"हमें फेसबुक पर लाइक करें" ऐसा कहने वाली बेवसाइटों को अब बताना होगा कि वे यूजर्स का डाटा रिसीव कर रही हैं. आम लोगों के डाटा की चोरी को रोकने के लिए यूरोप की शीर्ष अदालत ने यह फैसला सुनाया है.
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लक्जमबर्ग में यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस ने सोमवार को फैसला सुनाया है कि फेसबुक लाइक का विकल्प देने वाली वेबसाइटों को यूजर्स को डाटा संबंधी जानकारी देनी होगी. बहुत ही ऐसी वेबसाइट्स हैं जो यूजर्स से कहती हैं कि फेसबुक पर उन्हें लाइक करें. कई ऐसी भी वेबसाइट्स है जो लाइक का ऑप्शन क्लिक किए बगैर नहीं खुलती हैं. अब तक ऐसी वेबसाइट्स को लाइक करते ही यूजर्स का डाटा अलग अलग कंपनियों के सर्वरों में स्टोर हो जाता था.
यूरोप की शीर्ष अदालत के फैसले से पहले तक "लाइक" बटन के जरिए यूजर्स का डाटा पाने वाली कंपनियां उत्तरदायी नहीं थीं. लेकिन ताजा फैसले के बाद फेसबुक के साथ साथ ऐसी कंपनियां भी डाटा सुरक्षा के प्रति उत्तरदायी होंगी. कोर्ट के फैसले में साफ कहा गया है कि लाइक बटन दबाते ही जो डाटा जमा किया जाएगा, उसके बारे में यूजर्स को पहले ही जानकारी देनी अनिवार्य होगी. लाइक बटन के साथ यूजर की अनुमति लेने वाला विकल्प देना जरूरी होगा. फैसले के मुताबिक यूजर्स के डाटा के साथ छेड़छाड़ करने पर फेसबुक के साथ साथ दूसरी कंपनियां भी जिम्मेदार होंगी.
ऐसे जानिए फेसबुक पर अपना इतिहास
फेसबुक आपके बारे में इतना सब जानता है कि अगर आप भी कहीं कुछ भूल जाएं तो वह आपको बता सकता है. आप फेसबुक के आर्काइव में जाकर अपनी जानकारी कुछ इस तरह से निकाल सकते हैं.
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फेसबुक सेटिंग
सबसे पहले फेसबुक की अपनी सेटिंग में जाएं. (Facebook.com/settings)
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डाटा डाउनलोड
इसके बाद वाले पेज पर एक विकल्प आता है, अपने डाटा के डाउनलोड करने का.
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डाउनलोड आर्काइव
फिर क्या, क्लिक करें डाउनलोड आर्काइव. इस कमांड को लेने के बाद फेसबुक चंद मिनट लेगा आपका आर्काइव तैयार करने में.
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आर्काइव अलर्ट
चंद मिनटों बाद फेसबुक आपको आर्काइव तैयार होने का अलर्ट भेजेगा.
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जिप फाइल
इस अलर्ट के बाद आपको डाउनलोड आर्काइव का विकल्प क्लिक करना होगा. इसके बाद आपके कंप्यूटर पर जिप फाइल डाउनलोड होगी.
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फिर क्या
इसके बाद आप आर्काइव की एक-एक फाइल में जाकर झांक सकते हैं. फेसबुक पर आपकी जिंदगी की वो सभी जानकारी होगी जो आपने कभी इसके साथ साझा की थी.
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प्रोफाइल की कॉपी
अगर आप फेसबुक छोड़ने की सोच रहे हैं तो इस सोशल नेटवर्किंग साइट से अपने डाटा प्रोफाइल की एक कॉपी ले लेना बेहतर है. वाकई, फेसबुक अपने यूजर्स के बारे में बहुत जानता है.
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इस फैसले के साथ ही यूरोपीय संघ जनरल डाटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन के अगले चरण में जा रहा है. 2018 के कैम्ब्रिज एनेलिटिका कांड के बाद यूरोप डाटा सुरक्षा को लेकर काफी गंभीर हुआ है.
यूरोपीय अदालत में इस मामले को जर्मनी में ग्राहकों की सुरक्षा से जुड़ा उपभोक्ता संगठन फरब्राउखरसेंट्राले लेकर गया. फरब्राउखरसेंट्राले ने बिजनेस फैशन ब्रांड आईडी की शिकायत की. आईडी ने यूजर्स को जानकारी दिए बिना उनका डाटा फेसबुक को भेजा. संघ ने अपनी दलील में कहा, "कोई भी अगर इंटरनेट पर घूमने की जगह देखता है, कंसर्ट का टिकट या कपड़े खोजता है तो वह यह नहीं जानता है कि उसकी गतिविधियां ऑटोमैटिक तरीके से फेसबुक पढ़ रहा है." जर्मन कोर्ट ने इस मामले को यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस में भेजा था.
