डिजिटल दुनिया का कड़वा सच, जर्मनी की नौकरियां खतरे में
२ फ़रवरी २०१८
जर्मनी डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ रहा है, लेकिन 2022 तक इसकी वजह से 34 लाख रोजगारों के खत्म होने की आशंका है. हर चौथी कंपनी का अस्तित्व खतरे में है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Reichel
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एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार बढ़ता डिजिटलाइजेशन जर्मनी में रोजगारों को नष्ट कर रहा है. अगले पांच साल में 34 लाख रोजगार खत्म हो जाएंगे क्योंकि उन कामों की जिम्मेदारी रोबोट और अल्गोरिद्म ले लेंगे. जर्मनी में इस समय 3.3 करोड़ लोग सामाजिक कल्याण कोष में योगदान देने वाली नौकरियों में हैं. फ्रैंकफर्ट से प्रकाशित एक जर्मन अखबार ने आईटी संघ बिटकॉम के कराए एक सर्वे के हवाले से खबर दी है. 500 कंपनियों में किए गये इस सर्वे के मुताबिक 25 प्रतिशत कंपनियां डिजिटलाइजेशन के कारण अपने अस्तित्व पर खतरा महसूस कर रही हैं.
बिटकॉम के अनुसार इस समय संचार तकनीक के क्षेत्र में 20,000 लोग काम करते हैं जबकि 1990 के दशक में इस क्षेत्र में 200,000 नौकरियां थीं. बिटकॉम के अध्यक्ष आखिम बैर्ग का कहना है कि पिछले पंद्रह सालों में 90 प्रतिशत नौकरियां खत्म हो गई हैं. अब बैंकिंग और बीमा क्षेत्र में भी इसी तरह का विकास होने का खतरा है. उनके अलावा रसायन और फार्मेसी उद्योग भी प्रभावित होंगे. अगले बीस सालों में मौजूदा पेशों में से आधे खत्म हो जाएंगे. लेकिन जर्मनी की मनहाइम रिसर्च इंस्टीट्यूट के टेरी ग्रिगोरी का कहना है कि अतीत में डिजिटलाइजेशन से नौकरियां कम नहीं हुई हैं, वे बढ़ी हैं. उनके अध्ययन के अनुसार पूरा काम निगलने के बदले कंप्यूटर भविष्य में खास जिम्मेदारियां पूरा करेंगी.
मोबाइल पर कौन कितना डाटा फूंकता है
स्मार्टफोन के चलते डाटा पैक की अहमियत बेहद बढ़ गई है. भारत में भी प्रति मोबाइल डाटा यूज बढ़ता जा रहा है. एक नजर सबसे ज्यादा डाटा खर्च करने वाले ओएसईडी देशों पर.
इस समय चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू-सीएसयू पार्टियां और सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी नई गठबंधन सरकार बनाने की बातचीत कर रही हैं और उनकी प्राथमिकता डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देने की है. भावी आर्थिक नीतियों के बारे में इन पार्टियों का कहना है, "हम चाहते हैं कि इस संसदीय अवधि में जर्मनी भविष्य का गीगाबिट समाज बनने की दिशा में छलांग लगाए." इसका आधार पूरे देश में हर जगह ग्लास फाइबर वाला गीगाबिट ढांचा, 5जी मोबाइल फोन और इंटेलिजेंट नेटवर्क होगा. इसके लिए गठबंधन की पार्टियां 2025 तक यूएमटीएस और 5 जी के लाइसेंसों की बिक्री से होने वाली आय को इनके लिए बुनियादी ढांचा बनाने में निवेश करेगी.
