तेज स्पीड के दीवानों के लिए मोटर स्पोर्ट्स देखना बेहद रोमांचक होता है लेकिन जो राइडर असंभव गति को छूने की कोशिश करते वे अपनी जान को जोखिम में डालते हैं. डकार रैली में क्रैश में मरे पुर्तगाली राइडर की मौत से शोक का माहौल.
विज्ञापन
पुर्तगाली मोटरबाइक राइडर पाउलो गोनसाल्विस की डकार रैली में हुए क्रैश में मौत हो गई. 40 साल के गोनसाल्विस की मौत के साथ ही इस खतरनाक और कभी कभी जानलेवा खेल में हुई यह 25वीं मौत है. रियाद से वादी अद-दवासिर के बीच आयोजित इस मोटरस्पोर्ट्स मैराथन के सातवें चरण में पहुंच कर 276 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद गोनसाल्विस दुर्घटना का शिकार हुए. डकार रैली की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी बयान में कहा गया, "आयोजकों को 10:08 पर सूचना मिली और उन्होंने फौरन मेडिकल हेलिकॉप्टर रवाना किया जो 10:16 पर बाइकर के पास पहुंच गया और उन्हें कार्डिएक अरेस्ट के बाद अचेतन अवस्था में पड़ा पाया."
दुर्घटना के बारे में आगे बताया गया कि मौके पर ही गोनसाल्विस की सांसें वापस लाने की कई कोशिशों के बाद उन्हें हेलिकॉप्टर से लायला अस्पताल लाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. डकार के निदेशक डेविड कास्टेरा ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया के एक राइडर टोबी प्राइस ने सबसे पहले गोनसाल्विस के गिरे होने की सूचना दी थी. यह गोनसाल्विस का डकार रैली में हिस्सा लेने का 13वां मौका था. सन 2006 में अफ्रीका में आयोजित हुई रैली में उन्होंने पहली बार इस रैली में शुरुआत की थी. कास्टेरा ने बताया, "पाउलो बहुत लंबे समय से साथ थे और जिन्हें हम सब जानते थे और जो इस रैली की एक पहचान भी थे..यह बहुत कठिन घड़ी है."
एक झटके में संन्यास
खिलाड़ियों के लिए संन्यास लेना बेहद भावुक लम्हा होता है. अच्छे खिलाड़ियों के लिए तो यह और मुश्किल और जज्बातों से भरा होता है. एक नजर भावुक होकर खेल को एक झटके में अलविदा कहने वाले खिलाड़ियों पर.
तस्वीर: Getty Images/C. Mason
निको रोसबर्ग
27 नवंबर 2016 को जर्मन ड्राइवर निको रोसबर्ग ने पहली फॉर्मूला वन चैंपियनशिप जीती. जीत का जश्न अभी चल ही रहा था कि पांच दिन बाद रोसबर्ग ने संन्यास का एलान कर सबको हैरान कर दिया. रोसबर्ग ने कहा कि अबू धाबी में रेस से पहले ही उन्हें लग चुका था कि ये उनकी आखिरी रेस है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/V. Xhemaj
लियोनेल मेसी
कोपा अमेरिका कप में चिली के खिलाफ पेनल्टी मिस करने से लियोनेल मेसी इतने दुखी हुए कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास का एलान कर दिया. फाइनल में अर्जेंटीना चिली से एक बार हार गया. अर्जेंटीना को अब मेसी जैसी महान प्रतिभा के बिना खेलना होगा.
तस्वीर: Reuters/Adam Hunger-USA TODAY Sports
महेंद्र सिंह धोनी
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज के दौरान ही मेलबर्न में भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अंतरराष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहा. सर्वकालीन महान कप्तान और खिलाड़ियों में शुमार धोनी की टेस्ट कप्तानी को लेकर कड़ी आलोचना हो रही थी. मेलबर्न टेस्ट ड्रॉ होते ही धोनी से क्रिकेट के सफेद कपड़े टांग दिए.