ऐसा नहीं है कि जो लोग फेसबुक पर हैं उन्हीं का डाटा चुराया जा रहा है. इंटरनेट पर कुछ भी करने वाले हर इंसान का डाटा जमा किया जा रहा है. सोशल मीडिया अकाउंट न भी हो तो भी आईपी एड्रेस और ब्राउजिंग हिस्ट्री जैसा डाटा जुटाया जा रहा है.
दुनिया में तकरीबन 200 करोड़ लोग फेसबुक के एक्टिव यूजर्स हैं, लेकिन ये यूजर्स फेसबुक को एक रुपये का भुगतान नहीं करते. ऐसे में सवाल उठता है कि फेसबुक कंपनी चलाने के लिए पैसा कहां से लाती है. जानते हैं फेसबुक की कमाई का राज
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आइडिया बनी कंपनी
होस्टल से कमरे से शुरू हुआ एक छोटा आइडिया आज एक ग्लोबल प्रोजेक्ट बन गया है, दुनिया की लगभग एक चौथाई जनसंख्या आज फेसबुक की रजिस्टर्ड यूजर में शामिल है.रोजाना तकरीबन 200 करोड़ लोग फेसबुक पर लाइक, कमेंट के साथ-साथ तस्वीरें भी डालते हैं.
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कंपनी की आय
मोटा-मोटी फेसबुक पर औसतन हर एक यूजर दिन के करीब 42 मिनट बिताता है. पिछले कुछ सालों में कंपनी की कुल आय, तीन गुना तक बढ़ी है और आज की तारीख में इसकी नेट इनकम करीब 900 करोड़ यूरो तक पहुंच गई है.
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मुफ्त सेवायें
अब सवाल है कि जब फेसबुक की सारी सुविधायें यूजर्स के लिए फ्री हैं तो पैसा कहां से आता है. सीधे तौर पर बेशक फेसबुक अपने यूजर्स से पैसा नहीं लेता लेकिन ये यूजर्स के डाटा बेस को इकट्ठा करता है और उन्हें कारोबारी कंपनियों को बेचता है. आपका हर एक क्लिक आपको किसी न किसी कंपनी से जोड़ता है.
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डाटा के बदले पैसा
फेसबुक अपने यूजर डाटा बेचकर कंपनियों से पैसे कमाता है. मसलन कई बार आपसे किसी साइट या किसी कंपनी में रजिस्टर होने से पहले पूछा जाता है कि क्या आप बतौर फेसबुक यूजर ही आगे जाना चाहते हैं और अगर आप हां करते हैं तो वह साइट या कंपनी आपकी सारी जानकारी फेसबुक से ले लेती है.
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विज्ञापनों का खेल
दूसरा तरीका है विज्ञापन, अपने गौर किया होगा कि आपको अपने पसंदीदा उत्पादों से जुड़े विज्ञापन ही फेसबुक पर नजर आते होंगे. मसलन अगर आपने पसंदीदा जानवर में बिल्ली डाला तो आपके पास बिल्लियों के खाने से लेकर उनके स्वास्थ्य से जुड़े तमाम विज्ञापन आयेंगे
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ऑडियंस टारगेटिंग
सारा खेल इन विज्ञापनों की प्लेसिंग का है. इस प्रक्रिया को टारगेटिंग कहते हैं. फेसबुक मानवीय व्यवहार से जुड़ा ये डाटा न सिर्फ कंपनियों को उपलब्ध कराता है बल्कि तमाम राजनीतिक समूहों को भी उपलब्ध कराता है. मसलन ब्रेक्जिट के दौरान उन लोगों की टारगेटिंग की गई थी जो मत्स्य उद्योग से जुड़े हुए हैं.
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कौन होता प्रभावित
इन सब के बीच ये अब तक साफ नहीं हुआ है कि कौन किसको कितना प्रभावित कर रहा है और कंपनियों को फेसबुक के साथ विज्ञापन प्रक्रिया में शामिल होकर कितना लाभ मिल रहा है. साथ ही डाटा खरीदने-बेचने की इस प्रक्रिया में कितने पैसे का लेन-देन होता है.
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कोई जिम्मेदारी नहीं
फेसबुक किसी डाटा की जिम्मेदारी नहीं लेती और न ही इसकी सत्यता की गारंटी देता हैं. डिजिटल स्पेस की यह कंपनी अब तक दुनिया का पांचवा सबसे कीमती ब्रांड बन गया है. कंपनी ने कई छोटी कंपनियों को खरीद कर बाजार में अपनी एक धाकड़ छवि बना ली है.