कोरोना महामारी पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ताकत का अखाड़ा बन रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डब्ल्यूएचओ की फंडिंग पूरी तरह बंद करने की धमकी दे रहे हैं, तो चीन कहता है कि ट्रंप अपनी नाकामी का ठीकरा दूसरों के सिर फोड़ रहे हैं.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप लगातार चीन को निशाना बना रहे हैं. उनका कहना है कि अगर चीन ने शुरू में ही प्रभावी कदम उठाए होते, तो आज यह महामारी इस कदर दुनिया भर में कोहराम नहीं मचा रही होती. ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को "चीन की कठपुतली" बताते हुए उसकी भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं और इस विश्व संस्था को अमेरिका से मिलने वाली फंडिंग की बड़ी रकम को हमेशा के लिए बंद करने की धमकी दी है.
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि वह कोरोना महामारी से निटपने के अपने तौर तरीकों की स्वतंत्र रूप से समीक्षा करेगा. राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि अगर डब्ल्यूएचओ ने 30 दिन के भीतर सुधार नहीं किया तो अमेरिका अपने आपको इससे अलग कर लेगा. उनका कहना है कि यह संस्था खुद को "चीन से स्वतंत्र" दिखाने में नाकाम साबित हुई है.
कोरोना वायरस से दुनिया भर में 48 लाख लोग संक्रमित हुए जिनमें 3.17 लाख लोगों की मौत हो चुकी है. जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार 15 लाख से ज्यादा मामलों और 90 हजार से ज्यादा मौतों के साथ अमेरिका कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देश है. ट्रंप के आलोचक इस स्थिति के लिए शुरू में उनके ढीले रवैये को जिम्मेदार बताते हैं, वहीं ट्रंप इस पूरे संकट के लिए चीन और डब्ल्यूएचओ पर उंगली उठाते हैं.
डब्ल्यूएचओ ने आगाह किया था इन 15 बीमारियों के खतरे से
डब्ल्यूएचओ ने 2018 में ऐसी 15 बीमारियों की सूची तैयार की थी जो महामारी की शक्ल ले सकती हैं. "मैनेजिंग एपिडेमिक" नाम से डब्ल्यूएचओ की सलाह को एक किताब की शक्ल भी दी गई. 21वीं सदी इनमें से कई बीमारियों को देख चुकी है.
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इबोला
कोविड-19 की तरह यह भी एक वायरस से फैलता है और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले लोग बीमार हो जाते हैं. इबोला के अधिकतर मामले अफ्रीका के गरीब इलाकों में देखे गए हैं.
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लस्सा बुखार
यह बुखार चूहों के कारण फैलता है. चूहों के मल या मूत्र के संपर्क में आने से इंसान बीमार हो सकता है. बीमार व्यक्ति के शारीरिक द्रव से यह दूसरों में फैल सकता है. बच्चों पर इसका ज्यादा बुरा असर होता है.
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सीसीएचएफ
क्रीमियन कॉन्गो हेमोरहेजिक फीवर उन परजीवियों के काटने से होता है जो इंसानों, जानवरों या पक्षियों के शरीर पर रह कर उनका खून चूस कर जीते हैं. यह बीमारी भी इंसानों से इंसानों में फैलती है. मृत्यु दर बहुत ज्यादा होती है.
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पीला बुखार
अर्बन येलो फीवर पीले बुखार की सबसे खतरनाक किस्म है. इस बीमारी का टीका विकसित किया जा चुका है. इस लिहाज से इसका खतरा बाकी बीमारियों की तुलना में कम है.
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जीका
जीका का बुखार एडीस मच्छर के काटने से होता है. यह मच्छर दिन में काटता है. गर्भवती महिलाओं में जीका होने से मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा होता है. इसका कोई टीका उपलब्ध नहीं है.
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चिकनगुनिया
यह बीमारी भी एडीस मच्छर के काटने से ही फैलती है. रिहाइशी इलाकों में इसके फैलने का खतरा ज्यादा होता है. इस बीमारी के लक्षण डेंगू जैसे होते हैं. भारत में हर साल इसके कई मामले सामने आते हैं.
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जानवरों से फैलने वाले फ्लू
इसमें एवियन और स्वाइन फ्लू शामिल हैं. 2009 में स्वाइन फ्लू को वैश्विक महामारी (पैंडेमिक) घोषित किया गया था. यह दुनिया भर में फैला था लेकिन कोरोना वायरस की तुलना में काफी कम मामले सामने आए थे.
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मौसमी फ्लू
यह हर साल मौसम बदलने के साथ होने वाला फ्लू है. यह वायरस के कारण होता है और इसकी दो किस्में होती हैं: ए और बी. बड़ी उम्र के लोगों को इससे बचने के लिए सालाना टीका लेने के लिए कहा जाता है.
अगर किसी ऐसे वायरस के कारण फ्लू होता है जिसके खिलाफ लोगों के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता का विकास नहीं हो पाता है तो वह वैश्विक महामारी की शक्ल ले सकता है. और बीमारी को समझने और टीका विकसित करने में काफी समय लग सकता है.