तस्वीर: picture-alliance/Dave Hunt
वीरेंद्र सहवाग
क्रिकेट के सबसे विस्फोटक सलामी बल्लेबाजों में शुमार वीरेंद्र सहवाग का संन्यास भी बड़ा अप्रत्याशित रहा. टीम से बाहर होने के बाद सहवाग ने खुद माना कि अब उनके रिफ्लेक्स कमजोर पड़ रहे हैं. 2015 में सहवाग ने अपने 37वें जन्मदिन के मौके पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट और आईपीएल को अलविदा कहा. वीरू को बिना फेयरवेल मैच के संन्यास लेने का अफसोस है.
तस्वीर: dapd
शोएब अख्तर
सिहरन पैदा करने वाली रफ्तार और तेज दिमाग के चलते बल्लेबाजों की हालत खराब करने वाले पाकिस्तान के तेज गेंदबाज शोएब अख्तर ने 2011 में वर्ल्ड कप के दौरान अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा. वर्ल्ड कप में न्यूजीलैंड से पहला मैच हारने के बाद शोएब को आगामी मैचों में मौका नहीं दिया गया. इससे नाराज होकर उन्होंने बीच वर्ल्ड कप में ही खेल को अलविदा कह दिया.
तस्वीर: AP
जस्टिन हेनिन
बेल्जियम की जस्टिन हेनिन ने 2008 में मात्र 25 साल की उम्र में संन्यास लेकर सबको चौंका दिया. उस वक्त वह दुनिया की नंबर एक महिला खिलाड़ी थीं. वह लगातार 32 मैच जीत चुकी थीं और सात ग्रैंड स्लैम उनकी झोली में थे. हालांकि 2010 में उन्होंने वापसी की लेकिन कोहनी की चोट के चलते कुछ ही महीनों के भीतर हेनिन ने फिर खेल को अलविदा कह दिया.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Kington
ब्यॉर्न बोर्ग
स्वीडन के ब्यॉर्न बोर्ग को आज भी टेनिस के बड़े सितारों में गिना जाता है. 1973-1983 तक टेनिस कोर्ट में एक छत्र राज करने वाले ब्यॉर्न बोर्ग ने 26 साल की भरी जवानी में खेल को अलविदा कहा. थाइलैंड में एक्जिबिशन मैच के बाद जब बोर्ग से आगामी मैचों की योजना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "मेरी कोई योजना नहीं है. मैं संन्यास ले रहा हूं."
तस्वीर: Getty Images/Fox Photos
माइकल जॉर्डन
बॉस्केटबॉल के सबसे बड़े खिलाड़ी कहे जाने वाले माइकल जॉर्डन ने 30 साल की उम्र में संन्यास लेकर दुनिया को हैरान कर दिया. 6.6 फुट लंबे जॉर्डन लगातार तीन चैपियनशिप जीत चुके थे. लेकिन जुलाई 1993 में उनके पिता की हत्या कर दी गई. इस घटना ने जॉर्डन को इतना उद्वेलित किया कि उन्होंने खेल को अलविदा कह दिया. जॉर्डन (तस्वीर में दाएं) ने कहा कि उनके भीतर अब खेल के लिए कोई ललक नहीं बची है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
फ्रांक रिबेरी
मौजूदा दौरे के बेहतरीन लेफ्ट विंगर खिलाड़ियों में शुमार फ्रांस के फ्रांक रिबेरी ने 2014 में अचनाक संन्यास का एलान कर दिया. चोट के कारण वह वर्ल्ड कप नहीं खेल सके, लेकिन वर्ल्ड कप के बाद उन्होंने एक अखबार से बातचीत में संन्यास का एलान कर दिया. फ्रांस के कोच और दूसरे आला अधिकारियों ने रिबेरी को मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन वह संन्यास के फैसले पर अडिग रहे.
तस्वीर: ERIC FEFERBERG/AFP/Getty Images
9 तस्वीरें1 | 9
भारतीय कंपनी हीरो मोटरस्पोर्ट्स द्वारा प्रायोजित राइडर गोनसाल्विस सऊदी अरब में पहली बार आयोजित डकार रैली में हिस्सा ले रहे थे. इसके पहले दिसंबर में अपने देश पुर्तगाल में खेल के दौरान क्रैश का शिकार होने से उनकी स्प्लीन फट गई थी. इसके लिए सर्जरी से गुजरने के बाद फिर से स्वस्थ होकर सऊदी पहुंचे गोनसाल्विस ने कहा था, "यहां रेस शुरु करना मेरे लिए जीत के बराबर है." प्रतियोगिता के छठे चरण के बाद बनी तालिका में गोनसाल्विस को ओवरऑल बाइक स्टैंडिंग में 46वीं रैंक पर रखा गया था.
