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डब्ल्यूटीओ में अमेरिका की शिकायत करेगा भारत

१० अप्रैल २०१२

भारत पेशेवर लोगों के लिए भारी वीजा फीस के मुद्दे पर अमेरिका को विश्व व्यापार संगठन, डब्ल्यूटीओ में चुनौती देने जा रहा है. भारी वीजा फीस की मार भारत की प्रमुख आउटसोर्सिंग कंपनियों पर पड़ रही है.

तस्वीर: AP

भारत ने इस मामले पर अमेरिका के साथ बातचीत की पेशकश रखी है. डब्ल्यूटीओ में शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया का पहला चरण यहीं से शुरू होता है. नई दिल्ली में वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "हम इसे फिलहाल चर्चा के स्तर पर बढ़ा रहे हैं. हमें उम्मीद है कि हम एक सौहार्दपूर्ण हल निकालने में कामयाब होंगे."

तस्वीर: dapd

भारत के वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने वीजा के मसले पर अमेरिकी वाणिज्य मंत्री जॉन ब्रायसन से चर्चा की है. पिछले महीने जॉन ब्रायसन ने भारत का दौरा किया था. दुनिया भर की शीर्ष 500 कंपनियों में आधी से ज्यादा अपना काम भारत के साथ आउटसोर्स कराती हैं. एक तरह से भारत पश्चिमी देशों और अमेरिका की कंपनियों के लिए बैक ऑफिस का काम करता है. यहां कॉल सेंटर से लेकर सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट तक और दूसरे काम खर्च घटाने के लिए कराए जा रहे हैं.

भारत का उद्योग जगत इस साल 78 अरब अमेरिकी डॉलर की कमाई की उम्मीद कर रहा है. हर साल भारत से हजारों कर्मचारी अमेरिका में अपने ग्राहकों को उनकी कंपनी के दफ्तरों में जाकर इंजीनियर या फिर तकनीकी जानकार के रूप में सेवाएं देते हैं. अमेरिका में महंगी वीजा फीस वाले कानून का समर्थन करने वालों की दलील है कि फीस बढ़ाने से विप्रो, इंफोसिस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विस जैसी कुछ कंपनियों पर लगाम लगेगी. ये लोग इन कंपनियों पर वीजा कानूनों का फायदा उठाकर विदेशी मजदूरों को अमेरिका आयात कराने का आरोप लगाते हैं.

तस्वीर: AP

भारतीय कंपनियां इन आरोपों से इनकार करती हैं और उद्योग जगत के अधिकारी इस कानून को भेदभावपूर्ण बताते हैं. 2010 में नए कानून में दक्ष कामगारों की लिए वीजा फीस 2500 डॉलर से बढ़ा कर 4500 डॉलर कर दी गई. यह इजाफा उन कंपनियों के लिए है जहां 50 फीसदी से ज्यादा कर्मचारी अमेरिका से बाहर के हैं. आउटसोर्सिंग अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव अभियान में भी एक प्रमुख मुद्दा है. राष्ट्रपति बराक ओबामा वादा कर रहे हैं कि वो बेरोजगारी घटाने के लिए नौकरियों को बाहर जाने से रोकेंगे.

वीजा फीस का मामला उठने के पीछे एक दलील यह भी दी जा रही है कि अमेरिका ने पिछले महीने डब्ल्यूटीओ में भारत के खिलाफ इसी तरह की शिकायत दर्ज कराई है. भारत में पॉल्ट्री और अंडों के आयात पर लगी रोक को अमेरिका ने डब्ल्यूटीओ के वैश्विक कारोबार से जुड़े नियमों के खिलाफ बताया है. उधर भारत का कहना है कि यह रोक उसने एवियन फ्लू को रोकने के लिए लगाई है.

दोनों देशों के बीच 1990 में कारोबारी रिश्तों का नया अध्याय शुरू होने के बाद इस तरह के विवादों का उठना पहली बार ही हो रहा है. जानकारों का मानना है कि दरअसल अमेरिका भारत पर इरान से तेल का आयात घटाने के लिए दबाव बनाने की कोशिश में है और इसके लिए हर तरह के उपाय आजमाए जा रहे हैं.

एनआर/एमजे(एएफपी)

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