तालाबंदी के शुरूआती दौर में उसे लागू कराने के अभियान में पुलिस का एक वीभत्स चेहरा नजर आया. अब ऐसी खबरें आ रही हैं जिनसे लग रहा है कि पुलिस डंडों और मारपीट के आगे भी सोच रही है और कुछ अनूठे तरीकों का सहारा ले रही है.
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पूरे देश में 24 मार्च से जारी 21 दिनों की तालाबंदी की समय सीमा अब खत्म होने वाली है. कई राज्यों ने इसे जारी रखने का भी फैसला ले लिया है. जैसे लोगों के लिए इस तरह की तालाबंदी एक नया अनुभव था, उसी तरह प्रशासन के लिए भी यह एक नया प्रयोग था. इसे कड़ाई से लागू कराने की जिम्मेदारी पूरे देश में पुलिस के कंधों पर थी. शुरूआती दौर में तालाबंदी लागू कराने के अभियान में देश के कई इलाकों में पुलिस का एक वीभत्स चेहरा नजर आया, एक ऐसा चेहरा जिसे देखकर आम लोगों के मन में पुलिस के प्रति डर और नफरत के आलावा शायद और कोई भावना ना आई हो.
लेकिन अब कई इलाकों से ऐसी खबरें आ रही हैं, जिनसे लग रहा है कि पुलिस डंडों और मारपीट के आगे भी सोच रही है और कुछ अनूठे तरीकों का सहारा ले रही है. पिछले कुछ दिनों से कई राज्यों से स्थानीय पुलिस द्वारा तालाबंदी तोड़ कर घर से बाहर निकलने वालों की आरती उतारने की खबरें आ रही हैं. ऐसी खबरें जम्मू, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से भी आईं.
उत्तराखंड के ऋषिकेश में जब पुलिस को विदेशी नागरिकों का एक समूह तालाबंदी का उल्लंघन कर घूमता हुआ नजर आया, तो उन पर पुलिस ने डंडे नहीं बरसाए. उन्हें कागज पर 500 बार 'आई ऐम सॉरी' लिखने को कहा.
तो दूसरी तरफ जयपुर पुलिस ने धमकी दी है कि अगर कोई भी तालाबंदी का उल्लंघन करता पाया गया तो उसे एक कमरे में बंद कर के 'मसकली 2.0' का गाना लूप पर चला कर सुनाया जाएगा.
'मसकली 2.0' एक नई हिंदी फिल्म का गीत है. 2009 में आई हिंदी फिल्म 'दिल्ली 6' के हिट गीत 'मसकली' को रीमिक्स कर इस गीत को बनाया गया है. सोशल मीडिया पर पिछले कई दिनों से इसकी आलोचना हो रही है. पुराने 'मसकली' गीत के प्रेमी रीमिक्स वाले गीत को बुरा बता रहे हैं.
कई राज्यों में पुलिस ने बुरे गाने चलाने की धमकी की जगह खुद ही संगीत का सहारा ले लिया. पुलिसकर्मियों ने खुद हाथ में माइक्रोफोन लिया और गाना गा कर आम लोगों तक तालाबंदी का संदेश पहुंचाने की कोशिश की.
अहमदाबाद पुलिस ने अपने अधिकारियों से गवाने की जगह गायकों को बुला कर आम लोगों का मनोरंजन किया. कई राज्यों में पुलिस सोशल मीडिया पर क्रिएटिव अभियान चला रही हैं. मुंबई पुलिस हिंदी फिल्मों और सोशल मीडिया का बखूबी सहारा ले रही है.
कहीं कहीं पुलिसवाले तालाबंदी का संदेश लोगों तक पहुंचाने के लिए अपना भेस भी बदल रहे हैं. कहीं वायरस बन रहे हैं तो कहीं भूत.
आम लोगों के लिए प्रशासन का पहला चेहरा पुलिस ही होती है. इसलिए पूरी दुनिया में यह माना जाता है कि पुलिस का लोगों के प्रति रवैया उदार और मानवतापूर्ण होना चाहिए. भारत में तालाबंदी के शुरू के दिनों में डंडे बरसाती, तोड़फोड़ करती पुलिस का भयावह चेहरा सामने आया था. ऐसा लगता है कि पुलिस अब अपनी छवि सुधारने की कोशिश कर रही है.