कितना खतरा है इस खेल में
इसके पहले किसी डकार रैली में हिस्सा लेने वाले राइडर की जान जाने की घटना 2015 में अर्जेंटीना में हुई थी. रेस के दौरान पोलैंड के मिशाल हेनरिक की मौत हो गई थी. सन 1979 में डकार रैली के उद्घाटन से लेकर अब तक जिन 25 राइडर्स की मौत हुई है, उनमें से 20 इस खेल से जुड़े खतरों के कारण ही हुईं इन पर प्रकाश डालते हुए कास्टेरा ने बताया, "हम जानते हैं कि बाइक खतरनाक होती है." खुद भी पांच डकार रैलियों में मोटरबाइक चला चुके कास्टेरा ने कहा, "आप सुबह चलाना शुरू करते हैं, कभी कभी आपको डर लगता है क्योंकि कोई इसमें कोई सुरक्षा नहीं है, कुछ भी नहीं है. और यह हर राइडर को पता होता है."
13 में से छह डकार रैलियों में टाइटल जीतने वाले एक और अनुभवी राइडर फ्रांस के श्टेफान पेटरहान्सेल बताते हैं, "मुझे हमेशा लगा कि बाइक चलाते हुए मैं आग से खेल रहा हूं. मैंने अपना बाइक करियर काफी पहले खत्म कर दिया और अपने कई दोस्तों को सामने मरते देखा है."
पुर्तगाली राष्ट्रपति ने गोनसाल्विस की मौत पर आधिकारिक बयान देते हुए कहा कि वह "दुनिया की कुछ सबसे खतरनाक और मुश्किल रैलियों में से एक को जीतने के सपने को पूरा करने की कोशिश" में मारे गए. दो बार फॉर्मूला वन चैंपियन बन चुके फर्नांडो अलोन्जो इस बार डकार रैली में शुरुआत कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "यह खेल अति वाला है... मेकैनिकल खेल कभी भी 100 फीसदी सुरक्षित नहीं हो सकता."
क्रिकेट में कई ऐसे तेज गेंदबाज हुए हैं जो सामने वाले बल्लेबाज के आत्मविश्वास में दरार डाल देते है. एक नजर क्रिकेट इतिहास के सबसे तेज गेंदबाजों पर.
तस्वीर: Getty Images/M. Melville
शोएब अख्तर, पाकिस्तान
पिच पर अच्छे अच्छे बल्लेबाजों की हालत खस्ता करने वाले शोएब अख्तर क्रिकेट इतिहास के सबसे तेज गेंदबाज हैं. रावलपिंडी एक्सप्रेस के नाम से विख्यात शोएब अचूक यॉर्कर और डेडली बाउंसरों के लिए मशहूर थे. 2003 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने क्रिकेट इतिहास की सबसे तेज गेंद फेंकी. गेंद की रफ्तार थी, 161.3 किमी प्रतिघंटा.
तस्वीर: Getty Images/AFP/J. Samad
ब्रेट ली, ऑस्ट्रेलिया
शोएब के आगाज के कुछ समय बाद सुनहरे बालों वाले ब्रेट ली भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आए. शरीर देखकर किसी को नहीं लगता था कि वो गेंद से आग उगलेंगे. शोएब और उनके बीच लगातार रफ्तार की होड़ भी छिड़ी रही. 2005 में न्यूजीलैंड के खिलाफ एक मैच में ली ने 161.1 किमी की रफ्तार से गेंद फेंकी.