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मर्स
मिडल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम एक तरह के कोरोना वायरस के कारण होता है. यह बीमारी ऊंटों के कारण फैलती है. 2012 से 2015 के बीच यह बीमारी 24 देशों में फैली और 400 लोगों की जान गई.
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हैजा
साफ सफाई की कमी और गंदे पानी से हैजा फैलता है. इसमें बुखार नहीं होता. मरीज का पेट खराब होता है, दस्त के कारण कमजोरी होती है और कुछ मामलों में तो कुछ घंटों में ही जान चली जाती है.
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मंकी पॉक्स
यह उसी किस्म के वायरस के कारण फैलता है जिससे चेचक होता है. अपने नाम से विपरीत यह बंदरों से नहीं, चूहों के कारण फैलता है. जानवरों से इंसानों में पहुंचने के बाद इंसानों के बीच संक्रमण फैलने लगता है.
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प्लेग
यह छोटे जानवरों में मिलने वाले बैक्टीरिया से फैलता है. ज्यादातर चूहे इसके लिए जिम्मेदार होते हैं. प्लेग की सबसे आम किस्म है ब्यूबोनिक प्लेग जो इंसान से इंसान में नहीं फैलता है.
इस बीमारी के बारे में कम जानकारी के कारण अकसर डॉक्टर इसे पहचानने में गलती करते हैं. अगर वक्त रहते ही सही एंटीबायोटिक दिए जाएं तो इलाज मुमकिन है.
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मेनिंगनाइटिस
मेनिंगोकोकल मेनिंगनाइटिस दिमाग पर असर करता है. इस बीमारी का मृत्यु दर 50 प्रतिशत है. एंटीबायोटिक दे कर इसे रोका ना जाए तो यह दूसरों में भी फैल सकती है.
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चीन ने पूरी तरह डब्ल्यूएचओ का समर्थन करते हुए कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति अपनी नाकामी का ठीकरा दूसरों के सिर फोड़ना चाह रहे हैं. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ चिचियान ने कहा कि अमेरिका बेवजह चीन की छवि को खराब करने की कोशिश कर रहा है और अपनी नाकामी को छिपाने के लिए चीन का सहारा ले रहा है.
इस विवाद में यूरोपीय संघ ने भी डब्ल्यूएचओ का समर्थन किया है. विदेश मामलों पर यूरोपीय संघ की प्रवक्ता वर्जीने बाटु हेरनिक्सन कहती हैं, "यह समय एकजुटता का है. यह समय एक दूसरे पर उंगली उठाने और बहुपक्षीय सहयोग को कमजोर करने का नहीं है."
गलतियों की समीक्षा
सोमवार को शुरू हुई डब्ल्यूएचओ की पहली वर्चुअल असेंबली से पहले दुनिया का राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है. यूरोपीय संघ की तरफ रखे गए प्रस्ताव में इस महामारी पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया के निष्पक्ष, स्वतंत्र और व्यापक मूल्यांकन पर जोर दिया गया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ तेद्रोस अधनोम गेब्रयेसुस ने माना कि कुछ गलतियां हुई हैं. उन्होंने वर्चुअल असेंबली को बताया कि वह समीक्षा का स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा, "मैं मुनासिब समय पर जल्द से जल्द एक स्वतंत्र मूल्यांकन शुरू करूंगा कि हमने इसने दौरान क्या अनुभव हासिल किए और क्या सबक सीखे. इससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महामारी से निपटने के तरीकों को बेहतर बनाने के लिए सिफारिशें तैयार की जाएंगी."
उन्होंने कहा, "लेकिन एक बात स्पष्ट है कि दुनिया पहले जैसी नहीं रहेगी...ऐसे हालात दोबारा पैदा ना हो और इसे रोकने के लिए हर संभव कदम उठाएं, यह समझने के लिए हमें समीक्षा की जरूरत नहीं है."
स्पैनिश फ्लू से क्यों हो रही है कोरोना महामारी की तुलना
एक सदी पहले की बात है जब स्पैनिश फ्लू नाम की महामारी ने दुनिया की करीब एक तिहाई आबादी को अपनी चपेट में ले लिया और कोई पांच करोड़ इंसानों की जान ले ली. क्या कोरोना वायरस इस जानलेवा इतिहास को दोहरा सकता है?
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महामारी बना 1918 में शुरु हुआ इन्फ्लुएंजा
सन 1918 से 1920 के बीच दुनिया भर के 2.5 से 5 करोड़ लोगों को लील लेने वाली महामारी स्पैनिश फ्लू कहलाई. इस महामारी में पहले विश्वयुद्ध से भी ज्यादा लोगों की जान गई जो कि इसके ठीक पहले ही थमा था.
