्की करने में हूथ का पिछले एक दशक में बड़ा हाथ रहा है. उन्होंने 2001 से 2006 तक चेल्सी, 2006 से 2009 तक मिडिल्सबरा और 2009 से अब तक ऑल इंग्लैंड टीम स्ट्रोक सिटी के लिए खेला.
तस्वीर: dapdखदीरा 2010 से रियाल मैड्रिड के लिए खेल रहे हैं. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने जर्मनी का शानदार प्रतिनिधित्व किया है. अफ्रीका में एचआइवी के मरीजों की मदद के लिए वह "लेस अप, सेव लाइव्ज" प्रोजेक्ट से भी जुड़े.
तस्वीर: Bongarts/Getty Imagesइटली की टीम लाजिओ के लिए क्लोजे 2011 से खेल रहे हैं. उन्हें जर्मनी के खेल से जुड़े सबसे बड़े सम्मान सिल्वर लॉरेल लीफ नवाजा जा चुका है. क्लोजे चैरिटी खेलों का आयोजन करने के लिए भी जाने जाते हैं जिनसे बीमार बच्चों को मदद पहुंचाई जाती हैं.
तस्वीर: Bongarts/Getty Imagesब्राजील में पैदा हुए कुरान्यी शुरुआती दिनों में ब्राजील में ही फुटबॉल खेलने के बाद 1997 में जर्मन फुटबॉल क्लब स्टुटगार्ट से जुड़े. 2010 में उन्हें दर्शकों की पसंद पर डाइनैमो मॉस्को के प्लेयर ऑफ द इयर सम्मान से भी नवाजा गया. 2010 से वह डाइनैमो मॉस्को के लिए खेल रहे हैं.
तस्वीर: Bongarts/Getty Imagesमर्टसैकर इंग्लैंड के क्लब आर्सेनल के लिए 2011 से खेल रहे हैं. लंदन में खेलने से पहले मर्टसैकर ने बुंडेसलीगा में अहम मैच खेले. अपनी चैरिटी संस्था के जरिए वह गरीब बच्चों को खेल कूद में हिस्सा लेने के लिए मदद करते हैं.
तस्वीर: Bongarts/Getty Imagesस्वीडिश विमेंस लीग डामाल्सवेंसकन में मिटाग टॉप स्कोरर थीं. वह 2012 में प्लेयर ऑफ द इयर भी चुनी गईं. इस समय वह स्वीडिश फुटबॉल क्लब माल्मो के लिए केलती हैं. विकसित देशों में वह बच्चों के उद्धार के लिए सक्रिय हैं.
तस्वीर: Bongarts/Getty Imagesजर्मनी की राष्ट्रीय टीम के लिए पोडोल्स्की ने 108 मैच खेले और 2012 से वह इंग्लैंड के क्लब आर्सेनल के लिए खेल रहे हैं. कई सहायता कार्यक्रमों के लिए उन्होंने लुकास पुडोल्स्की फाउंडेशन की भी स्थापना की.
तस्वीर: Bongarts/Getty Imagesओएजिल इस समय स्पैनिश क्लब रियाल मैड्रिड के प्रमुख खिलाड़ी हैं. तुर्क मूल के ओएजिल खेल के अलावा जर्मन समाज में घुल रहे प्रवासी लोगों की मदद करते हैं. अपने प्रयासों के लिए उन्होंने 2010 में बांबी अवॉर्ड भी पाया.
तस्वीर: Bongarts/Getty Imagesएर्न्स्ट 2009 से 2012 तक बेसिकटास क्लब के साथ जुड़े रहे और 2012 से वह कासिमपासा के लिए खेल रहे हैं. दोनो ही तुर्की के फुटबॉल क्लब हैं.
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बायर्न म्यूनिख पिछले सीजन में जर्मन चैंपियनशिप जीतने के अलावा जर्मन कप और यूरोपीय चैंपियंस लीग जीतने में भी कामयाब रहा. साल के अंत में उसने क्लबों की विश्व चैंपियनशिप भी जीती. वह पिछले सीजन की कामयाबी को इस साल भी दोहराना चाहता है. लेवांडोव्स्की टीम को मजबूत तो करेंगे ही, उसका उत्साह भी बढ़ाएंगे. डॉक्टरी जांच के बाद सप्ताहांत में लेवांडोव्स्की ने पांच साल के कॉन्ट्रैक्ट पर दस्तखत कर दिए. इस कॉन्ट्रैक्ट के खत्म होने तक उनकी उम्र 30 साल होगी और आर्थिक तौर पर वे चिंतामुक्त होंगे.
जर्मन राष्ट्रीय टीम के लिए खेलने वाले मारियो गोएत्से को खरीदने के लिए बायर्न को 3.7 करोड़ यूरो की राशि देनी पड़ी थी, लेकिन लेवांडोव्लस्की के लिए डॉर्टमुंड को कुछ भी नहीं मिला है क्योंकि लेवांडोव्स्की का कॉन्ट्रैक्ट इस साल खत्म हो रहा था. डॉर्टमुंड के जनरल मैनेजर हंस योआखिम वात्स्के अपनी खीझ छिपाते हुए कहा, "यह अचानक नहीं हुआ है, यह सामान्य प्रक्रिया है." लेवांडोव्स्की पिछले ही साल बायर्न जाना चाहते थे, लेकिन डॉर्टमुंड ने दो करोड़ यूरो की फीस मांगी. इस बीच क्लब उनके बदले दूसरे खिलाड़ी की खोज शुरू कर चुका है.
लेवांडोव्स्की ने अब तक जर्मन लीग बुंडोसलीगा में 115 मैच खेले हैं और 65 गोल किए हैं. डॉर्टमुंड के लिए उनकी भरपाई करना आसान नहीं होगा. इसके विपरीत बायर्न के कोच पेप गुआर्डियोला के पास हमले के लिए फ्रांक रिबेरी, आर्येन रॉबेन, मारियो गोएत्से, थोमस मुलर और मारियो मांजुकिच जैसे खिलाड़ियों की कतार होगी.
डॉर्टमुंड ने लोवांडोव्स्की को 45 लाख यूरो में लेख पोजनान से खरीदा था. क्लब के साथ वे दो बार जर्मन चैंपियन बने और अपने गोलों से बायर्न को भी बार बार परेशान किया. 2012 में जर्मन कप के फाइनल में बायर्न के खिलाफ 5-2 की जीत में लोवांडोव्स्की ने अकेले तीन गोल किए थे. अगले सीजन से बायर्न के लिए खेलने का कॉन्ट्रैक्ट साइन करने के बावजूद उन्होंने अपने फैंस को आश्वस्त किया है कि वे पूरी ईमानदारी के साथ डॉर्टमुंड के लिए खेलेंगे.
एमजे/एजेए (डीपीए)