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डिजिटल होते देश में बढ़ता साइबर खतरा

प्रभाकर मणि तिवारी
९ अगस्त २०१७

भारत में नोटबंदी और डिजीटलीकरण को बढ़ावा देने के प्रयासों ने साइबर अपराधों का खतरा बढ़ा दिया है. इस पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष आयोगों की तर्ज पर एक साइबर सुरक्षा आयोग का गठन करना होगा.

Indien Kooperation Polizei Deutschland & Indien
तस्वीर: DW

भारतीय तकनीकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर की ओर से किए गए एक अध्ययन में यह बात कही गई है. इस बीच, बीपीओ के जरिए ठगी मामले में जर्मन पुलिस के दो अधिकारी और एक वकील इस सप्ताह पांच दिनों के लिए कोलकाता में हैं. यहां से संचालित एक काल सेंटर के जरिए जर्मन नागरिकों के साथ ठगी हुई थी. उसी सिलसिले में खुफिया विभाग की टीम को सहायता देने और संबंधित सबूत व दस्तावेज पेश करने के लिए यह टीम सोमवार को कोलकाता पहुंची.

भारतीय तकनीकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर ने कहा है कि साइबर अपराधों के खतरे को ध्यान में रखते हुए भारत को साइबर सुरक्षा आयोग का गठन कर अपने सुरक्षा ढांचे को मजबूत करना होगा. संस्थान ने वित्तीय मामलों पर संसद की स्थायी समिति को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकार ने पूरी तरह डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर कदम बढ़ाने के लिए आम लोगों की भागीदारी के साथ कई कार्यक्रम शुरू किए हैं. लेकिन इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक की और से स्थापित साइबर सुरक्षा केंद्र पर्याप्त नहीं हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक के ऐसे केंद्र अक्सर विशेषज्ञ सलाह के लिए आईआईटी का रुख करते हैं. लेकिन आईआईटी में साइबर सुरक्षा पर प्रासंगिक शोध नहीं हो रहा है. संस्थान ने कहा है कि केंद्र सरकार फिलहाल बड़े पैमाने पर आधार-आधारित वित्तीय लेन-देन को बढ़ावा दे रही है. ऐसे में आधार के आंकड़ों के अनाधिकृत इस्तेमाल को रोकने के लिए बेहतर साइबर सुरक्षा जरूरी है. ध्यान रहे कि हाल में आधार के आंकड़े चोरी होने की कई घटनाएं सामने आने के बाद इनकी सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं.

तस्वीर: AP

साइबर अपराध के बढ़ते मामले

भारत में साइबर अपराध की घटनाएं तेजी बढ़ रही हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 के मुकाबले 2015 में इन घटनाओं में सौ फीसदी से भी ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई है. वर्ष 2013 में ऐसे 71,780 मामले दर्ज किए गए थे जो वर्ष 2014 में बढ़ कर 1.49 लाख तक पहुंच गए. लेकिन अगले साल यानी वर्ष 2015 में इनकी तादाद दोगुनी से भी ज्यादा बढ़ कर तीन लाख हो गई. आईआईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के दिनों में कई रहस्यमय गुटों की ओर से रक्षा, दूरसंचार और शोध संस्थानों की वेबसाइटें हैक करने के मामले सामने आए हैं. संस्थान के विशेषज्ञों ने कहा है कि जिस तरह बिना समुचित सुरक्षा के हर जरूरी सेवा के लिए आधार नंबर को अनिवार्य किया जा रहा है वह चिंता का विषय है. इसमें नोटबंदी के बाद 30 लाख से ज्यादा बैंक खातों, एटीएम व डेबिट कार्डों पर साइबर हमले का जिक्र करते हुए कहा गया है कि पेटीएम, भीम, यूपीआई और दूसरे डिजिटल वालेट का इस्तेमाल बढ़ने के साथ-साथ साइबर खतरे भी बढ़े हैं.

भारत आई जर्मन टीम

इसबीच, साइबर अपराधों की जांच में कोलकाता पुलिस को सहयोग देने के लिए जर्मन पुलिस और सरकारी एडवोकेट की एक तीन सदस्यीय टीम फिलहाल पांच दिनों के लिए कोलकाता में है. बीते जून में यहां चलने वाले एक काल सेंटर के जरिए खुद को कंप्यूटर विशेषज्ञ बताने वाले कुछ युवकों ने दो हजार से ज्यादा जर्मन नागरिकों को ठगी का शिकार बना कर उनसे करोड़ों रुपए ऐंठे थे. उक्त काल सेंटर में काम करने वाले पांच युवकों पर 15 करोड़ की ठगी का आरोप है. जर्मन टीम ने यहां खुफिया विभाग के अधिकारियों के साथ मुलाकात में संबंधित सबूत सौंपे. खुफिया विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक राजेश कुमार बताते हैं, ‘जर्मन टीम के दौरे से हमें जांच में काफी सहायता मिलेगी. उसने ठगी के शिकार लोगों के बैंक खातों का ब्योरा हमें दिया है.'

सरकारी वकील युर्गेन लेवान्डोव्स्की अगुवाई में यहां पहुंची टीम ने खुफिया विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठकों में साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने के तरीकों पर विचार किया. खुफिया विभाग ने जर्मन पुलिस से इस मामले में सबूत जुटाने के लिए सहयोग मांगा था. राजेश कुमार कहते हैं कि जर्मन पुलिस ने इस मामले में हरसंभव सहायता देने का भरोसा दिया है. एक जर्मन नागिरक हाइद्रुन बोहमर ने इस ठगी की औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है. इससे ठगी के जरिए मिली रकम का पता लगाने में सहूलियत होगी. अब यहां पुलिस अधिकारियों को स्वीडन व इंडोनेशिया के अधिकारियों से भी ऐसी ही सहायता का भरोसा है. ठगी के शिकार लोगों में उन दोनों देशों के नागरिक भी शामिल थे.

सुरक्षा उपायों की मजबूती जरूरी

विशेषज्ञों ने कहा है कि भारत के ज्यादातर वित्तीय संस्थानों में सुरक्षा का अग्रिम कवच नदारद है. बैंकों व वित्तीय संस्थानों को साइबर सुरक्षा के आधाररभूत ढांचे को मजबूत बनाने के लिए साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की सहायता लेनी होगी. आईआईटी, कानपुर के विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि साइबर सुरक्षा बढ़ाने के लिए देश को निजी-सरकारी माडल के आधार पर कम से कम चार अरब डालर के निवेश की जरूरत होगी. रिपोर्ट में संस्थान ने वित्तीय लेन-देन करने वाली कंपनियों में एक चीफ साइबर सेक्यूरिटी आफिसर की बहाली करने की सिफारिश की है. विशेषज्ञों की दलील है कि मौजूदा सुरक्षा प्रणाली में कई खामियां हैं और इससे साइबर हमले की स्थिति में फूलप्रूफ सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जा सकती.

 

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