तस्वीर: Getty Images/AFP/W. West
शॉन टैट, ऑस्ट्रेलिया
जब शोएब और ब्रेट ली पर उम्र हावी होने लगी तभी ऑस्ट्रेलिया के शॉन टैट सामने आए. पाकिस्तान के खिलाफ एक मैच में टैट ने 161.1 किलोमीटर की रफ्तार हासिल की. गेंद को स्किड कराने के बावजूद टैट कभी घातक गेंदबाज नहीं माने गए. उनके पास सिर्फ रफ्तार थी, लाइन लेंथ में वह कमजोर साबित हुए.
तस्वीर: Getty Images/S. Barbour
जेफ थॉमसन, ऑस्ट्रेलिया
जेफ थॉमसन के समय में बॉलिंग स्पीड नापने वाली तकनीक नहीं थी, लेकिन इसके बावजूद उनके किस्से आज भी सुनाई पड़ते हैं. 1976 में उनकी स्पीड नापी गई और थॉमसन ने 160.6 किमी/घंटा की स्पीड से बॉल फेंकी. कई बल्लेबाजों को लगता है कि जेफ, शोएब और ली से ज्यादा तेज थे. (तस्वीर: प्रतीकात्मक)
तस्वीर: Getty Images/H. Peters
मिचेल स्टार्क, ऑस्ट्रेलिया
नंवबर 2015 में ऑस्ट्रेलिया के बाएं हाथ के तेज गेंदबाज मिचेल स्टार्क ने 160 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से गेंद फेंककर इस क्लब में दाखिला लिया. उनकी इस तेज रफ्तार गेंद ने न्यूजीलैंड के ब्रैंडम मैक्कुलम को भौंचक्का कर दिया.
तस्वीर: Reuters/Marple
एंडी रॉबर्ट्स, वेस्ट इंडीज
क्रिकेट में जब वेस्ट इंडीज का स्वर्णकाल चल रहा था, उस वक्त एंडी रॉबर्ट्स कैरेबियाई टीम की पेस बैटरी में थे. रॉबर्ट्स अपने बाकी साथियों के मुकाबले कहीं ज्यादा तेज थे. कैरेबियन की उछाल भरी पिचों पर रॉबर्ट्स की 159.5 किलोमीटर की रफ्तार वाली गेंद खेलना बुरे सपने से कम नहीं था.
तस्वीर: Getty Images/Allsport/A. Murrell
फिदेल एडवर्ड्स, वेस्ट इंडीज
एंडी रॉबर्ट्स के बाद वेस्ट इंडीज को अगला तेज रफ्तार बॉलर 2003 में मिला. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वनडे में फिदेल एडवर्ड्स ने 157.7 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से गेंद फेंकी. फिदेल की रफ्तार ने सनसनी जरूर फैलाई लेकिन लाइन लेंथ के अभाव में वो पिटते चले गए और अंत में टीम से बाहर ही हो गए.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Kington
मिचेल जॉनसन, ऑस्ट्रेलिया
बाएं हाथ से घातक बाउंसर फेंकने वाले मिचेल जॉनसन भी इस लिस्ट में हैं. इंग्लैंड के खिलाफ एशेज सिरीज में मिच ने 156.8 किलोमीटर की रफ्तार से गेंद फेंकी.
तस्वीर: Reuters/D. Gray
मोहम्मद समी, पाकिस्तान
मोहम्मद समी के पाकिस्तानी टीम में आते ही सनसनी फैल गई. शोएब अख्तर और समी की जोड़ी को बल्लेबाजों के लिए बड़ी चुनौती बताया गया. समी ने शुरुआत शानदार की. जिम्बाब्वे के खिलाफ एक मैच में उन्होंने 156.4 की स्पीड से बॉल फेंकी. अब समी एक बार फिर टीम में लौटे हैं. उम्र ने उनकी रफ्तार पर हल्का ब्रेक लगाया है.
तस्वीर: DW
शेन बॉन्ड, न्यूजीलैंड
शेन बॉन्ड को पिच पर जेम्स बॉन्ड भी कहा जाता था. 2003 के वर्ल्ड कप में शेन बॉन्ड ने 156.2 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से गेंद फेंकी. दूसरे तेज गेंदबाजों की तुलना में शेन बॉन्ड काफी कम चोटिल हुए. इसकी वजह उनका सरल एक्शन था.