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डायनासोर के जमाने में भी था जलवायु परिवर्तन!

१७ फ़रवरी २०२१

शाकाहारी डायनासोर उत्तरी गोलार्ध में अपने मांसाहारी रिश्तेदारों के आने के लाखों साल बाद उत्तरी गोलार्ध में आए. इस देरी के पीछे जलवायु परिवर्तन को कारण बताया जा रहा है.

Dinosaurier Fund Argentinien Leinkupal laticauda Fund Illustration
तस्वीर: Reuters/Jorge Antonio Gonzalez

जीवाश्मों की आयु का पता लगाने की एक तकनीक आने के बाद कुछ नई जानकारियां सामने आई हैं. ग्रीनलैंड में मिले साउरोपोडोमॉर्फ यानी शाकाहारी डायनासोर के जीवाश्म करीब 21.5 करोड़ साल पुराने हैं. पहले इन जीवाश्मों को 22.8 करोड़ साल पुराना माना गया था. इस बारे में 'प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज' में रिसर्च रिपोर्ट छपी है. 

नई जानकारी के आने के बाद से डायनासोर के प्रवास के बारे में वैज्ञानिकों की सोच बदल गई है. अब सबसे पहले जो डायनासोर विकसित हुए वो अमेरिका में 23 करोड़ साल या उससे भी पहले आए थे. इसके बाद वो पृथ्वी के उत्तरी और दूसरे इलाकों में गए. नई स्टडी से पता चला है कि सारे डायनासोर एक ही समय में दक्षिण से उतर की ओर प्रवास पर नहीं गए.

तस्वीर: Museo Paleontológico Egidio Feruglio

वैज्ञानिकों को उत्तरी गोलार्ध में शाकाहारी डायनासोर परिवार का अब तक ऐसा कोई उदाहरण नहीं मिला है जो 21.5 करोड़ साल से पुराना हो. इनका सबसे अच्छा उदाहरण है दो पैरो वाला 23 फुट लंबा शाकाहारी प्लेटियोसॉरस, जिसका वजन 4000 किलोग्राम था. हालांकि वैज्ञानिक मांसाहारी डायनासोर के जीवाश्म पहले ही दुनिया के कई हिस्सों में देख चुके हैं जो कम से कम 22 करोड़ साल पहले रहते थे. रिसर्च का नेतृत्व कर रहे कोलंबिया यूनवर्सिटी के डेनीस केंट का कहना है कि उत्तरी गोलार्ध में शाकाहारी डायनासोर बाद में आए. तो फिर इस देरी की क्या वजह थी? केंट ने उस समय के वातावरण और जलवायु में हुए परिवर्तनों पर ध्यान दिया है. करीब 23 करोड़ साल पहले ट्रियासिक युग के वातावरण में अब की तुलना में कार्बन डाइ ऑक्साइड 10 गुना ज्यादा थी. तब धरती गर्म थी और तब ध्रुवों पर कहीं कोई बर्फ की पट्टी नहीं थी. इतना ही नहीं भूमध्य रेखा के उत्तर और दक्षिण की ओर दो रेगिस्तानी इलाके थे. तब धरती बिल्कुल सूखी थी और वहां पर्याप्त मात्रा में पेड़ पौधे नहीं होने के कारण शाकाहारी डायनासोर प्रवास पर नहीं जा सकते थे. हालांकि उस वक्त भी पर्याप्त मात्रा में कीड़े मकोड़े मौजूद थे इसलिए मांसाहारी डायनासोर के लिए दिक्कत नहीं थी.

इसके बाद करीब 21.5 करोड़ साल पहले कार्बन डाइ ऑक्साइड का स्तर गिर कर आधार रह गया और रेगिस्तान में थोड़े ज्यादा पेड़ पौधे पनपने लगे और तब शाकाहारी डायनासोर ने अपनी यात्रा शुरू की.

तस्वीर: yjc.ir

केंट और दूसरे वैज्ञानिकों का कहना है कि ट्रियासिक युग में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर ज्वालामुखी और दूसरी प्राकृतिक वजहों से बदला. यही काम आज कोयला, तेल और प्राकृतिक गैसों को जलाने की वजह से हो रहा है. केंट ने मिट्टी के चुम्बकत्व में होने वाले बदलाव का इस्तेमाल कर ग्रीनलैंड के जीवाश्मों की सही आयु का पता लगाया है. इसके जरिए डायनासोर के प्रवास में समय के अंतर को देखा जा सकता है.

ज्यादातर वैज्ञानिक इस स्टडी से सहमत हैं, हालांकि एक बड़ा सवाल शिकागो यूनिवर्सिटी के जीवाश्म विज्ञानी पॉल सेरेनो ने उठाया है. उनका कहना है, "सिर्फ इस वजह से कि हमारे पास 21.5 करोड़ साल से ज्यादा पुराना किसी शाकाहारी डायनासोर का जीवाश्म नहीं है, यह नहीं कहा जा सकता कि उत्तरी गोलार्ध में शाकाहारी डायानासोर तब नहीं थे. मुमकिन है कि डायनासोर रहे हों लेकिन उनके जीवाश्म नहीं बचे."

एनआर/एके (एपी)

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