जर्मनी के घरों में खाने के सामान की सप्लाई करने वाली कंपनी आइसमन के एक सर्वे में दिलचस्प नतीजे निकले हैं. कंपनी ने 1,000 पुरुषों और महिलाओं के बीच सर्वे कराया है. दुबला होने के बारे में जर्मनों की दस गलतफहमियां:
1. 66 फीसदी लोगों को लगता है कि अगर दिन में दो या तीन बार अधिक खाने के बदले कई बार कम कम खाया जाए तो दुबले होते हैं.
2. 51 फीसदी मानते हैं कि डायट करने से सिर्फ छोटी अवधि के लिए फायदा होता है.
3. 47 फीसदी लोगों का मानना है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे क्या खा रहे हैं, मुख्य बात यह है कि वे दिन के लिए जितना जरूरी है उतानी ही कैलोरी ले रहे हैं.
4. 45 फीसदी की राय है चर्बी वाला खाना खाने से इंसान मोटा होता है.
5. 43 फीसदी लोगों का मानना है कि स्पोर्ट करने से डायट करने की जरूरत नहीं.
6. 40 फीसदी लोग आलू और नूडल को मोटा करने वाला मानते हैं.
7. 37 फीसदी लोगों का मानना है कि बादाम खाना मोटा करता है.
8. 30 फीसदी लोगों की राय में डायट वाले आहार में आइसक्रीम की कोई जगह नहीं है.
9. 30 फीसदी जर्मन मानते हैं कि डायट खाने जितना चाहें फल खा सकते हैं.
10. एक चौथाई लोगों का मानना है कि शाकाहारी खाने से वजन कम किया जा सकता है.
आइसमन कंपनी की खान पान विशेषज्ञ मार्गा हामाखर इस सब गलतफहमियों को दूर करते हुए बताती हैं कि वजन घटाने के दौरान आइसक्रीम खाना फायदेमंद हो सकता है. लेकिन वे क्रीम वाली आइस क्रीम या बड़ा और चॉकलेट वाला आईस खाने से परहेज करने की सलाह देती हैं क्योंकि उनमें बहुत ज्यादा कैलोरी होती है. लेकिन इसके बदले लोग पानी वाली आइस, शर्बत या दही का आइस खा सकते हैं.
भारत में जिस तरह से जीवनशैली बदल रही है वह सेहत के लिए खतरनाक हो सकती है. संतुलित आहार स्वस्थ जीवन के लिए बेहद जरूरी है. मोटापा एक बीमारी है, इस से बचें.
तस्वीर: PeJo - Fotolia.comस्वस्थ शरीर के लिए सही वजन लम्बाई के अनुसार होता है. अगर किसी की लम्बाई 1.70 मीटर है, तो उसका सामान्य वजन 70 किलोग्राम होना चाहिए. महिलाओं में यह दस फीसदी कम होता है.
तस्वीर: Fotolia/Elenathewiseजर्मनी में चल रहे एक शोध के नतीजे बताते हैं कि आप जो चाहें खाएं, लेकिन दिन भर में कुल कैलोरी कितनी लेते हैं, इस पर ध्यान दें, फिर भले ही आप फास्ट फूड ही क्यों ना खाएं, आपका वजन नियंत्रण में रहेगा.
तस्वीर: dreamer12 - Fotolia.comलोग बिना सोचे समझे अंधाधुंध कोल्ड ड्रिंक पीते हैं. उन्हें इस बात का जरा भी ध्यान नहीं होता कि एक लीटर कोका कोला में 100 ग्राम से भी ज्यादा चीनी होती है. हालांकि बिना चीनी का डायट कोक पीने में कोई हर्ज नहीं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaमैक डॉनल्ड्स के साथ साथ भारत में फ्रेंच फ्राइस का भी चलन शुरू हुआ. बर्गर के साथ कोल्ड ड्रिंक और तले हुए ये आलू ना हों तो मजा ही पूरा नहीं होता. लेकिन यही आलू मोटापे का बड़ा कारण भी हैं. घर में उबाल कर या सेक कर आलू खाना सेहत को उतना नुकसान नहीं देता.
तस्वीर: Marius Graf - Fotolia.comटीवी पर आने वाले फास्ट फूड के विज्ञापन अधिकतर बच्चों को निशाना बनाते हैं. बाजार में तरह तरह के चिप्स और चॉकलेट उपलब्ध हैं जिनकी बच्चों को लत लगने में देर नहीं लगती.
तस्वीर: Fotolia/Luis Santosटीवी देखते समय या पढाई करते हुए अक्सर बच्चे चिप्स और बिस्किट के पूरे पूरे पैकेट खा जाते हैं. एक दस साल के बच्चे को दिन भर में करीब 1500 कैलोरी की जरूरत होती है. चिप्स के 100 ग्राम के पैकेट में ही कम से कम 500 कैलोरी भरी होती हैं.
तस्वीर: CC-BY-SA-orangebromptonबच्चों के लिए बनी हर चीज में जरूरत से ज्यादा चीनी और वसा होता है. जंक फूड को इन्हीं से अपना स्वाद मिलता है. माता पिता को जरूरत है कि बच्चे जब बाजार में चॉकलेट या आइसक्रीम की जिद करें तो वे सोच समझ कर ही उन्हें उनकी मनचाही चीज दिलवाएं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaभारत की महिलाओं में मोटापे की समस्या बढ़ती जा रही है. 2005 की तुलना में अधिक वजन वाली महिलाओं की संख्या दोगुनी हो गयी है. इसका कारण घर और दफ्तर की भागदौड़ में शहरी महिलाओं की जीवन शैली में आया बदलाव है.
तस्वीर: picture alliance / dpaकेवल बर्गर, पैटी और पिज्जा को ही फास्ट फूड कहना गलत होगा. भारतीय खाने में भी ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो इसी श्रेणी में आती हैं. समोसे, कचौड़ी, पकौड़े, मठरी भी स्वास्थ्य के लिए उतने ही हानिकारक हैं जितना नए जमाने का फास्ट फूड.
तस्वीर: Fotolia/Yantraमोटापे की समस्या पर यदि ध्यान ना दिया जाए तो इस से मधुमेह और फिर दिल के रोग भी हो सकते हैं. मोटापा एक बीमारी है जिसका वक्त रहते इलाज जरूरी है.
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हामाखर यह भी बताती हैं कि वजन कम करने के दौरान न तो अत्यधिक मात्रा में फल खाना चाहिए और न ही सिर्फ शाकाहारी खाने से ही काम चलेगा. इसी तरह बादाम में वसा ज्यादा होती है लेकिन वह बहुत ही लाभकारी है. खाना संतुलित होना चाहिए ताकि शरीर को सारे पौष्टिक तत्व मिलें.
आइसमन कंपनी 1974 से लोगों को उनके घरों में डीप फ्रोजेन खाना पहुंचा रही है. यूरोप के नौ देशों में उसके 220 डिस्ट्रीब्यूशन केंद्र हैं. इसके अलावा ब्राजील में वह 20 लाख घरों में फ्रोजेन काने की सप्लाई कर रहा है.
रिपोर्ट: महेश झा
संपादन: ओंकार सिंह जनौटी