डिप्रेशन से लड़ने में मददगार साबित हो सकते हैं मैजिक मशरूम
२३ अप्रैल २०२१
इंपीरियल कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने कहा है कि मैजिक मशरूम में पाया जाने वाला साइकेडेलिक कंपाउंड साइलोसाइबिन डिप्रेशन के इलाज में मदद कर सकता है. इसका असर डिप्रेशन दूर करने वाली दवाओं की ही तरह होता है.
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ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया है कि में पाया जाने वाला साइकेडेलिक कंपाउंड डिप्रेशन के इलाज के लिए पारंपरिक दवाओं की तरह ही उपयोगी है. इंपीरियल कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने कहा कि साइलोसाइबिन भी एस्किटालोप्राम की तरह उपयोगी है. एस्किटालोप्राम का इस्तेमाल डिप्रेशन के इलाज में व्यापक तौर पर किया जाता है. वैज्ञानिकों की यह खोज न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुई है. इसमें यह भी संकेत दिया गया है कि मैजिक मशरूम के इस्तेमाल से स्वास्थ्य में बेहतर सुधार हो सकता है.
रॉबिन कारहार्ट-हैरिस इंपीरियल कॉलेज में सेंटर फॉर साइकेडेलिक रिसर्च के प्रमुख हैं. उन्होंने रॉयटर्स से बात करते हुए कहा कि इस शोध से पता चलता है कि "नियमित तौर पर साइलोसाइबिन थेरेपी से पारंपरिक इलाज की तुलना में ज्यादा फायदा मिलता है.”
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इसे लेकर अभी और अध्ययन करने की जरूरत है. अभी इस अध्ययन में सिर्फ 59 ऐसे लोगों का नमूना लिया गया है जो थोड़े बहुत या गंभीर स्तर पर डिप्रेशन से पीड़ित थे.
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परीक्षण में क्या शामिल था?
इस परीक्षण में शामिल होने वालों को इलाज के तौर पर या तो साइलोसाइबिन की खुराक दी गई या एस्किटालोप्राम की. साथ ही, या तो प्लेसीबो दिया गया था या बहुत कम मात्रा में साइलोसाइबिन. इसके बाद, नींद, उर्जा, भूख, मनोदशा और आत्मघाती विचारों जैसे कई विषयों पर सवाल-जवाब किए गए.
यह ऐसा पहला अध्ययन है जिसमें डिप्रेशन के पारंपरिक इलाज की तुलना साइकेडेलिक परीक्षण साथ छह हफ्तों से ज्यादा समय तक की गई. अध्ययन के दौरान, जब काम और सामाजिक क्रियाकलापों, मानसिक स्थिति बेहतर होने, और खुद को खुश महसूस करने की बात आई, तो साइकेडेलिक दवा का असर बेहतर देखा गया.
इलाज के नतीजों को इस तरह से परिभाषित किया गया कि साइलोसाइबिन वाले समूह में 70 प्रतिशत लोगों में डिप्रेशन के स्तर में कम से कम 50 प्रतिशत की कमी देखी गई. वहीं, एस्किटालोप्राम समूह में यह 48 प्रतिशत रहा.
नतीजों में यह भी दिखा कि साइलोसाइबिन वाले समूह में डिप्रेशन के लक्षणों में 57 प्रतिशत की कमी देखी गई, जबकि एस्किटालोप्राम समूह में यह 28 प्रतिशत रहा. यह स्कोर छठे सप्ताह में 0 से 5 के तौर पर मापा गया.
कुकुरमुत्तों का साम्राज्य
03:38
मानसिक समस्याओं के इलाज के लिए इसका क्या मतलब है?
कारहार्ट-हैरिस कहते हैं कि यह शुरुआती खोज के नतीजे हैं. ऐसे में डिप्रेशन के रोगियों को मैजिक मशरूम के इस्तेमाल से खुद अपना इलाज करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. वह कहते हैं, "यह एक गलत फैसला होगा."
न्यूरोपैसाइकोफार्माकोलॉजी के प्रोफेसर डेविड नट भी इंपीरियल कॉलेज की टीम में शामिल हैं. यह टीम पिछले कई सालों से साइलोसाइबिन की क्षमताओं का पता लगा रही है. यह नया अध्ययन दो चिकित्सकों और प्रयोगशाला में तैयार खुराक की मदद से पूरी तरह से नियंत्रित परिस्थितियों में किया गया था.
2016 में इस टीम ने एक छोटा अध्ययन प्रकाशित किया था. उस अध्ययन में भी बताया गया था कि साइलोसाइबिन की मदद से डिप्रेशन के लक्षणों को कम किया जा सकता है.
आरआर/वीरे (रॉयटर्स)
दुनिया के सबसे घिनौने और डरावने मशरूम
शैतान का दांत, मरे हुए आदमी की ऊंगली या फिर सूअर का कान. प्रकृति में सुंदरता बिखरी पड़ी है, लेकिन कभी कभी उसकी चीजें आपको डरा भी सकती हैं. देखिए कुछ सबसे सुंदर और सबसे भयानक मशरूम.
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बदबूदार
शुरुआत करते हैं बदबूदार ऑक्टोपस के साथ. इन्हें आप शैतान की ऊंगलियां कह सकते हैं. बाकी सभी मशरूमों की तरह यह भी ना तो पेड़ है और ना ही प्राणी. विज्ञान कुकुरमुत्तों को एक अलग ही श्रेणी में रखता है. इससे ना सिर्फ सड़े हुए मीट की बदबू आती है, बल्कि यह दिखता भी वैसा ही है. बहुत सी मक्खियां और कीड़े इसकी तरफ खिंचे चले आते हैं.