जर्मनी इंडस्ट्री 4.0 को भी तेजी से प्रोत्साहित कर रहा है. डिजिटलाइजेशन के फायदे की ओर इशारा करते हुए जर्मन रेल के प्रमुख रिचर्ड लुत्स ने कहा है कि डिजिटलाइजेशन हो जाने के बाद जर्मन रेल के नेटवर्क पर 20 प्रतिशत ज्यादा रेलगाड़ियां चल पाएंगी. हालांकि डिजिटलाइजेशन में 10 से 15 साल लगेंगे और हजारों सिग्नल बॉक्स, जंक्शन को एक सिस्टम के तहत काम करना होगा. जर्मन रेल पूरी तरह सरकारी स्वामित्व में है.
एमजे/एनआर (रॉयटर्स, डीपीए)
जर्मनी ही नहीं स्टार्ट अप की भी राजधानी बर्लिन
इस साल बर्लिन के क्यूब टेक मेले में अपने नवीनतम प्रोडक्ट दिखा रही स्टार्ट अप कंपनियों का मूल मंत्र है डिजिटल कनेक्टिविटी और आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस. देखिए भविष्य की तकनीकें.
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सच्चाई या केवल ख्याल
अगर अब भी आपको लगता है कि तकनीक आपके जीवन को बदल नहीं सकती, तो एक बार इन प्रोडक्ट्स को देखें. दुनिया भर से बर्लिन के क्यूब टेक फेयर में डिजिटल हेल्थ, इंफ्रास्ट्रक्चर, मशीनरी और इंटरकनेक्टिविटी से जु़ड़ी इन चीजों को देखकर आपका ख्याल बदल जाएगा.
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लाइसेंस लेना होगा?
हाल के समय में ड्रोन से ज्यादा उत्साह शायद ही किसी गैजेट ने जगाया हो. कई तरह के आकार में आने वाले ड्रोन कैमरे हमें दुनिया का नया ही चेहरा दिखा रहे हैं. कहीं पार्क रेंजर इसकी मदद से बड़े इलाके में वन्यजीवों पर नजर रख पा रहे हैं, तो कई कंपनियां इनसे सामान डिलिवर कर रही हैं.
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हाउस ऑफ कार्ड्स - डिजिटल
रॉबिन राइट, जो लोकप्रिय नेटफ्लिक्स सिरीज हाउस ऑर कार्ड्स की एक्टर हैं, मानवाधिकारों की सक्रिय समर्थक भी हैं और खनिजों के खूनी व्यापार को लेकर भी अपनी आवाज बुलंद करती हैं. यह खनिज हमारे मोबाइल फोन से लेकर टोस्टर तक हर मशीन में लगते हैं.
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3डी प्रिंटिंग से तैयार
बर्लिन का एक स्टार्ट अप 'बिगरेप' बड़े स्तर पर 3डी प्रिंटिंग करने पर ध्यान देता है. उनकी इस मशीन से कंपनियां इस तरह के प्रोटोटाइप बहुत जल्द बना सकती हैं. इससे नई मशीनें या उत्पाद विकसित करने में काफी समय बचता है और साथ ही खर्च भी.
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भविष्य की कारें
भविष्य की कारों में भी स्टीयरिंग व्हील होगी, उन्हें एक ब्रीफकेस में पैक करके ले जाने का सपना भी दूर है. लेकिन विश्व भर में कई स्टार्ट अप कंपनियां और श्टुटगार्ट, डेट्रॉइट जैसी जगहों पर स्थित बड़े कार निर्माता सभी भविष्य की कारों के नये नये मॉडलों पर काम कर रहे हैं.
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मदद के हाथ
इन दस्तानों को वो हरकतें याद रहती हैं, जिन्हें किसी खास काम को करते समय कर्मचारी करते हैं. इनको लगा कर काम करने से काफी समय बचता है. एक स्टार्ट अप ने 2014 में यह 'प्रोग्लव' बनाया था. आज इस कंपनी में ही 45 लोग काम करते हैं और सेंसरों को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं. ऑटो निर्माण और गोदामों जैसी जगहों पर इससे काफी मदद होगी. (टिमोथी रूक्स/आरपी)