अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ट्विटर के माध्यम से ईरानी राष्ट्रपति हसन रोहानी को चेतावनी दी है कि वे अमेरिका को धमकाने की कोशिश ना करें.
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ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि डॉनल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर किसी देश पर अपना गुस्सा निकाला हो. उत्तर कोरिया और पाकिस्तान पहले ही ट्रंप के शब्दों के वार झेल चुके हैं. इस बार गाज ईरान पर गिरी है. ट्रंप ने यह पूरा ट्वीट बड़े अक्षरों में किया है जिससे उनके गुस्से का पता चलता है. उन्होंने लिखा है, "दोबारा कभी अमेरिका को धमकाने की कोशिश मत करना, नहीं तो तुम्हें भी उन्हीं परिणामों का सामना करना पड़ेगा, जैसा कि इतिहास में कुछ को झेलना पड़ा है. हम अब वह देश नहीं हैं जो हिंसा और मौत के तुम्हारे विक्षिप्त शब्दों को सुन लेंगे. संभल कर रहो!"
दरअसल रविवार को रोहानी ने अमेरिका को चेतावनी दी थी कि अगर वॉशिंगटन ने तेहरान को उकसाना बंद नहीं किया तो ईरान तेल की आवाजाही बंद कर देगा. रोहानी ने कहा, "अमेरिका को यह समझना होगा कि ईरान के साथ शांति का मतलब है चारों ओर शांति और जंग का मतलब है चारों ओर जंग." इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप "शेर की पूंछ के साथ खिलवाड़" करने की गलती ना करें.
इसके बाद अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पोए ने भी ईरान के नेताओं को "माफिया" का नाम दिया और उनके भ्रष्ट होने की बात कही. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका उन ईरानियों का समर्थन करेगा जो अपनी सरकार से नाखुश हैं.
इस बीच इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने डॉनल्ड ट्रंप के "सख्त रुख" की सराहना की है. मंत्रिमंडल की एक बैठक की शुरुआत में उन्होंने कहा, "ईरान सरकार के आक्रामक रवैये के खिलाफ राष्ट्रपति ट्रंप और विदेश मंत्री पोम्पोए के सख्त रुख की मैं तारीफ करना चाहूंगा." इस्राएल ईरान का विरोधी है और नेतन्याहू अतीत में भी ईरान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़े कदम उठाने की पैरवी करते रहे हैं. ईरान और पश्चिमी देशों के बीच हुई परमाणु संधि को रद्द कराने के लिए भी नेतन्याहू ने पूरा जोर लगाया.
मई 2018 में डॉनल्ड ट्रंप ने अमेरिका के इस संधि से बाहर हो जाने की घोषणा की. 2015 में अमेरिका समेत ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस और चीन ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे. इसके अनुसार पश्चिमी देशों ने ईरान पर से कई तरह के प्रतिबंध हटाने की बात की थी और ईरान ने यह सुनिश्चित किया था कि वह परमाणु सामग्री का प्रयोग हथियार बनाने के लिए नहीं करेगा. लेकिन डॉनल्ड ट्रंप का कहना था कि उन्हें ईरान पर भरोसा नहीं है और ईरान परमाणु संधि को वे ओबामा प्रशासन की एक बड़ी भूल मानते हैं.
आईबी/एके (एएफपी, रॉयटर्स)
तेल का खेल ऐसे बिगाड़ सकता है ईरान
अमेरिका के ईरानी परमाणु डील से हटने के बाद ईरान पर फिर दबाव बढ़ रहा है. लेकिन ईरान ने धमकी दी है कि उस पर ज्यादा दबाव डाला गया तो दुनिया का बड़ा हिस्सा तेल को तरस जाएगा.
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अहम रास्ता
समंदर के रास्ते होने वाली दुनिया की एक तिहाई तेल आपूर्ति होरमुज जलडमरूमध्य से होती है. यह फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी के बीच पड़ता है. यह संकरा समुद्री रास्ता मध्य पूर्व के तेल उत्पादकों को प्रशांत एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और दुनिया के बाकी हिस्सों से जोड़ता है.
