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ट्विटर के ढाई लाख पासवर्ड चोरी

३ फ़रवरी २०१३

माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर को हैक कर लिया गया है. ट्विटर ने खुद इस बात की पुष्टि की है कि यह काम पेशेवर हैकरों का है. लेकिन हमला कहां से हुआ है इस बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया है.

तस्वीर: Lionel Bonaventure/AFP/Getty Images

ट्विटर के इन्फॉर्मेशन सिक्यूरिटी डायरेक्टर बॉब लॉर्ड ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि अमेरिका की कई मीडिया कंपनियों पर हमला किया जा रहा है और ट्विटर भी इसकी चपेट में आ गया है, "यह हमला छोटे मोटे लोगों का काम नहीं है और हमें लगता है कि यह एक इकलौता मामला भी नहीं है.. हमला करने वाले लोग बेहद पेशेवर हैं. हमारे ख्याल में और भी कई कंपनियों और संस्थाओं पर हाल ही में इस तरह का हमला किया गया है."

लॉर्ड ने बताया कि जैसे ही ट्विटर को हैकिंग के बारे में पता चला उसे रोकने के लिए फौरन कदम लिए गए और एक हमले को नाकाम भी किया गया. लेकिन हैकरों के पास अब लोगों की अहम जानकारी है जिसमें उनके नाम, ईमेल का पता और पासवर्ड शामिल हैं. ट्विटर ने एहतियातन रूप से लोगों को जल्द से जल्द पासवर्ड बदल लेने को कहा है और सभी को ईमेल के जरिए सूचित भी किया है.

दिसंबर में ट्विटर ने इस बात की घोषणा की थी कि इस माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट को इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या 20 करोड़ हो गयी है. हैकिंग के कारण इन में से कम से कम ढाई लाख लोगों की जानकारी लीक होने का अंदेशा है.

तस्वीर: AP

चीन पर शक

ट्विटर के अलावा अमेरिका के अखबारों 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' और 'द वॉलस्ट्रीट जरनल' की वेबसाइटें भी हैक हुई हैं. ऐसी अटकलें लग रही हैं कीं सभी हमलों के पीछे एक ही गुट का हाथ है. साथ ही इन हमलों को चीन से जोड़ कर भी देखा जा रहा है. हालांकि ट्विटर ने सीधे सीधे चीन पर आरोप नहीं लगाया है. लेकिन टाइम्स और जरनल ने खुल कर चीन से हमला होने की बात कही है.

दोनों ही अखबारों ने कहा है कि हमले का मकसद यह जानना था कि अमेरिका में पत्रकार चीन के बारे में किस तरह की जानकारी जमा कर रहे हैं. टाइम्स अखबार ने लिखा है कि चीन के हैकरों ने ब्लूमबर्ग न्यूज एजेंसी पर तब हमला किया जब उसने चीन के उप राष्ट्रपति शी जिनपिंग के रिश्तेदारों के बारे में एक लेख लिख कर उनके पास जमा दौलत का खुलासा किया. यह वाकया पिछले साल जून का है. शी जिनपिंग इस साल मार्च में चीन के राष्ट्रपति बन सकते हैं.

हैरानी की बात यह है कि अखबार 'द वॉशिंगटन पोस्ट' में छपी खबर के अनुसार हमले 2011 में ही शुरु हो गए थे. धीरे धीरे इनकी जानकारी मिली और इनके खिलाफ काम करना शुरू किया गया. लेकिन कंपनियां अब जा कर खुल कर इस चूक को स्वीकार रही है.

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि ट्विटर पर साइबर हमला हुआ और वहां से लोगों की जानकारी लीक हुई. अमेरिकी कानून के तहत वेबसाइट को सुरक्षित बनाने में और लोगों की जानकारी को बचाने के लिए कंपनी प्रतिबद्ध है.

आईबी/एएम (डीपीए, एएफपी, रॉयटर्स)

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