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डबल एजेंट था अंडरवीयर हमलावर

९ मई २०१२

अंडरवीयर में बम छिपा कर हमले की साजिश का राजफाश होने के बाद पता लगा है कि हमलावर अमेरिका और सऊदी अरब की शह पर काम कर रहा था और उसने अल कायदा को डबल क्रॉस कर दिया. हमलावर ने बम वाला उपकरण अधिकारियों को सौंप दिया है.

तस्वीर: Reuters

अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और सऊदी अरब ने मिल कर बड़ी खूबसूरती से इस कार्रवाई को अंजाम दिया है. उन्होंने अपना ही एक आदमी अल कायदा में प्लांट कराया. उसके साथ अंडरवीयर बम हमले की योजना बनाई गई. जब योजना बन गई और उपकरण भी तैयार था, तो डबल एजेंट यह उपकरण पहले यमन से बाहर लेकर आया और फिर सऊदी या संयुक्त अरब अमीरात के अधिकारियों को सौंप दिया.

अल कूसोतस्वीर: picture-alliance/dpa

अमेरिकी खुफिया एजेंसी अब इस बात को पक्का करने में लगे हैं कि इस डबल एजेंट और उसके परिवार को किस तरह से सुरक्षित किया जाए. सूत्रों का कहना है कि यह व्यक्ति सीआईए के विदेशी साझीदारों के लिए काम करता रहा है. न्यू यॉर्क टाइम्स का दावा है कि वह सऊदी अरब की खुफिया एजेंसी के लिए काम करता था और उसने खुद को इस बात के लिए पेश किया कि वह अंडरवीयर में बम छिपा कर अमेरिकी विमान में हमला करने को तैयार है.

कैसा है उपकरण

इस पूरे मामले को सोमवार को सार्वजनिक किया गया है. अमेरिका और सऊदी अरब अधिकारियों को पिछले 10 दिन के अंदर वह उपकरण मिला है, जिससे विस्फोट की योजना थी. यह 2009 के क्रिसमस बॉम्बिंग वाले उपकरण से ज्यादा आधुनिक बताया जा रहा है. 2009 में एम्सटरडम से डेट्रॉयट जाने वाले विमान में विस्फोट की कोशिश नाकाम हो गई थी. उस घटना को नाइजीरिया के युवक उमर फारूक अब्दुलमुत्तालब ने अंजाम देने की कोशिश की थी. वह अब अमेरिकी जेल में है और लंबी सजा काट रहा है.

उमर फारूक अब्दुलमुत्तालबतस्वीर: picture-alliance/dpa

अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि ताजा योजना यमन में अल कायदा संगठन ने तैयार की, जो फिलहाल अल कायदा की सबसे मजबूत शाखा समझी जाती है. सूत्रों का कहना है कि यह उपकरण भी इब्राहीम हसन अल असीरी का बनाया लगता है, जो सऊदी अरब से भागा हुआ चरमपंथी है. अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई इस उपकरण की पड़ताल कर रही है, ताकि भविष्य में इस तरह के उपकरणों के हमले से बचा जा सके. सीनेटर सुजान कॉलिन्स ने कहा, "यह उपकरण अब एफबीआई के पास है और वह इसकी जांच कर रहा है. इससे खुफिया जानकारी मिल सकती है."

होगी पूरी जांच

उन्होंने कहा, "ट्रांसपोर्ट सुरक्षा अधिकारी भी इसका मुआयना करेंगे ताकि इस बात को तय किया जा सके कि क्या मेटल डिटेक्टर से इसका पता लगाया जा सकता था."

इस बम में किसी तरह के धातु का इस्तेमाल नहीं किया गया था और इसलिए इसका मेटल डिटेक्टर से पता लगाना मुश्किल है. हालांकि अमेरिकी अधिकारियों का दावा है कि उनके पास ऐसे यंत्र हैं, जो इस तरह के बमों का भी पता लगा सकते हैं. पर अमेरिका के सभी एयरपोर्ट पर इसकी सुविधा नहीं है. अमेरिका ने साफ किया है कि उनका कोई भी विमान खतरे के दायरे में नहीं है और सुरक्षा व्यवस्था में किसी तरह के बदलाव की जरूरत नहीं है. अमेरिका के ट्रांसपोर्ट सिक्योरिटी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक वहां के 180 एयरपोर्टों पर 700 से ज्यादा बॉडी स्कैनर लगाए गए हैं.

एजेए/एमजे (एपी, रॉयटर्स)

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