जब भी संकट की घड़ी आती है तो कुछ लोग मदद के लिए आगे आते हैं. डीडब्ल्यू हिन्दी ने अपनी यूट्यूब कम्युनिटी से पूछा कि कौन हैं आपके आसपास मौजूद कोरोना नायक. ये रही उनकी सूची.
तस्वीर: picture-alliance/Geisler/C. Hardt
डॉक्टर, नर्स और अन्य मेडिकल पेशेवर
भारत ही नहीं पूरे विश्व में सबसे ज्यादा खतरे का सामना कर रहे मेडिकल पेशेवरों को ही आपमें से सबसे ज्यादा लोगों ने कोरोना के दौर का नायक बताया है. हालत ये है कि देश के तमाम हिस्सों में कई डॉक्टर, नर्स और दूसरे स्वास्थ्यकर्मी मरीजों को बचाते बचाते खुद संक्रमित हो रहे हैं. कई लोगों ने इस मौके पर संकल्प लेने का आह्वान किया है कि भविष्य में इनसे मारपीट और हिंसा की हरकतें फिर कभी न की जाएं.
तस्वीर: picture-alliance/Pacific Press/S. Pan
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने वाले सभी लोग
अजय माने ने मराठी में लिखे अपने संदेश में आशा जताई है कि अगर विदेश से आए लोग खुद को कुछ दिनों के लिए कैद कर लेते तो शायद बाद में ऐसी नौबत नहीं आती. धर्मेंद्र राम ने उन लोगों को चुना है जो सोशल डिस्टेंसिंग कर कोरोना संक्रमण के चक्र से बाहर रह रहे हैं. ज्ञानेन्द्र सिंह कहते हैं कि इस समय का प्रयोग वह पौधों की सेवा और योग में कर रहे हैं और दूसरे लोगों को भी लॉकडाउन का पालन करने के लिए समझा रहे हैं.
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पुलिसकर्मी
दीपक जायसवाल मानते हैं कि इस कठिन दौर में पुलिस वाले सच्चे नायक बन कर उभरे हैं. वहीं कुछ लोगों ने अस्पतालों में सेक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने वालों को अपना कोरोना नायक बताया है जिनका आने वाले मरीजों से सामना होता है. पावर प्लांट में टेक्नीशियन का काम करने वाले सत्यजीत परीजा अपने काम को बेहद अहम बताते हैं क्योंकि बिना पावर के कुछ भी नहीं हो पाएगा.
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लोकल किराना स्टोर और सब्जी वाले
जावेद टायरवाला स्थानीय किराना की दुकान चलाने वालों और सब्जी बेचने वालों के काम से खासे प्रभावित हैं. उमा सिंह ने अपना अनुभव लिख भेजा है कि उनके एरिया का दुकानदार राहुल अग्रवाल सही रेट पर अपनी कार में लाद कर उनके घर तक राशन पहुंचा गया. जाहिर है हर जगह ऐसा नहीं हो रहा है जैसा कि इलाहाबाद से एक पाठक ने लिखा है कि वहां कुछ दुकानदार स्टूडेंट्स को भी चार गुना दाम में समान बेच रहे हैं.
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बैंक कर्मी
बीआर रतूड़ी कहते हैं कि महामारी के इस दौर में बैंक कर्मी भी नायक हैं जो जान जोखिम में डाल कर भी लोगों के कैश चेक ले रहे हैं. मनीष जायसवाल ने लिखा है इस दौर में उनके लिए कोरोना नायक गांव के पड़ोस की दुर्गा जनरल स्टोर दुकान है जो जरूरत के सामान के साथ जरूरी बैंकिंग सेवाएं भी प्रदान करती है. बैंकिंग की सुविधा प्राथमिकता सेवाओं में शामिल है इसलिए मेडिकल, पुलिस की तरह ही बैंककर्मी भी सेवा दे रहे हैं.
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नागरिक समूह, एनजीओ
बिहार राज्य के दरभंगा जिले में मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय का एक संगठन चलाने वाले रोहित कुमार सिंह के बारे में बिहारी बाबू ने लिखा है कि लॉकडाउन के बाद से वे रिक्शा और ठेला चालकों, मजदूरी करने वाले ऐसे 40 से 45 घरों में रोजाना राशन पहुंचा रहे हैं जिनकी रोजी रोटी छिन गई है. बिहार से ही सविता ने लिखा है कि उनके क्षेत्र में ‘मानस’ संस्था अच्छा काम कर रही है इसलिए उनके लिए यही असली कोरोना नायक हैं.