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होरमुज का भूगोल
सबसे संकरे बिंदु पर होरमुज की चौड़ाई 21 नॉटिकल मील है. लेकिन दोनों दिशाओं में शिपिंग लेन सिर्फ दो मील चौड़ी है. इसके पश्चिमी तट पर ईरान है तो दक्षिणी तट पर संयुक्त अरब अमीरात और ओमान का एक बाहरी इलाका है.
ईरान के रिवोल्युशनरी गार्ड्स ने धमकी दी है कि अगर अमेरिका के कहने पर दुनिया भर के देशों ने ईरान से तेल खरीदना बंद किया तो वह होरमुज के रास्ते होने वाले तेल की आपूर्ति को रोक देगा. इससे दुनिया के एक बड़े हिस्से की तेल आपूर्ति बाधित हो जाएगी.
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होरमुज की अहमियत
अमेरिका के ऊर्जा सूचना प्रशासन का अनुमान है कि 2016 में प्रतिदिन होरमुज से होकर 1.85 करोड़ बैरल तेल गुजरा, जो पूरे साल में समंदर के रास्ते होने वाली आपूर्ति का कुल 30 प्रतिशत है. 2015 के मुकाबले 2016 में इस रास्ते होने वाली तेल आपूर्ति में 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
तस्वीर: picture-alliance/AP Images/NASA
इनका तेल गुजरता है
सऊदी अरब, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत और इराक से होने वाले तेल निर्यात का ज्यादातर हिस्सा होरमुज से होकर ही जाता है. इसके अलावा कतर से दुनिया को होने वाली तरल प्राकृतिक गैस की लगभग सारी आपूर्ति इसी रास्ते से होती है.
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टैंकर युद्ध
ईरान और इराक के बीच 1980 से लेकर 1988 तक चले युद्ध के दौरान तेल को भी हथियार बनाया गया. दोनों पक्षों ने एक दूसरे के तेल निर्यात को बाधित करने की कोशिश की थी. इसे टैंकर युद्ध के नाम से जाना जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/China's Ministry of Transport
सुरक्षा की जिम्मेदारी
बहरीन में तैनात अमेरिकी नौसेना की फिफ्थ फ्लीट को जिम्मेदार दी गई है कि वह यहां से गुजरने वाले व्यावसायिक जहाजों की सुरक्षा करे. वैसे यूएई और सऊदी अरब होरमुज जलडमरूमध्य का विकल्प खोजना चाहते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/US Navy
हादसे और हमले
इस इलाके में कई हादसे भी हुए हैं. जुलाई 1988 में एक अमेरिकी युद्धपोत ने 290 लोगों को लेकर जा रहे एक ईरानी विमान को मार गिराया था. अमेरिका ने बाद में कहा कि क्रू ने विमान को लड़ाकू विमान समझ लिया था.
तस्वीर: Reuters/Aeroprints/D. Osborn
जापानी टैंकर पर हमला
जुलाई 2010 में जापान के एक तेल टैंकर एम स्टार पर होरमुज जलडमरूमध्य में हमला किया गया था. अल कायदा से जुड़े एक चरमपंथी गुट अब्दुल्ला आजम ब्रिगेड ने इस हमले की जिम्मेदारी ली.
तस्वीर: AP
टैंकर पर गोलियां
मई 2015 में ईरानी सुरक्षा बलों ने सिंगापुर के झंडे वाले एक टैंकर पर गोलियां दागीं. ईरान का कहना है कि था कि इस टैंकर ने ईरान के एक तेल प्लेटफॉर्म को नुकसान पहुंचाया था. बाद में उसके कंटेनर को जब्त कर लिया गया.
तस्वीर: Reuters/Van Der Perre
ईरान का पलटवार
3 जुलाई 2018 को ईरानी राष्ट्रपति हसन रोहानी ने कहा कि ईरान से होने वाले तेल निर्यात को शून्य के स्तर पर लाने की अमेरिका की मांगों के जबाव में उनका देश होरमुज से होने वाली तेल की आपूर्ति को बाधित कर सकता है.
तस्वीर: irna.ir
पहली बार धमकी
इसके अगले दिन ईरानी रिवोल्युशनरी गार्ड्स के कमांडर ने बयान दिया कि अगर उसके तेल कारोबार को ठप किया गया तो होरमुज से किसी का भी तेल नहीं गुजरने दिया जाएगा. होरमुज पर ऐसी धमकी ईरान ने पहली बार दी है.