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रहस्य बनी रही शुरुआत की कहानी
एक दशक से भी ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी संक्रमण की शुरुआत के कारणों की पुष्टि नहीं हो पाई थी. 1930 के दशक में आते आते कुछ लोगों ने यह कहा कि इस पैथोजन को असल में जर्मन सेना ने एक हथियार के रूप में विकसित किया था और वह लीक हो गया. कोरोना के मामले में भी ऐसी एक थ्योरी निकली और खुद अमेरिकी राष्ट्रपति इसे "चीनी वायरस" कह चुके हैं.
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क्या कोरोना काल में फिर दोहराएगा इतिहास
अमेरिकी सेनाकर्मियों में 1918 में इसकी पुष्टि हुई. आगे चल कर दुनिया की करीब एक तिहाई आबादी स्पैनिश फ्लू से संक्रमित हुई. मरने वालों में 5 साल से कम उम्र वालों और 65 से ऊपर की उम्र वाले लोगों की तादात अधिक थी जैसा कि कोरोना में भी है. लेकिन 20 से 40 साल की उम्र वालों का मरना स्पैनिश फ्लू् की खास बात रही.
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क्वॉरंटीन, हाइजीन, डिसइन्फेक्टेंट और भीड़भाड़ पर रोक
यही सारी चीजें स्पैनिश फ्लू के समय भी काम आई थीं और कोरोना काल में भी इन्हीं सब कदमों से संक्रमण को रोकने में मदद मिल रही है. स्पैनिश फ्लू का कोई टीका नहीं बन पाया था और ना ही एंटीबायोटिक दवाएं काम आईं. हालांकि कोरोना वायरस का टीका बनाने में फिलहाल विश्व भर के रिसर्चर लगे हुए हैं.
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स्पैनिश फ्लू वायरस की टाइमलाइन
102 साल पहले शुरु हुआ संक्रमण. 1930 में जाकर पता चला कि इसका कारण कोई बैक्टीरिया नहीं बल्कि वायरस है. 1960 में अमेरिका में इसके लिए ऐसी वैक्सीन उपलब्ध हुई जिसे फ्लू शॉट के रूप में हर साल फ्लू सीजन में लिया जा सकता है. सन 2005 में जाकर स्पैनिश फ्लू के वायरस की पूरी सीक्वेंसिंग हो पाई.
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सारे फ्लू से बचाने वाली वैक्सीन का रास्ता खुला
स्पैनिश फ्लू का वैक्सीन ही आज तक लोगों को सभी तरह के सीजनल फ्लू से बचाता आया है. 2009 में आए स्वाइन फ्लू फैलाने वाले एच1एन1 वायरस और बर्ड फ्लू फैलाने वाले एच5एन1 जैसे रोगों से भी इसी की वैक्सीन बचाती है.
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बहुत से देशों के नेताओं ने डब्ल्यूएचओ के प्रयासों की सराहना की है लेकिन अमेरिकी स्वास्थ्य मंत्री एलेक्स एजर ने कहा कि डब्ल्यूएचओ अहम जानकारी को जुटाने और इसे दूसरों को मुहैया कराने में नाकाम रहा है, जिससे इतने सारे लोगों की जान गई.
अजर ने डब्ल्यूएचओ की असेंबली में वीडियो संबोधन के दौरान कहा, "इस फैलाव के नियंत्रण से बाहर हो जाने के एक बुनियादी कारण पर हमें खुलकर बात करनी होगी. यह संगठन उस अहम जानकारी को जुटाने में नाकाम रहा जिसकी दुनिया को जरूरत थी और इसी वजह से इतने लोगों की जाने गई."
एकजुटता पर जोर
अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ की अपनी फंडिंग निलंबित कर रखी है. उसका आरोप है कि यह विश्व संस्था "चीन के बहुत करीब" है और इसलिए कोरोना वायरस से निपटने में उसकी नाकामियों पर पर्दा डाला गया. चीन से फैले इस वायरस ने अब तक सबसे ज्यादा लोगों की जान अमेरिका में ही ली है.
डब्ल्यूएचओ को लिखे अपने खत में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, "अकेला रास्ता यही है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन साबित करे कि वह चीन से स्वतंत्र है." ट्रंप का आरोप है कि डब्ल्यूएचओ पूरी तरह चीन के इशारे पर काम करता है. लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह वही ट्रंप हैं जो पहले चीन की तारीफ कर रहे थे. अब वे अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए चीन को निशाना बना रहे हैं.
इस बीच संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने डब्ल्यूएचओ की एसेंबली के दौरान कहा कि कोविड-19 दुनिया के लिए खतरे की घंटी है. उन्होंने कहा, "घातक वैश्विक चुनौतियाों के लिए एक नई एकता और एकजुटता की जरूरत है." इसके साथ ही उन्होंने विकासशील देशों को इस महामारी से बचाने पर खास तौर से जोर दिया है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 से मिले सबक भविष्य में संकट से निपटने में मददगार साबित होंगे. उनके मुताबिक, यह सभी होगा जब सब एकजुटता हो कर काम करें.