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ना खतरनाक और ना स्वाद
ऑक्टोपस जैसे दिखने वाला मशरूम ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और मलय द्वीपसमूहों पर पाया जाता है. जर्मनी में पहली बार 1934 में ऐसा मशरूम मिला था. यह जहरीला नहीं है. इसकी चिपचिपी परत को हटाकर इसे खाया जा सकता है, लेकिन यह उम्मीद मत करिए कि इसका स्वाद बढ़िया होगा.
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डरावना हाथ
जिलेरिया पॉलीमोर्फा मशरूम को मरे हुए व्यक्ति की उंगलियों के नाम से भी जाना जाता है. यह मशरूम आम तौर पर किसी मृत पेड़ पर उगता है. बाहर से इसका रंग गहरा काला या फिर काली रंगत वाला भूरा हो सकता है. लेकिन अंदर से यह सफेद और रेशेदार होता है. यह बिल्कुल मरे हुए आदमी की ऊंगलियां लगती हैं. क्या आप इन्हें खाना चाहेंगे?
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खूनी दांत
यह है हाइडनेलम पेकी. जब यह मशरूम बड़ा होता है तो इसके अंदर से खून जैसा लाल रंग का द्रव निकलता रहता है. इसीलिए इसे "खूनी दांत" या फिर "शैतान का दांत" भी कहा जाता है. इस पर छोटे छोटे कांटे भी होते हैं. इसी वजह से इसे खाया नहीं जा सकता.
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संरक्षण का हकदार
शैतान का दांत कहे जाने वाले ये मशरूम मध्य यूरोप में खूब मिलते हैं. इसकी 15 प्रजातियां हैं. मशरूमों में इसे दुर्लभ माना जाता है. इसलिए इनका संरक्षण होना चाहिए. इस मशरूम के साथ कुछ और भी मशरूम पाए जाते हैं जैसे कि "सूअर के कान" कहे जाने वाले मशरूम.
इस मशरूम का नाम गोम्फस ग्वासेटस है. लेकिन यह दिखता बिल्कुल सूअर के कान जैसा है. इसे जर्मनी में 1998 में "मशरूम ऑफ द ईयर" चुना गया था. इसका स्वाद भी बहुत अच्छा है. शाकाहारी लोग भी इसे बिना चिंता आराम से खा सकते हैं.
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चिड़िया के घोंसले
सियाथस स्ट्रेटस मशरूम को आम बोलचाल में चिड़िया के घोंसले वाले मशरूम कहा जाता है. ये मशरूम दुनिया भर में पाए जाते हैं. लेकिन ये सिर्फ देखने में ही अच्छे लग रहे हैं. इनका स्वाद अच्छा नहीं है.
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माफ कीजिएगा...
इसे गुस्ताखी समझा जाएगा. लेकिन इस आकार का मशरूम भी दुनिया में पाया जाता है. लैटिन में इसका नाम है "फेलस इंपुडिकस" जिसका मतलब होता है "बेशर्म लिंग". इसके ऊपरी सिरे पर चिपचिपा बदबूदार पदार्थ होता है. इसीलिए बहुत सी मक्खियां इसकी तरफ आकर्षित होती हैं.
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नकाबपोश महिला
यह मशरूम भी बदबूदार मशरूमों की श्रेणी में गिना जाता है. आकार को देखते हुए कुछ लोग इसे पर्दे वाली महिला कहते हैं. इसका वैज्ञानिक नाम फेलस इंडस्ट्रियाटस है. चीनी खाने में इसका इस्तेमाल होता है. इसमें काफी मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर होता है.
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मस्तिष्क कहें या आंत
यह खास तरह का मशरूम भोज और बेंत के पेड़ों पर उगता है. यह आपको मस्तिष्क या फिर आंतों की बनावट की याद दिलाता है. लेकिन इसके कई आकार हो सकते हैं. मांस जैसा इसका रंग कभी कभी रेड वाइन जैसा भी दिख सकता है. आप इसे खा सकते हैं, अगर खाना चाहें तो...
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जुड़वा बच्चे
इस मशरूम को देखकर ऐसा लगता है कि गर्भ में भ्रूण अपने विकास के शुरुआती चरण में हैं और दो भ्रूण आपस में एक दूसरे से चिपके हुए हों. निश्चित तौर पर आप इसे खा नहीं सकते. लेकिन है जबरदस्त.
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मांसाहारी पौधे?
गलत, बिल्कुल गलत. यह ना तो मांसाहारी है और न ही पौधे. कुकेइना ट्रिकोलोमा कप फंगी फेमिली से संबंधित है. लेकिन यह नुकसानदायक नहीं है. मेक्सिको में इसे खाने में इस्तेमाल किया जाता है. वहीं कैमरून में इसे कान के दर्द की दवा में इस्तेमाल किया जाता है.
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शेर के बाल
हेरिसियम एरिनासेयुस अपने बाल जैसे रेशों की वजह से ध्यान खींचता है. आम बोलचाल में कुछ लोग इसे शेर के बाल कहते हैं तो कुछ बंदर का सिर. एशिया में यह मशरूम खाया जाता है. चीनी पारंपरिक दवाओं में भी इसका इस्तेमाल होता है. लेकिन इसे दुर्लभ मशरूम प्रजातियों में गिना जाता है.