वैज्ञानिकों को 20 करोड़ साल पहले धरती पर रहने वाले ऐसे विशालकाय शाकाहारी जीवों का पता चला है जो शायद डायनासोरों के साथ टहले होंगे.
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पोलैंड की धरती से वैज्ञानिकों को हाथी जितने विशालकाय शाकाहारी जीव के अवशेष मिले हैं. साइंस जर्नल में प्रकाशित पेपर में रिसर्चरों ने बताया है कि वह जीव चार पायों वाला, चोंच जैसे मुंह वाला और हाथी के आकार का रहा होगा. करीब 20 करोड़ साल पहले यानी ट्रायसिक काल के उत्तरार्ध में पाए जाने वाले इन जीवों को 'लिसोविसिया बोजानी' नाम दिया गया है. यह नाम उसे दक्षिणी पोलैंड के उस गांव के नाम पर मिला है, जहां उसके अवशेष मिले थे.
रिसर्चर इसे अहम खोज बताते हैं क्योंकि इससे उस प्रचलित मान्यता को चुनौती मिलती है कि उस काल में केवल डायनासोर ही एकमात्र विशालकाय शाकाहारी जीव थे. स्वीडन की उपसाला यूनिवर्सिटी में पेलिऑन्टोलॉजिस्ट ग्रेगोर नीडस्वीड्सकी बताते हैं कि डायनासोर के भी काफी पहले पाए जाने वाले डिकाइनोडॉन्ट्स नामक स्तनधारी जीवों का पता चल चुका है, जो प्राकृतिक आपदा के चलते धरती से मिट गए. इस रिसर्स पेपर के सह लेखक नीडस्वीड्सकी बताते हैं, "हमें लगता था कि लेट-परमियन काल के बाद स्तनधारी मिटते गए और डायनासोर आकार में बढ़ते गए."
वैज्ञानिकों को ऐसा लगता है कि ट्रायसिक काल के उत्तरार्ध में पर्यावरण और जलवायु के तमाम कारकों के कारण उस समय डायनासोरों और डिकाइनोडॉन्ट्स जैसे विशालकाय जीवों का विकास हुआ.
डायनासोरों का राजा पहुंचा बर्लिन
विशालता के लिए मशहूर टायरानोसॉरस रेक्स के दुनिया भर में करीब 50 पुनर्निर्मित नमूने हैं, जिनमें ज्यादातर अमेरिका में हैं. अब यूरोप के पास भी एक टी-रेक्स है. यह अगले तीन साल बर्लिन के नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम में रहेगा.
तस्वीर: DW/A. Kirchhoff
भारी सर
टी-रेक्स का सर उसके 12 मीटर लंबे शरीर के लिए काफी भारी है इसलिए इसे अलग से दिखाया जाता है. थ्रीडी प्रिंटर से सर और बाकी के शरीर की एक हल्की कॉपी बनाई गई है. 1.5 मीटर लंबी खोपड़ी का करीब 98 फीसदी हिस्सा बचा कर रखा गया है.
तस्वीर: DW/A. Kirchhoff
अमेरिका से डिलिवरी
बर्लिन के संग्रहालय के पास इसे जोड़ने के लिए सिर्फ एक महीने का समय था. अमेरिकी स्टेट मोनटाना में पाए गए टी-रेक्स को ट्रांसपोर्ट के लिए पेनसिल्वेनिया में तैयार किया गया. इसे अटलांटिक महासागर से बड़े बड़े डब्बों में बर्लिन भेजा गया.
तस्वीर: DW/A. Kirchhoff
सेलेब्रिटी डायनासोर
हालांकि इसे विलुप्त हुए 6.5 करोड़ साल बीत गए हैं, लेकिन इसे पॉप संस्कृति में अहम माना जाता है. निर्देशक स्टीवन श्पीलबर्ग की फिल्म जुरासिक पार्क से इसे खतरनाक शिकारी के तौर पर देखा जाने लगा. हालांकि कई रिसर्चर मानते हैं कि वे शिकारी से ज्यादा मरे हुए जीवों को खाने वाले जीव थे.
तस्वीर: DW/A. Kirchhoff
प्यार हो तो ऐसा
बचपन से ही डेन नील्स नीलसन को डायनासोर बहुत लुभाते थे. वे लंदन के एक कामयाब इंवेस्टमेंट बैंकर हैं. इस कामयाबी की बदौलत उन्होंने टी-रेक्स के एक महत्वपूर्ण कंकाल को खरीद भी डाला.
तस्वीर: Niels Nielsen
सॉरोपोड भी
तीन साल तक टी-रेक्स के साथ बर्लिन के संग्रहालय में नुमाइश के लिए सॉरोपोड भी होगा. जब बर्लिन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम को पता चला कि वे इन्हें अपने यहां दिखा सकते हैं तो उन्होंने झट इसकी नुमाइश और साथ साथ एक रिसर्च प्रोजेक्ट की तैयारी शुरू कर दी.
तस्वीर: DW/A. Kirchhoff
परिवार का सदस्य
उम्मीद की जा रही है कि ट्रिसटन बर्लिन के संग्रहालय में भीड़ जुटाने में कामयाब होगा. इसके साथ ही नुमाइश में अन्य डायनासोर भी दिखाए जा सकेंगे. जैसे 5 मीटर लंबा डायसालोटोसॉरस.
तस्वीर: Museum für Naturkunde Berlin
भूगर्भविज्ञान की दृष्टि से
बर्लिन के साथ डायनासोर की खोज का लंबा इतिहास जुड़ा है. शुरुआती 20वीं शताब्दी में नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम ने टेंडागुरू पहाड़ी पर खोज का पैसा दिया. उस समय वह डायनासोर के अवशेषों के लिए दुनिया का सबसे मशहूर ठिकाना था. वहां से करीब 250 टन अवशेष बर्लिन भेजे गए. कई पर आज भी रिसर्च जारी है.
तस्वीर: Museum für Naturkunde Berlin
बर्लिन का आकर्षण
बर्लिन का म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री 1889 में खुला था. यह जर्मनी का सबसे बड़ा नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम है. यहां प्रदर्शनी में दिखाई जाने वाली चीजों में डायनासोर के अलावा छोटी छोटी मछलियों और अन्य कीटों के भी अवशेष हैं. संग्रहालय में हर साल करीब 50 लाख लोग आते हैं.